कोरोनोवायरस के प्रकोप के बाद क्रिकेट कैसा रहा? किसी भी भारतीय प्रशंसक से पूछेंगे तो वो आपको 2020 में होने वाले रोमांचक आईपीएल, प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी और इंग्लैंड के खिलाफ चल रही घरेलू श्रृंखला के बारे में बताएंगे. लेकिन महिला क्रिकेट का क्या?
चार मैचों का 'टूर्नामेंट', जिसे बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली 'महिला आईपीएल' कहते हैं, और यही है सब कुछ. भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पिछले 12 महीनों में एक भी मैच नहीं खेला है.
हालांकि, जम्मू और कश्मीर में सीन अलग है, जहां महिला क्रिकेटरों ने कई घरेलू टूर्नामेंट खेले हैं.
नहीं, इस पहल को जम्मू और कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) या सरकार के अन्य नेतृत्व वाले खेल निकायों की समझने की गलती न करें. बीसीसीआई प्रमाणित कोच डॉ. रूपाली स्लैथिया और जम्मू में उनके क्लब ने युवा क्रिकेटरों के सपनों को मरने नहीं दिया. प्रतियोगिताओं के आयोजन में होने वाली समस्याओं पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा-
“लंबे समय तक कोविड-19 लॉकडाउन के बाद फिर से चीजें सामान्य होने लगीं लेकिन सभी मैदान लड़कों से भरे हुए थे. हर कोई मैदान पर वापस आने के लिए बहुत उत्साहित था. इसलिए, महिला क्रिकेटरों के लिए जगह तलाशना वास्तव में कठिन था.”
जम्मू-कश्मीर U-23 टीम की कप्तान तनीषा शर्मा ने कहा, "ये एक शानदार पहल है. इससे पहले, हमारे लिए इस प्रकार के आयोजन नहीं होते थे, जिससे हमें राष्ट्रीय आयोजनों के दौरान परेशानी होती थी. इसलिए, ये टूर्नामेंट हमारे लिए बहुत मददगार हैं. इससे स्थानीय खिलाड़ियों को भी अनुभव प्राप्त होता है."
सिर्फ अनुभवी खिलाड़ी ही नहीं, युवा क्रिकेटर भी इनसे फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं.
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