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योगी जी, खेती-किसानी की कीमत पर कब तक चलेगी ‘गोसेवा’?

आवारा पशुओं को फसल तक पहुंचने से रोकने के लिए योजना पर योजना बनाई जा रही है, लेकिन असलियत में आखिर हो क्या रहा है?

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वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

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गोवंश की रक्षा के लिए योगी सरकार कई तरह के नियम बना रही है और उसका ऐलान भी कर रही है. साथ ही किसानों को हो रही दिक्कतों पर भी सरकार जागरूक है. आवारा पशुओं को फसल तक पहुंचने से रोकने के लिए योजनाएं बना रही है. फंड की कमी न हो, इसलिए शराब समेत कई चीजों पर सेस भी लगा दिए गए हैं.

यूपी सरकार ने घोषणा कर दी कि सूबे के 68 जिलों में गाय आश्रय स्थल यानी गोशालाएं बनाई जाएंगी. इसके लिए एक्साइज और कुछ दूसरे महकमों से 0.5% गाय कल्याण सेस वसूला जाएगा.

सरकार खुद भी गांव पंचायतों, नगरपालिकाओं और निगमों को 100 करोड़ रुपये देगी. लेकिन हकीकत और दावे में कोई तालमेल नहीं दिखता. ऐसे में क्विंट ने यूपी के कई जिलों से इस मुद्दे की पड़ताल की.

सरकार काम सिर्फ कागज पर कर रही है, हकीकत में कुछ नहीं. जब सारी खेती चौपट हो जाएगी, तब मोदी जी कुछ करेंगे. बाराबंकी में अभी गोशालाएं नहीं बनी हैं... खाली बात कर रहे हैं, जनता को पागल बना रहे हैं.
हनुमान प्रसाद, किसान, बाराबंकी
गाय से समस्या है कि सामने आप देखिए, ये खेत में जाकर रात-दिन चर रहे हैं. इससे हमलोगों का बहुत नुकसान हो रहा है. इसके लिए सरकार कुछ करे. हालांकि हमारे गांव में हर्दिपुर में गोशाला है, लेकिन कैसे भी कके पशुओं को यहां से हटाएं, ताकि किसान भाई दो रोटी खा सकें. 
शिव शंकर उर्फ पंडित, किसान, जौनपुर

किसान अपनी फसलों को गाय और सांडों से बचाने के लिए रातभर पहरा दे रहे हैं. सरकार से उनका सवाल है कि इतनी पहरेदारी के बाद भी कई बार उनकी फसल खराब हो जाती है. जो कुछ बचता है, उसके सही दाम नहीं मिल पाते और इस कारण पशुओं को लेकर उनका गुस्सा और बढ़ता जा रहा है. अमेठी के किसान ब्रिजेश कहते हैं कि:

जानवरों को रातभर लाठी-डंडा लेकर भगाते थे, मारते थे, इस दौरान किसी को चोट आ रही है. ये देखकर जानवरों के प्रति आक्रोश पैदा हो रहा है, नाराजगी जता रहे हैं. ऐसे में कौन उन्हें गाय माता मानेगा, सब लोग पीटने को तैयार हैं, माता कौन मान रहा है अब इनको? अगर इनको स्थाई रूप से एक जगह रखा जाये, तब तो लोग इन्हें माता स्वीकार भी करेंगे, लेकिन लोग लाठी लेकर पीट रहे हैं, भगा रहे हैं.
ब्रिजेश, किसान, अमेठी 

किसानों की इस समस्या को देखने के बाद ये कहना थोड़ा कड़वा जरूर है, लेकिन सच यही है कि अपने को भूखा रखकर किसान गोवंश का पेट कैसे भर सकता है?

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