वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
साल 2017, उत्तर प्रदेश में बीजेपी सत्ता में वापस आई, तब सीएम बने आदित्यनाथ ने अयोध्या में कहा था, राम राज्य का सपना उत्तर प्रदेश में 2019 तक पूरा हो जाएगा. लेकिन आधा 2020 बीत चुका है, राम राज्य की उम्मीद लगाए जनता को होलसेल में गुंडाराज मिल रहा है. जहां पुलिस नहीं, गुंडे पुलिस को घेर ले रहे हैं, जहां नेता, पुलिस और क्रिमिनल के बीच दोस्ती की चर्चा चल पड़े, जहां पत्रकारों को खबर दिखाने में भी डर लगने लगे, जहां दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली छात्र को ही जेल जाना पड़े वहां की जनता तो पूछेगी जनाब ऐसे कैसे?
3 जुलाई 2020 को कानपुर में अपराधी विकास दुबे ने 8 पुलिस वालों की जान ले ली. तमाम ताकत लगाकर भी पुलिस दुबे को दबोच नहीं पा रही है. इस बीच प्रयागराज में एक ही परिवार के चार लोगों की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई. और एक बार फिर आरोपी पकड़ में नहीं आ रहे.
एक इंटरव्यू में आदित्यनाथ ने कहा था, 'अगर अपराध करेंगे, तो ठोक दिए जाएंगे'. तब यूपी पुलिस ने ताबड़तोड़ एनकाउंटर भी किए , वो अलग बात है कि कई एनकाउंटर सवालों के घेरे में हैं, लेकिन बावजूद इसके गुंडों की बंदूक लोगों की जान ले रही है.
जुलाई के महीने की बात करें तो
- 6 जुलाई को आजमगढ़ में बाइक सवार दो बदमाशों ने एक मुर्गी फार्म के मैनेजर की गोली मारकर हत्या कर दी.
- 5 जुलाई को जौनपुर में इंटर कॉलेज के प्रबंधक की हत्या.
कांग्रेस पार्टी की नेता प्रियंका गांधी दावा कर रही हैं कि 26 जून से 3 जुलाई 2020 के बीच उत्तर प्रदेश में करीब 50 हत्याएं हुईं. मतलब 8 दिन में 50 मर्डर.
हिंदी अखबार हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ आगरा जोन में एक जून से 27 जून के बीच हत्या की 39 वारदातें हो चुकी हैं.
अगर बात जून 2020 की करें तो
- 29 जून को उत्तर प्रदेश के मेरठ की आंचल की शादी होने वाली थी लेकिन उससे पहले 27 जून को घर में घुसकर उसके और उसके पिता की हत्या कर दी गई.
- 25 जून को बलिया में अंतिम संस्कार से लौट रहे युवक की हत्या
- 25 को ही बुलंदशहर में पेशकार की गोली मारकर हत्या
- 19 जून को उन्नाव में एक पत्रकार शुभम मणि त्रिपाठी की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई. आरोप है कि हत्या के पीछे क्षेत्र में सक्रिय रेत माफिया और भू माफिया का हाथ है.
- 6 जून को मंदिर में पूजा करने को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि दलित युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
नेताओं की बात करें तो 19 मई को संभल में समाजवादी पार्टी के नेता और उनके बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की मॉब लिंचिंग पर हंगामा हुआ लेकिन अप्रैल के महीने में बुलंदशहर में दो साधुओं की हत्या पर चुप्पी साध ली गई. मंदिर परिसर में सो रहे दो साधुओं पर किसी हथियार से वार किया गया.
ये सब तो हाल फिलहाल की घटना है, लेकिन थोड़ा पीछे चलेंगे तो गुंडाराज की और भयावह सच्चाई सामने आएगी. ठीक एक साल पहले 17 जुलाई 2019 को सोनभद्र नरसंहार. जहां उम्भा गांव में 10 लोगों की जान चली गई थी.
यही नहीं नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश में करीब 20 लोगों की जान गई.
उत्तर प्रदेश की राजधानी भी नहीं बची, 2019 के अक्टूबर में लखनऊ में हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की दिनदहाड़े गला रेतकर हत्या कर दी गई.
कानपुर हत्याकांड पर आज पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन ये सवाल 2018 में भी उठे थे, जब बुलंदशहर में तीन दिसंबर 2018 को कथित गोकशी को लेकर भड़की हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी गई थी.
चिन्मयानंद और कुलदीप सिंह सेंगर के करतूतों पर तो इतना लिखा जा चुका है कि क्या पता कोई वेब सीरीज वाले इस पर काम भी कर रहे हों.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े कुछ कहते हैं
अब बात नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों की करें तो साल 2018 में यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 59,445 मामले दर्ज हुए, जबकि 2017 में 56011 मामले, 2016 में 49262 और 2015 में प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 35908 मामले दर्ज किए गए थे. ये केस, महिलाओं की हत्या, रेप, दहेज को लेकर हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, एसिड अटैक, किडनैपिंग के तहत दर्ज किए गए.
2018 में साइबर क्राइम में यूपी में 6280 केस दर्ज किए गए हैं जो 2017 के मुकाबले 26 फीसदी ज्यादा है. साल 2017 में 4971, 2016 में 2639 मामले सामने आए थे.
NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ हुए अपराधों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2018 में 454 अपराध दर्ज किए गए, जो 2017 के मुकाबले 12 फीसदी ज्यादा है.
जब राम राज्य के इंतजार में बैठी जनता का विकास दुबे जैसे रावण से सामना होगा, जब जुर्म, राजनीति और पुलिस का याराना, पत्रकारों को डराना होगा, तो दबी जुबान में ही सही जनता पूछेगी जरूर, जनाब ऐसे कैसे
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