वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
कश्मीर के श्रीनगर के 51 वर्षीय नजीर अहमद डार 30 दिसंबर से इराक में हिरासत में हैं. डार का केस गलत पहचान का लगता है. उनके नाम और जन्म के साल के साथ इंटरपोल ने एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था जिसके बाद वो हिरासत में ले लिए गए. डार की पत्नी भारतीय अधिकारियों से उनकी वापसी की गुहार लगा रही हैं.
क्विंट से बात करते हुए भारत वापस लौटीं डार की पत्नी बिस्मिल्लाह रोते हुए बताती हैं,
“वो निर्दोष हैं. वो पढ़े-लिखे नहीं हैं. वो हर सुबह मस्जिद में नमाज पढ़ने जाते हैं. उन्होंने कुछ नहीं किया है, जो उन्हें पकड़ लिया गया है. वो मिलिटेंट नहीं हैं.”
डार और उनकी पत्नी धार्मिक यात्रा पर इराक गए थे. वो दोनों मक्का, मदीना और शाम भी गए थे. इस यात्रा के बाद उनकी बेटी की शादी होनी थी. जब वो इराक जा रहे थे तभी उन्हें एयरपोर्ट पर रोक लिया गया. बिस्मिल्लाह भारतीय अधिकारियों से डार को वापस लाने की गुहार लगाती हैं.
नजीर अहमद डार को क्यों हिरासत में लिया गया?
पेशे से किसान डार को इराकी अधिकारियों ने अल नजफ इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 31 दिसंबर को रोक लिया था. डार सीरिया से लौट रहे थे और उनका नाम इंटरपोल की वॉच लिस्ट में होने का आरोप लगाया गया.
रेड कॉर्नर नोटिस के मुताबिक, कोई ‘नजीर अहमद डार’ आपराधिक साजिश के लिए वॉन्टेड है. इस शख्स का एक आतंकी संगठन से लिंक है और वो उस संगठन के लिए फंड भी इकट्ठा करता है.
बिस्मिल्लाह के पति नजीर डार को हिरासत में लिया गया जबकि पासपोर्ट पर उनका पता श्रीनगर का था. वहीं, रेड कॉर्नर नोटिस पर उस वॉन्टेड अपराधी का सोपोर का पता लिखा है.
डार किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं: J&K पुलिस
वहीं जम्मू-कश्मीर में जडिबल के SHO ने वहां के निवासी डार की जांच की और 4 जनवरी को एक लेटर में ये साफ किया कि वो किसी 'आपराधिक गतिविधि' में शामिल नहीं हैं.
Scroll.in की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इराक में भारतीय दूतावास ने 7 जनवरी को लेटर लिख डार की तुरंत रिहाई की मांग की है. दूतावास ने साफ किया कि ये 'मिस्टेकन आइडेंटिटी' का केस है.
डार और उनकी पत्नी 70 लोगों के उस समूह का हिस्सा थे, जो 4 देशों की तीर्थयात्रा पर निकले थे. इन देशों में सऊदी अरब, ईरान, सीरिया और इराक शामिल थे. वे 3 दिसंबर को भारत से चले थे और डार को सीरिया से इराक आने पर गिरफ्तार किया गया था.
उनके टूर गाइड, वली वहीद, जो खुद भी कश्मीर से हैं, बताते हैं कि इराक तीर्थयात्रा का अंतिम चरण था और उन्होंने अधिकारियों के साथ बात करने की कोशिश की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, जिन्होंने कथित तौर पर कहा कि उन्हें केवल "इंटरपोल" की मंजूरी के बाद रिहा किया जाएगा.
उनके परिवार के सदस्यों का मानना है कि शायद डार की मां के अंतिम नाम के रूप में 'सोपोरी' का उपयोग था, जिससे अधिकारियों को संदेह हुआ. एक रिपोर्ट के अनुसार, उनके बेटे को यह कहते हुए पाया गया है कि डार अनपढ़ थे और यह "उनके जीवन की पहली विदेश यात्रा थी."
डार की पत्नी बाकी तीर्थयात्रियों के साथ भारत लौट आई हैं, लेकिन डार अभी भी इराकी हिरासत में हैं. परिवार विदेश मंत्रालय से अपील कर रहा है कि वो इराक की सरकार से इस मुद्दे पर बात करें.
(श्रीनगर से मसरत जहरा और Scroll.in के इनपुट के साथ)
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