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वेबकूफ: जनवरी में फैलाई गईं ये फेक न्यूज आप तक भी पहुंचीं क्या?

जनवरी में इन फेक न्यूज ने लोगों को फंसाया अपने जाल में

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

मेरे यानी डॉ. वेबकूफ के साथ साल के पहले अपॉइंटमेंट में आपका स्वागत है. हर महीने मैं आपके लिए फेक न्यूज के केस सामने लाता हूं जिसकी हमारी टीम वेबकूफ पड़ताल करती है. हो सकता है आप भी इनमें से कुछ का शिकार हो गए हों. अगर ऐसा है, तो सच मैं बताऊंगा और अगर नहीं, तो इसे फेक न्यूज से बचाव की वैक्सीन समझ लीजिएगा.

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उदाहरण के लिए कोरोनावायरस पर सोशल मीडिया पोस्ट को ही ले लीजिए. एक WhatsApp मैसेज में आपको इस नए वायरस का पेटेंट मिल जाता है. इसके अलावा वायरस के लिए आप बिल और मेलिंडा गेट्स को कसूरवार ठहरा सकते हैं. हर फेक न्यूज की तरह इस बार भी पुराने कोरोनावायरस का चीन में एक्टिव नए ‘कोरोनावायरस’ से कोई लेना-देना नहीं है.

CAA प्रदर्शन पर फेक न्यूज

देशभर में CAA के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं और इसी के साथ फेक न्यूज की तादाद भी बढ़ गई है. पड़ोसी देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक वीडियो शेयर किया जिसमें पुलिस लोगों के साथ बर्बरता से पेश आ रही है. खान ने दावा किया कि वीडियो उत्तर प्रदेश का है. इमरान ने ट्वीट में लिखा “UP में पुलिस ने किया मुस्लिमों का नरसंहार”. ये एकदम फेक है! वीडियो 2013 का है और भारत नहीं बांग्लादेश के ढाका का है.

वहीं, हमारे देश में बीजेपी प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने एक्टिविस्ट और पूर्व JNU छात्र उमर खालिद का एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया. दावा किया गया कि खालिद ने मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर प्रदर्शन के दौरान ‘हिंदुओं से आजादी’ का नारा लगाया. खालिद ने कई नारे लगाए थे लेकिन कहीं भी ‘हिंदुओं से आजादी’ का नारा नहीं लगाया.

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मीडिया की गलत रिपोर्टिंग

पहले मीडिया की गलत रिपोर्टिंग एक बार हुई बीमारी थी. फिर वो मौसमी बीमारी बन गई और अब तो ये साल भर चलती है. एंटी-CAA प्रदर्शन के एक मामले में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को जमानत मिली तो वो अगले दिन जामा मस्जिद पर संविधान की प्रस्तावना पढ़ने पहुंच गए. Times now, News 18 Hindi, Mail Today और कई मीडिया आउटलेट ने कहा कि आजाद ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है जिसमें उन्हें 4 हफ्तों तक जामा मस्जिद न जाने का निर्देश था.

टीम वेबकूफ ने जमानत का आदेश पढ़ा जिसमें साफ लिखा था कि उनके जामा मस्जिद जाने पर कोई रोक नहीं थी.

दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘छपाक’ को काफी ट्रोल किया गया. कुछ लोगों को दीपिका का एंटी-CAA प्रदर्शन में शामिल होना हजम नहीं हुआ. इस ‘बदहजमी’ की हालत को मीडिया ने और ‘खराब’ कर दिया, जब ये दावा किया गया कि फिल्म में एसिड अटैकर का नाम ‘नईम खान’ से ‘राजेश’ कर दिया गया है.

अब सब कम्युनल है जी! आप देख रहे हैं न, क्या चल रहा है?

जो भी हो असली एसिड अटैकर का नाम ‘नदीम’ है, जिसे फिल्म में ‘बब्बू’ उर्फ ‘बशीर खान’ के नाम से दिखाया गया है. धर्म में कोई बदलाव नहीं है. मीडिया की गलत रिपोर्टिंग का साफ उदाहरण.

खुद को फेक न्यूज से बचाना आसान है. क्विंट पर वेबकूफ सेक्शन देखें. कॉमन सेंस का इस्तेमाल करें और बिना सोर्स जाने किसी फॉरवर्ड को आगे फॉरवर्ड करने से बचें या तो फिर आप भी यकीन करेंगे कि ऑस्ट्रेलिया में जंगल की आग में बाघ जलकर खाक हो गए हैं. जबकि ऑस्ट्रेलिया में बाघ नहीं हैं!

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