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UPSC में मुसलमान सिर्फ 5%, हमारा लक्ष्य 15% तक ले जाना: जफर महमूद

देश के प्रशासनिक ढांचे में मुसलमानों की नुमााइंदगी उनकी आबादी के हिसाब से कम है

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2011 की जनगणना के मुताबिक मुसलमान देश की कुल आबादी का 14.2% हैं. लेकिन UPSC क्वालिफाई करने वालों में मुस्लिम पांच फीसदी से भी कम है. इसे बढ़ाने की जरूरत है. हमारा लक्ष्य है कि आने वाले सालों में इसे बढ़ाकर 15% किया जाए.
सैयद जफर महमूद, अध्यक्ष, जकात फाउंडेशन
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इस साल UPSC क्वालीफाई करने वालों में 51 मुस्लिम उम्मीदवार हैं और उनमें से 26 जकात फाउंडेशन से हैं. UPSC की तैयारी के लिए जरूरतमंद छात्रों को स्पॉन्सर करने वाली इस संस्था के अध्यक्ष सैयद जफर महमूद ने क्विंट से खास बातचीत में कहा:

सरकार जो योजनाएं चलाती हैं उनमें बदलाव की जरूरत है. मसलन सरकार UPSC की तैयारी कर रहे अल्पसंख्यक छात्रों की मदद के लिए एनजीओ को आर्थिक मदद देती है लेकिन वो ये शर्त लगाती है कि कोच एनजीओ के अपने हों. जबकि होना ये चाहिए कि अल्पसंख्यक मंत्रालय छात्रों को अपनी मर्जी से बढ़िया कोचिंग लेने की आजादी दे. मदद के लिए दिए गए पैसे की मॉनिटरिंग हो सकती है.
सैयद जफर महमूद, अध्यक्ष, जकात फाउंडेशन

‘गवर्नेंस में बढ़े मुसलमानों की हिस्सेदारी’

1997 में बनी जकात फाउंडेशन यूं तो कई तरह के सामाजिक कार्य करती है लेकिन देश में मुस्लिमों की हालत पर साल 2006 में आई सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के बाद उसने UPSC की तैयारी में लगे छात्रों की मदद का फैसला किया.

सच्चर कमेटी रिपोर्ट में कहा गया था कि मुसलमानों के शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन की एक वजह ये भी है कि देश के प्रशासनिक ढांचे में उनकी हिस्सेदारी बेहद कम है.
देश के प्रशासनिक ढांचे में मुसलमानों की नुमााइंदगी उनकी आबादी के हिसाब से कम है
जकात फाउंडेशन UPSC क्वालिफाई करने वाले अपने छात्रों को सम्मानित भी करती है.
(फोटो: जकात फाउंडेशन वेबसाइट)
जकात फाउंडेशन छात्रों का चुनाव प्रवेश परीक्षा के जरिये करती है. चुने गए छात्र हालांकि जहां चाहें वहां कोचिंग ले सकते हैं लेकिन दिल्ली में उनके लिए बाकायदा हॉस्टल का इंतजाम भी है. दो साल तक उनकी महंगी ट्रेनिंग को स्पॉन्सर किया जाता है. UPSC की मेन्स परीक्षा क्वालिफाई करने वालों को इंटरव्यू की खास तैयारी भी करवाई जाती है.
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हाल में आए UPSC के रिजल्ट के बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि इस साल कामयाब हुए उम्मीदवारों में अल्पसंख्यकों की संख्या सबसे ज्यादा है और ऐसा नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों की वजह से मुमकिन हुआ है. जफर महमूद इसका खंडन करते हुए कहते हैं:

ऐसा कहना संविधान की भावना के खिलाफ होगा. UPSC पूरी तरह स्वायत्त और पारदर्शी संस्था है जहां योग्यता के बल पर छात्र कामयाब होते हैं. देश के माहौल का UPSC के रिजल्ट पर ना तो कभी असर हुआ है और ना होगा.
सैयद जफर महमूद, अध्यक्ष, जकात फाउंडेशन

जफर महमूद मानते हैं कि हालात में बेहतरी के लिए मुस्लिम समाज को खुद भी कोशिशें करनी होंगी. वो महान शायर अलामा इकबाल का हवाला देते हुए मुस्लिम समुदाय को संदेश देते हैं- अपनी दुनिया आप पैदा कर अगर जिंदों में है.

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