वीडियो एडिटर: मो. इब्राहिम, पूर्णेन्दु प्रीतम
6 जून को पुणे पुलिस ने इस साल 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में माओवादियों से कथित तौर पर जुड़ाव के लिए मुंबई, नागपुर और दिल्ली से 5 एक्टिविस्ट को गिरफ्तार किया. इन पर कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए जाने का आरोप है, जिसके कारण भीमा कोरेगांव हिंसा हुई.
- सुधीर धावले- एडिटर, 'विद्रोही' मैगजीन
- महेश राउत- पूर्व पीएम रूरल डेवलपमेंट फेलो
- शोमा सेन- नागपुर यूनिवर्सिटी प्रोफेसर
- रोना विल्सन- पब्लिक रिलेशन सेक्रेटरी, कमिटी फॅार रिलीज आॅफ पाॅलिटिकल प्रिजनर
- सुरेंद्र गाडलिंग- वकील, नागपुर
अखबारों की हेडलाइन में इन्हें ‘अर्बन माओइस्ट’ यानी शहरी नक्सली बताया गया. पर क्या सच में शहरी नक्सली जैसी कोई चीज होती है?
नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़, जहां इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, द क्विंट ने वहां के लोगों से पूछा कि शहरी नक्सलवाद को लेकर उनकी क्या सोच है?
क्या आपने शहरी नक्सलवाद के बारे में सुना है?
‘अर्बन माओइस्ट’ एक नया शब्द है. वो नक्सलवादी होते हैं. ये शहर में रहकर नक्सलवादियों की मदद करते हैं.संजीव पटेल, स्टूडेंट
ये शब्द सुना है मैंने. इसका अर्थ शहरी नक्सली है, जो नक्सलियों का सहयोग करते हैं उनके लिए ये शब्द मीडिया में आया है.सुमित कुमार, पत्रकार
कौन हैं शहरी नक्सलवादी?
हमारे छत्तीसगढ़ का एक बहुत बड़ा भाग नक्सल प्रभावित है. नक्सली शहर से दूर घने जंगलों में रहते हैं. इनकी सुख-सुविधाएं, साधन शहरी क्षेत्रों से जुड़ी होती हैं. ये नक्सलियों की मदद करते हैं वो अर्बन माओवादी हैं, जो नक्सलियों के लगातार संपर्क में रहते हुए उनके संचालन में सक्रिय भूमिका निभाते हैं.डॉ. दीनदयाल साहू, पत्रकार
ये शब्द अभी-अभी चलन में आया है. वो लोग जो समाज में रहकर, हमारे बीच रहकर नक्सलियों की मदद कर रहे हैं. वो राशनवाला, दूधवाला हो सकता है, कोई भी आम इंसान हो सकता है.हरीश पटेल, स्टूडेंट
क्या आपको लगता है कि शहरी नक्सलवाद समाज के लिए खतरा है?
पब्लिक को नुकसान पहुंचा रहे हैं तो समाज के लिए खतरा हैं. सरकार से लड़ाई है, तो ये सही है.संतन सिंह, निवासी, रायपुर
किसी भी तरह का नक्सलवाद समाज, शहर के लिए देश के लिए खतरा है.विपिन जैन, स्टूडेंट
क्या चुनाव से पहले शहरी नक्सलवाद पर चर्चा होनी चाहिए?
इन्हें स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. ये सबसे बड़ी समस्या बन सकती है. राजनीतिक पक्ष से देखें तो नेता, विपक्ष इनका इस्तेमाल कर सकते हैं.सुमित कुमार, पत्रकार
आम चुनाव में, कम से कम बस्तर में अर्बन माओवाद मुद्दा नहीं रहा है. पहले भी कई चुनाव हुए हैं लेकिन ये मुद्दा नहीं उठा, क्योंकि ये पिछड़ा, आदिवासियों का इलाका है, इसलिए यहां स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, पानी और बिजली मुद्दा है. आने वाले चुनाव में भी इन्हीं मुद्दों पर चुनाव लड़ा जाएगा. मुझे नहीं लगता की अर्बन माओवाद चुनावी मुद्दा है.संतोष सिंह, निवासी, दंतेवाड़ा
(एंथोनी गार्दिया के इनपुट के साथ)
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