कश्मीर का लड़का POK की लड़की दोनों के बीच प्यार और फिर जमाना बना प्यार के बीच दीवार.. ये किसी बॉलीवुड फिल्म की कहानी नहीं. हकीकत है, ये कहानी फिल्मी नहीं बिल्कुल रियल है, ये लड़का कश्मीर का, जिसे कुछ लोग अगवा करके POK ले गए और वो आतंकवादी बना और पीओके की लड़की के इश्क में ऐसा डूबा कि गोलियां बरसाने वाले हाथ मेहनत मजदूरी करने लगे. वैलेंटाइंस डे (Valentines Day) के इस खास मौके पर हम आपको एक ऐसे कपल की कहानी सुना रहे हैं, जिन्होंने अपने प्यार के लिए दुनिया से टक्कर और ली और अपना घर परिवार सब छोड़ दिया.
ये कहानी कश्मीर में रहने वाले एक युवक की है, जिसे कुछ लोग अगवा करके पीओके ले गए और वहां उसे कैंप में रखकर मिलिटेंसी की ट्रेनिंग दी. कई सालों तक वहां रहने के बाद एक दिन अचानक उसकी जिंदगी बदल गई, जब उसकी मुलाकात एक लड़की से हुई.
2003 में कश्मीर में आतंकवाद बहुत ज्यादा था, मैं स्कूल गया था, तभी रास्ते में वो लोग मुझे उठाकर ले गए. वहां कई साल तक रहा, वहीं मेरी मुलाकात सपिया से हुई, मुझे अच्छी लगीं तो मैंने रिश्ता भेजवाया.
मुख्तार को तो सपिया बी पसंद थी, लेकिन सपिया के लिए एक ऐसे लड़के से निकाह करना आसान नहीं था, जो आतंकवादी हो और जिसके पास खुद के रहने का ठिकाना ना हो, जब उसके रिश्तेदार ये रिश्ता लेकर आए तो उसने पहले तो इनकार कर दिया. लेकिन कहते हैं ना इश्क पर खुद का जोर नहीं होता, तो सपिया भी खुद को रोक नहीं पाई और एक दिन मुख्तार के साथ निकाह करने को तैयार हो गई, लेकिन अभी इस लव स्टोरी में और ट्विस्ट आने थे, सपिया तो तैयार हो गई, लेकिन उसके अब्बू को ये बिल्कुल गवारा नहीं था कि उसका दामाद एक आतंकवादी हो, तो उन्होंने रिश्ते को ठुकरा दिया.
पहले मेरी शादी के लिए रिश्ता आया तो मैंने इनकार कर दिया, लेकिन मेरे पापा ने बोला कि अगर मेरी बेटी से शादी करनी हैं तो आतंकवाद छोड़ दो और यहीं रुक जाओ.
लड़की के अब्बा बड़ी मुश्किल से आखिर में निकाह के लिए तैयार तो गए, लेकिन उन्होंने इसके लिए शर्त रखी कि मुख्तार शादी करने के लिए मिलिटेंसी छोड़ दे और POK में ही बस जाए. मुख्तार ने सारी शर्तें मान लीं और सबकुछ छोड़कर निकाह के बात वहीं बस गया. लेकिन कुछ सालों के बाद जब अपने घरवालों की याद सताने लगी तो वापस आने का फैसला किया, लेकिन उसके ससुरालवालों को ये बिल्कुल गंवारा नहीं था. लेकिन उसके इस फैसले में उसकी पत्नी ने साथ दिया और रात के अंधेरे में अपने घर-परिवार को बिना बताए चुपचाप उसके साथ कश्मीर आ गई.
मुझे नहीं मालूम था कि कश्मीर कैसा है, लेकिन यहां आए तो पता चला कि यहां के लोग कितने अच्छे है. बस इस बात का गम है कि मेरे घरवालों से मेरी बात नहीं हो पाती.सपिया बीं
कश्मीर आकर मुख्तार ने सरेंडर किया और कुछ महीने उसे जेल में भी गुजारने पड़े, लेकिन अब वो अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ अपने गांव में आम लोगों की तरह जिंदगी गुजार रहा है.
रिपोर्टर- स्मिता चंद
वीडियो एडिटर- मोहम्मद इरशाद आलम
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