कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के हालात न्यूटन और आइंस्टाइन की बिल्लियों की तरह हो गए हैं. राज्य में लोकसभा चुनाव का ऐलान तो चुनाव आयोग ने कर दिया लेकिन विधानसभा चुनाव कराने के लिए सुरक्षा कारणों का हवाला दे रही है. अब यहां पर ये बताना जरूरी हो गया है कि आखिर आइंस्टीन और न्यूटन की बिल्लियों कश्मीर चुनाव में ऐसा कॉमन क्या है? यही बता रहे हैं व्यंग्यकार नवेद...
आइंस्टीन की बिल्ली
अल्बर्ट आइंस्टीन के पास एक बिल्ली थी. जब बारिश हो जाती थी, तो बिल्ली उदास हो जाती थी तो आइंस्टीन उसको बोलते थे, 'मुझे मालूम है कि तुम उदास क्यों हो', 'लेकिन मैं इसको बंद नहीं कर सकता'.आइंस्टीन की इस बात को याद रखते हुए हम कश्मीर की हालात देखते हैं तो पता चलता है कि कश्मीर के लोग चाहते हैं कि वहां चुनाव हो जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है. जैसे कि बारिश रुकवाना चाहते थे, लेकिन नहीं रोक पाते थे .आइंस्टीन की बिल्ली की तरह कश्मीर के लोग भी उदास हो रहे हैं. चुनाव का मौसम चल रहा है, लेकिन वहां विधानसभा चुनाव नहीं हो रहे हैं.
न्यूटन की बिल्ली
अब आते हैं न्यूटन साहब की कहानी पर, न्यूटन ने बढ़ई बुलाया और कहा- 'मेरे घर के दरवाजे में दो छेद कर दो'.'बिल्ली के आने जाने के लिए'.उसने पूछा दो छेद क्यों? कहने लगे कि एक बड़ी बिल्ली के लिए, एक छोटी बिल्ली के लिए. छोटे छेद में से बड़ी बिल्ली कैसे जाएगी?
कश्मीर में चुनाव
कश्मीर की हालत भी आज ऐसी ही हो रही है. कश्मीर का इलेक्शन आप देखिए, तीन महीने पहले, वहां पर पंचायत और लोकल बॉडीज के इलेक्शन हुए जबकि वहां की सारी पार्टियों ने इसका बायकॉट किया था. इलेक्शन कमीशन ने ये ऐलान कर दिया है कि कश्मीर में लोकसभा चुनाव समय से होंगे. वहां के राजनीतिक दल ये मांग कर रहे हैं कि साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी करा दिया जाए. उसके लिए कोई न कोई कारण बताया जा रहा है, या नहीं बताया जा रहा है. हमें खुद नहीं मालूम, जब लोकसभा चुनाव हो सकते हैं, स्थानीय चुनाव हो सकते हैं तो वहां विधानसभा चुनाव क्यों नहीं हो सकते? वहां की जनता चाहती है कि चुनाव हो जाए. राजनीति दल चाह रहे हैं चुनाव हो जाए.कश्मीर के इस हाल में कोई सांइस है, न्यूटन का कोई लॉ है या सिर्फ पॉलिटिकल साइंस है.
आइंस्टीन की प्रॉब्लम थी How to Switch the rain off?
कश्मीरियों की प्रॉब्लम है How to bring the election on?
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