आज आपके, मेरे, उत्तराखंड (Uttrakhand) की पुलिस और सरकार के लिए एक लैब टेस्टिंट करते हैं. जिसमें इंसानियत का टेस्ट होगा. नफरत की बीमारी का पता लगाने का टेस्ट. अब आप कहेंगे ये कैसा टेस्ट हुआ. नफरत को मांपने का भला टेस्ट कब से होने लगा? पहले आप टेस्ट दीजिए. आपके सामने नीचे दो लोगों के भाषण के कुछ अंश लिखे हैं. आप दोनों को पहले पढ़ें.
“बचपन से हम सभी को सिखाया जाता है कि हम न तो हिंदू बनेंगे और न ही मुसलमान, I will apeall to all my Indian brother and sister, who believe in prosperous and united India to oppose this draconian law. हर किसी को आना चाहिए. सिर्फ मुसलमानों को नहीं. ये सिटिजनशिप धर्म के आधार पर कैसे हो गया.. ये हमारे संविधान में कहां लिखा था.. ये हमारे वजूद की लड़ाई है., इसके लिए हमें लड़ना होगा.. लेकिन आपको बता दूं कि लड़ने का मतलब मारपीट नहीं करनी है, संविधानिक रूप से लड़ना है.”कफील खान
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“साध्वी जी ने बहुत अच्छी बात कही कि मुसलमानों के मारने के लिए अब तलवार की आवश्यकता नहीं होगी.. क्योंकि अब तलवार से वो आपसे मरेंगे भी नहीं.. तलवार से नहीं मरने वाले हैं वो. आपको टेकनिक में उनसे बहुत आगे जाना होगा.. वो बहुत अच्छे हथियार लेकर बैठे हैं..“नरसिंहानंद-
इस भाषण में एक कह रहा है कि हमें संविधान के दायरे में लड़ना है. दूसरा कह रहा है कि मुसलमान अब तलवार से नहीं मरेंगे उन्हें मारने के लिए कुछ और सोचना होगा. लेकिन पुलिस इस नफरती नरसिंहानंद को पकड़ती नहीं है और दूसरी तरफ कफील खान को एनएसए के तहत जेल में बंद कर दिया जाता है. बेगुनाह होकर भी महीनों जेल में बिताना पड़ता है. आखिर कोर्ट को कहना पड़ता है कि कफील खान का बयान नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने वाला नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता का संदेश देने वाला था.
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार कहते हैं कि इस आयोजन से कोई हत्या नहीं हुई. कोई हथियार खरीदा नहीं गया. न ही कोई हथियार फैक्ट्री बरामद हुई. इसीलिए यूएपीए नहीं लगाया. मतलब हिंसा का इंतजार करें? नरसंहार होने दें? तब कार्रवाई करेंगे? अगर अब भी सरकार और पुलिस ये सब होने देगी तो हम पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?
दरअसल, 17 से 19 दिसंबर तक उत्तराखंड के हरिद्वार (Haridwar) में तीन दिवसीय ‘अधर्म’ संसद का आयोजन हुआ. हां अधर्म. जहां, हेट स्पीच, भड़काऊ बयान, मुसलमानों को मारने-काटने, महात्मा गांधी को गाली देने और हिंदुओं से हथियार उठाने का आह्वान किया गया.
इस कार्यक्रम में अन्नपूर्णा मां उर्फ पूजा शकुन, धर्मदास महाराज, आनंद स्वरूप महाराज, सागर सिंधुराज महाराज, स्वामी प्रेमानंद महाराज, बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय, वसीम रिजवी ऊर्फ जितेंद्र त्यागी जैसे वक्ता थे. इस धर्म संसद में अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव डॉ. अन्नपूर्णा भारती कहती हैं,
"अगर आप उन्हें खत्म करना चाहते हैं, तो उन्हें मार डालें ... हमें 100 सैनिकों की जरूरत है जो इसे जीतने के लिए 20 लाख को मार सकें.”
मतलब भारत के बीस लाख मुसलमानों को मार डालिए?
इन लोगों ने जो कहा वो कहा, लेकिन सवाल है कि पुलिस ने क्या किया? बात-बात पर यूपीए और एनएसए लगाने वाली पुलिस क्यों इस बार कोई एक्शन नहीं ले रही? पुलिस क्यों कुछ नहीं कर रही है इसे समझना है तो आपको सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को देखना होगा.
जिसमें धर्म संसद के नाम पर हिंसा की बात करने वालों में से पांच लोग मौलवियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए हरिद्वार पुलिस के पास पहुंच गए. पुलिस ऑफिसर राकेश कथैट के साथ वीडियो में हरिद्वार धर्म संसद में शामिल हिंदू रक्षा सेना के प्रबोधानंद गिरी, यति नरसिंहानंद, पूजा शकुन पांडे, आनंद स्वरूप और वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण दिखाई दे रहे हैं.
वीडियो में पूजा शकुन पांडे पुलिस अधिकारी की ओर इशारा करते हुए कहती हैं, "एक संदेश जाना चाहिए कि आप बायस्ड नहीं हैं. आप प्रशासनिक अधिकारी हैं और आप सभी के प्रति इक्वल रहा करें. यह उम्मीद हम आपसे रखते हैं और आपकी सदैव जय हो. वहीं बगल में खड़े यति नरसिंहानंद कहते हैं, ''लड़का बायस होगा लेकिन हमारी तरफ होगा.'' फिर कमरे में मौजूद सभी लोग हंस पड़ते हैं. पुलिस अधिकारी मुस्कुराता है और सिर हिलाता है. मतलब 'कानून'...कानून तोड़ने वालों के साथ मिलकर कानून की खिल्लियां उड़ा रहा है.
हां, खानापूर्ति के लिए उत्तराखंड पुलिस ने अबतक 5 लोगों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में एफआईआर दर्ज की है. सबसे पहले पुलिस ने ताजा ताजा हिंदू बने वसीम रिजवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, बाद में स्वामी धरमदास और अन्नपूर्णा के नाम जोड़े गये हैं. अब जब उत्तराखंड पुलिस की किरकिरी हुई तो एफआईआर में सागर सिंधु महाराज और यति नरसिंहानंद का नाम भी जोड़ा गया है. खबर है कि पुलिस ने इन लोगों को पूछताछ के लिए समन भेजा है. लेकिन कमाल है कि नफरत फैलाने वाले खुद चलकर पुलिस के पास आ गए लेकिन मजाल है कि पुलिस इन्हें गिरफ्तार करे. एक बात और पुलिस ने इस मामले पर खुद संज्ञान नहीं लिया, बल्कि गुलबहार कुरैशी नाम के शख्स की शिकायत पर ये एफआईआर दर्ज किया है.
पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए सोशल मीडिया की होगी जांच- उत्तराकंड पुलिस
ये वही उत्तराखंड पुलिस है जिसने इसी साल फरवरी के महीने में एक निर्देश जारी किया था कि पासपोर्ट के लिए पुलिस वेरिफिकेशन प्रोसेस के दौरान अप्लाई करने वालों के सोशल मीडिया व्यवहार की जांच होगी. वो पुलिस आज सभी सबूत सामने में है लेकिन किसी को गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं कर रही है.
हेट स्पीच के खिलाफ धाराएं
अगर पुलिस इन नफरत फैलाने और हिंसा के लिए एलान करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कानून और धाराएं भूल गई हैं तो हम बता देते हैं.
153A और 153B- धर्म, नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना..
295 (ए) - धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए दुर्भावनापूर्ण काम ..
505 (1) बी - जनता के लिए भय का कारण जहां किसी व्यक्ति को राज्य या सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है.
124ए - राजद्रोह.
121 A
उत्तराखंड पुलिस ही नहीं बल्कि दिल्ली से लेकर यूपी पुलिस भी ऐसे नफरती लोगों को बचाने में पीछे नहीं हटी है. नरसिंहानंद ने महिलाओं के बारे में भद्दी बातें की, खुलेआम बार-बार मुसलमानों को मारने का ऐलान किया. लोगों से हथियार उठाने के लिए कहा. लेकिन कुछ नहीं हुआ. क्या ये अपराध नहीं है?
अब सवाल उठता है कि पुलिस किसकी शह पर ये सब कर रही है. जब एक इंटरव्यू में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी से इस धर्मसंसद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें तो कुछ पता ही नहीं, ये तो प्राइवेट कार्यक्रम था. सोचिए जिस केस में उनकी पुलिस मामला दर्ज कर चुकी है उसके बारे में उन्हें पता ही नहीं. माना कि बीजेपी शासित राज्य दिल्ली से चलते हैं लेकिन इतनी बेखबरी अविश्वसनीय नहीं है.
रायपुर में एक और 'अधर्म संसद' खुद को संत बताने वाले किसी कालीचरण ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गालियां दीं, हत्यारे गोडसे को हीरो बताया. जब छत्तीसगढ़ पुलिस ने उन्हें मध्य प्रदेश में जाकर गिरफ्तार किया तो एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी पर खुशी जताने के बजाय छत्तीसगढ़ पुलिस के तौर तरीके पर सवाल उठाने लगे. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने छत्तीसगढ़ को नसीहत दी कि इतनी फूर्ति नक्सल समस्या पर दिखाते तो अच्छा होगा. चूंकि मामला बापू का है तो बीजेपी के नेता खुलकर नहीं बोल रहे, लेकिन दिल की बात जुबां पर आ ही जा रही है.
ऐसी शह का नतीजा देखिए कि जिस हरिद्वार में नरसिम्हानंद कत्लेआम की अपील कर रहा है वहीं खड़ा होकर कालीचरण की गिरफ्तारी को और गांधी को कोसने लगा.
आप खुद फैसला कीजिए. नफरत के टेस्ट में पुलिस और आप कहां खड़े हैं. जिसकी जगह सलाखों के पीछे होनी चाहिए अगर वो खुलेआम घूमेगा, कत्लेआम की बात करेगा और पुलिस संविधान और कानून को भूल जाएगी तो हम पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?
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