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'The Kerala Story' के निर्माता-निर्देशक अपनी जिम्मेदारी निभाने से चूक गए?

'द केरल स्टोरी' में भ्रामक जानकारी के बावजूद, इसे कर्नाटक चुनाव अभियान के दौरान खुद प्रधानमंत्री ने मंजूरी दी.

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वीडियो प्रोड्यूसर: शोहिनी बोस, अज़हर अंसार

कैमरापर्सन: शिव कुमार मौर्या

वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

  • 2020 में, नॉन-रेजिडेंट केरलवासियों 2.3 लाख करोड़ रुपये वापस भारत भेजे, जो सभी NRI रैमिटैंस का 32% था.

  • केरल में प्रति व्यक्ति आय पूरे भारत की तुलना में 60% ज्यादा है.

  • 1% से कम (0.71%) केरलवासी गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं. राष्ट्रीय औसत 77% है.

  • केरल की शिशु मृत्यु दर (1000 जन्म पर शिशुओं की मौत) सिर्फ 6 है. असम में ये 40, मध्य प्रदेश में 41 और उत्तर प्रदेश में 46 है.

  • ये है असली नंबरों पर आधारित 'द केरल स्टोरी', बनावटी नंबरों पर नहीं.

ये जो इंडिया है ना, इसे ये तय करना होगा कि इसे कौन सी केरल स्टोरी देखनी है, और किसपर विश्वास करना है.

32,000 एक भ्रामक आंकड़ा

महीनों से 'द केरल स्टोरी' का ट्रेलर कह रहा है कि 32,000 महिलाओं को इस्लाम कुबूल करने और ISIS में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया. अब इसका कहना है कि केवल 3 लड़कियां. लेकिन नुकसान तो हो चुका है. फिल्म डायरेक्टर का कहना है कि '32,000 मनमानी संख्या है...' और इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए, लेकिन फर्क पड़ता है. 32,000 एक आम आदमी को बताता है कि केरल में बड़े पैमाने पर कुछ भयानक हो रहा है, कि हजारों लड़कियों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है, उन्हें कंवर्ट किया जा रहा है और ISIS ज्वाइन करने का लालच दिया जा रहा है.

सिवाय इसके कि ये सच नहीं है. ऐसा कभी नहीं हुआ. यहां तक कि इस फिल्म में भी ये दोहराया गया है कि हजारों भारतीय लड़कियों के साथ ऐसा किया गया था. तो नहीं, ऐसा नहीं लगता कि 32,000 संख्या मनमाने ढंग से कह दी गई है. ये बड़ी भ्रामक जानकारी थी, जो उस सांप्रदायिक नफरत को बढ़ाती है, जिससे भारत पहले से ही जूझ रहा है.

ऊतनी ही परेशान करने वाली बात ये है कि इस फिल्म को कर्नाटक चुनाव अभियान के दौरान खुद प्रधानमंत्री ने मंजूरी दी.
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इस्लामोफोबिया को बढ़ावा दिया जा रहा

ISIS एक कट्टर टेरर ग्रुप है, जिसने उन लोगों को आकर्षित किया, जो इसकी कट्टर हिंसा का समर्थन करते थे. निश्चित रूप से केरल की 3 महिलाओं की कहानी, जिन्हें ISIS में शामिल होने का लालच दिया गया, बतायी जानी चाहिए, लेकिन ये 'द केरल स्टोरी' नहीं है. ये कई कहानियों में से एक कहानी है. इसे अच्छी तरह से डॉक्यूमेंट किया गया है कि भारत के समुदाय - मुस्लिम, हिंदू, सिख - में कट्टरपंथी और चरमपंथी लोग हैं - और इसलिए, हां, मेरा मानना है कि उनकी हरकतों और उसके दुखद अंजाम के बारे में अच्छी तरह से रिसर्च की हुई, निष्पक्ष रूप से बतायी गई और बनायी गई फिल्मों को बताया जाना चाहिए.

अफसोस की बात है कि 'द केरल स्टोरी' इन दिनों देखे जा रहे इस्लामोफोबिया को भी बढ़ावा देती है, जैसा कि हमने 'द कश्मीर फाइल्स' और सोशल मीडिया पर दूसरी फेक न्यूज में देखा.

उदाहरण के लिए अगर आप एक हिंदू लड़की हैं, तो फिल्म आपको ये सोचने पर मजबूर कर देगी कि हर मुस्लिम फीमेल क्लासमेट आपका धर्म परिवर्तन कर रही है और ISIS में भर्ती कर रही है, या हर मुस्लिम लड़का एक यौन अपराधी और उभरता हुआ एंटी-नेशनल है, और हर अंतरधार्मिक रिश्ता 'लव जिहाद' है.

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