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रोजगार,इज्जत के लिए कभी न खत्म होने वाली इन ट्रांसजेंडर्स की लड़ाई

जो लोग समाज के पुराने रीति रिवाजों, ख्यालों में फिट नहीं बैठ पाते, क्या वे कभी सम्मान के साथ समाज में रह पाएंगे?

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‘‘मैं गलत शरीर में नहीं, गलत समाज में पैदा हुई हूं.’’
माधुरी सरोदे शर्मा
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दुनिया तरक्की कर रही है और सबको साथ लेकर चलने वाले समाज में बदल रही है, लेकिन कुछ लोग हैं जो समाज की मुख्यधारा से अब भी मजबूरन दूर हैं. ट्रांसजेंडर्स आज भी एक सामान्य रोजमर्रा के लिए संघर्ष कर रहा है.

द क्विंट ने 3 ट्रांसजेंडर्स से बात की और जाना कि सामान्य नागरिक की तरह जिंदगी जीने में उन्हैं किस तरह की जद्दोजहद से गुजरना पड़ता है. कुछ को धमकाया और घर से बाहर तक निकाला जा चुका है.

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कई ट्रांसजेंडर बेसिक पढ़ाई भी नहीं कर पाते. ऐसे में उन्हें नौकरी भी नहीं मिल पाती. वहीं कईयों को पढ़ाई कर लेने के बाद भी नौकरी ढूंढने में नाकामी हाथ लगती है.

इनकी सुरक्षा के लिए ज्यादा कानून भी नहीं हैं. ट्रांसजेंडर बिल जो भेदभाव से मुक्त समाज की बात करता है वो भी कुछ खास नहीं कर सका. सवाल अब भी वही है कि जो लोग समाज के सदियों पुराने रीति रिवाजों और ख्यालों में फिट नहीं बैठ पाते, क्या वे कभी सम्मान के साथ समाज में रह पाएंगे?

कैमरा: संजोय देब

असिस्टेंट कैमरा: गौतम शर्मा

एडिटर: आशीष मैक्यून

असिस्टेंट प्रोड्यूसर: हिबा बेग

प्रोड्यूसर: विष्णू वेणुगोपालन

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