वीडियो एडिटर: कुनाल मैहरा
जब मिया-बीवी राजी, तो क्या करेगा काजी'... फिलहाल ये मुहावरा उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में फिट नहीं बैठ रहा है. क्योंकि मिया बीवी के बीच अब डीएम साहब से लेकर कथित लव जिहाद (Love Jihad) या कहें जबरन धर्म परिवर्तन विरोधी कानून का धौंस दिखाया गया है.
हाल ये है कि दो अलग धर्म के प्रेम करने वाले, शादी करने वाले राजी हैं, परिवार राजी है, शामियाना सज चुका है. मेहंदी लग गई है बस बारात आने से पहले ही शादी रोक दी जा रही है. कहीं हिंदू संगठन वाले धमकी दे रहे हैं तो कहीं रजिस्ट्रेशन से पहले पुलिस दूल्हे को गिरफ्तार कर देती है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 नवंबर को शादी के लिए जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के नाम पर एक अध्यादेश को मंजूरी दी. जिसके मुताबिक दोषी व्यक्ति को 10 साल तक की कैद हो सकती है. अब इस कानून की आड़ में इंटर फेथ मैरेज करने वाले कपल्स को परेशान किया जा रहा है, डराया जा रहा है, यहां तक कि पुराने केस में भी जेल भेजा जा रहा है.
लखनऊ में रोकी शादी
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पुलिस ने नए धर्म परिवर्तन विरोधी कानून (Anti-Conversion Law) के तहत एक अंतरधार्मिक शादी को रोक दिया, जबकि ये शादी दोनों परिवारों की सहमति से हो रही थी.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ के डूडा कॉलोनी की रहने वाली हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के की शादी होनी थी. शादी से ठीक पहले पुलिस की एक टीम ने शादी स्थल पर पहुंचकर जोड़े से पहले लखनऊ जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेने के लिए कहा.
यही नहीं पुलिस ने लड़का-लड़की के परिवारों को नए कानून की कॉपी दी और उन्हें बताया कि उत्तर प्रदेश प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कंवर्जन ऑफ रिलीजियन ऑर्डिनेंस, 2020 की धारा 3 और 8 (सेक्शन दो) के मुताबिक विवाह रोका गया है, जिसमें कहा गया है कि किसी को भी सीधे या किसी दूसरे तरीके से गलत बयानी, बहका कर, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, खरीद-फरोख्त या किसी धोखेबाजी से या विवाह द्वारा किसी का धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहिए.
अब इस केस में सबसे अहम बात ये है कि न तो लड़के ने धर्म बदला, न लड़की ने, न दोनों के परिवार ने कुछ किया. जबरन धर्म परिवर्तन तो दूर रजामंदी से भी धर्म नहीं बदला गया. चलिए मान भी लेते हैं कि पुलिस सही है, कानून का पालन कर रही है, लेकिन जिस कानून के दम पर ये शादी रोकी गई है, उसमें भी लिखा है कि परिवार, रिश्तेदार, मां-बाप के कहने पर शिकायत दर्ज की जा सकती है लेकिन यहां तो राह चलते किसी नफरती संगठन ने शिकायत की थी. फिलहाल शादी दो महीने तक के लिए टाल दी गई है और डीएम साहब की रजामंदी की मोहताज बनी हुई है.
मुरादाबाद में पति गिरफ्तार
एक और मामला है मुरादाबाद का. जहां लव जिहाद का हवाला देकर एक पति-पत्नी को कुछ लोगों ने डराया धमकाया, और इन सबके बीच पुलिस ने लड़की के पति और देवर को ही गिरफ्तार कर लिया. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक राइट विंग के एक संगठन ने कपल को तब पकड़ा, जब दोनों अपनी शादी को रजिस्टर कराने मैरिज रजिस्ट्रेशन ऑफिस पहुंचे थे.
लड़की ने इस घटना को लेकर मीडिया से बात करते हुए बताया कि, हाथ में डंडा लिए एक शख्स ने उन्हें कहा कि पहले डीएम की परमिशन बताओ कि तुम धर्म परिवर्तन करने जा रही हो. वहां मौजूद एक शख्स ने ये तक कहा कि ये कानून तुम जैसे लोगों के लिए ही बनाना पड़ा है.
ये सब कहीं छिपे में नहीं बल्कि पुलिस की मौजूदगी में हो रहा था. मतलब पुलिस तो पुलिस गुंडे और नफरत फैलाने वाले संगठन अब जबरन शादियां रोक रहे हैं और कानून का मजाक बना रहे हैं.
इस मामले में लड़की का कहना है कि वह 22 साल की है, बालिग है और उसने जुलाई 2020 में अपनी मर्जी से शादी की है. हालांकि पुलिस अब ये कह रही है कि शिकायत लड़की की मां की तरफ से मिली है. जिसके आधार पर दोनों युवकों को गिरफ्तार किया गया है.
बरेली- पहली गिरफ्तारी
एक और मामला बरेली का है. जहां यूपी पुलिस ने नए धर्म-परिवर्तन विरोधी कानून के तहत पहली गिरफ्तारी की. पुलिस ने बरेली से एक 21 साल के मुस्लिम ओवैस अहमद को हिंदू महिला पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बनाने और विरोध करने पर परिवार को धमकी देने के आरोप में 3 दिसंबर 2020 को गिरफ्तार किया है.
अहमद पर आरोप है कि वो अपने ही इलाके की एक महिला के साथ रिलेशनशिप में था और पिछले साल दोनों भाग गए थे, जिसके बाद उन्हें पकड़कर वापस लाया गया. लेकिन अब महिला ने अपने पिता द्वारा लड़के के खिलाफ लगाए किडनैपिंग के आरोपों से इनकार कर दिया. इस मामले में ये भी पेंच है कि परिवार ने इसी साल अप्रैल में महिला की शादी किसी और से कर दी थी.
मतलब साफ है कि कानून जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के नाम पर आया था लेकिन इसका असल मकसद अब दो धर्म के लोगों की शादी पर पहरा लगाने का बनता जा रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक रूलिंग का हवाला देकर लव जिहाद के खिलाफ कानून लाने की बात कही थी. सितंबर में हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने कहा था कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन को मान्यता नहीं दी जा सकती है. लेकिन 11 नवंबर को उसी इलाहाबाद हाईकोर्ट में दो जजों की बेंच ने सितंबर की रूलिंग को गलत ठहराया था. अदालत ने प्रियंका और सलामत के केस में साफ कहा था, 'ना ही कोई व्यक्ति, न ही कोई परिवार और राज्य दो वयस्क लोगों के एक साथ जिंदगी जीने पर ऐतराज जता सकते हैं. प्रियंका वयस्क है, वो अपने फैसले खुद ले सकती है, जिसमें इस्लाम धर्म स्वीकार करना भी है.'
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