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पुरानी दिल्ली की सैर पर लीजिए इस वेजिटेरियन खाने का मजा

रमजान में कबाब और बिरयानी तो हर कोई खाता है, लेकिन इसके अलावा भी बहुत कुछ है जो आपको ट्राई करना चाहिए!

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वीडियो एडिटर: कुणाल मेहरा

कैमरा: मुकुल भंडारी और शिव कुमार मौर्य

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रमजान... और शाकाहारी खाना! जी हां, आपने एकदम सही सुना.

रमजान के इस पाक महीने में कबाब और बिरयानी तो हर कोई खाता है, लेकिन पुरानी दिल्ली में इसके अलावा भी बहुत सी चीजें हैं इस दौरान खाने को.

इसलिए क्विंट की ज़िजाह शेरवानी और यज्ञा सचदेव इस मौके पर आपको मिलवा रही हैं पुरानी दिल्ली के शाकाहारी पकवानों से!

मुस्लिमों के लिए रमजान का महीना काफी पाक होता है. सुबह सेहरी से शुरुआत करने के बाद सभी शाम तक रोजा रखते हैं और फिर इफ्तार से रोजा खोलते हैं.

रोजा और रमजान को लेकर हालांकि कई मिथ भी हैं, जो हम आपको इस वीडियो में समझाएंगे.

रमजान में लोग नॉन-वेजिटेरियन खाना, जैसे बिरयानी और कबाब खाते हैं.

पहली बात, इफ्तार में अधिकतर खाना वेजिटेरियन होता है. इसमें फ्रूट सलाद, पकौड़े, चना मसाला और दाल मसाला जैसी चीजें होती हैं.

दूसरा, कोई भी ये रातभर बैठ कर नहीं खाता. मसालेदार और ज्यादा तेल वाला खाना प्यास बढ़ाता है, जिससे अगले दिन रोजा रखना ज्यादा मुश्किल हो जाता है.

तीसरा, रमजान का मतलब सेल्फ-कंट्रोल है. इसलिए अगर रोजा खोलने के बाद अगर कोई सिर्फ खाता रहेगा, तो इसका तो कोई मतलब ही नहीं रहेगा न.

क्या इस दौरान सलाइवा निगलने से रोजा टूट जाता है?

नहीं, सलाइवा निगलने से रोजा नहीं टूटता और न ही धूल और टूथपेस्ट से!

क्या अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल लगाने का मतलब है कपल्स में कोई प्यार-मोहब्बत नहीं? 30 दिन तक NO सेक्स?

रोजा खोलने के बाद कपल्स इंटीमेट हो सकते हैं. जिन चीजों को कंट्रोल करने की जरुरत होती है, वो है गाली देना, गॉसिप करना, झूठ बोलना आदि. वैसे तो, इसे रमजान के बाद भी कंट्रोल करना चाहिए.

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