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महिलाओं के लिए DTC बस में सफर जंग से कम नहीं, खुद इन्हीं से सुनिए

कैसा है DTC बसों का हाल? जानते हैं इन बसों में सफर करने वाली महिलाओं से ही

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कैमरा: Shivkumar Maurya
वीडियो एडिटर: Deepthi Ramdas

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एक शहर में अच्छे पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम का क्या काम होता है? लोगों को आने-जाने के लिए एक आसान और सुरक्षित जरिया देना. दिल्ली में जून 2017 तक 1,612 DTC बसें हैं और कई प्राइवेट बस ऑपरेटर्स भी जिनमें 32 लाख लोग रोजाना अपना सफर करते हैं. लेकिन इनकी सुरक्षा के क्या हालात हैं?

हर रोज हजारों महिलाएं दिल्ली की भीड़ भरी बसों में सफर करती हैं जहां आए दिन हैरेसमेंट की घटनाएं आम हैं. हाल ही में कमला नेहरू कॉलेज की एक छात्रा ने क्विंट को दिल्ली की बस के 544 रूट के बारे में लिख कर भेजा जो इस तरह की वारदात को अंजाम देने वालों के लिए ‘सुरक्षित ठिकाने’ हैं.

“मुझे रोज रूट 544 से बस लेनी पड़ती है, जो मेरी तरह और भी कई कॉलेज की लड़कियों को लेकर जाती है. यहां सबसे ज्यादा हैरेसमेंट की वारदातें होती हैं क्योंकि ऐसे लोग इसी बस को अपना निशाना बनाते हैं”

2012 में निर्भया केस के बाद दिल्ली सरकार ने वादा किया था कि बसों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए जाएंगे. जिनमें हर DTC बस में मार्शल ड्यूटी, CCTV कैमरा, GPS ट्रैकर और पैनिक बटन जैसी चीजें शामिल थी.

दिल्ली की बसों में क्या बदला?

क्विंट ने बसों में सफर करने वाली कुछ महिलाओं से बात की और जाना पिछले 6 सालों में दिल्ली की सड़कों में क्या बदला?

हमने महिलाओं और बस कंडक्टरों से पूछा कि क्या बसों में मार्शल की तैनाती हो रही है? ज्यादातर के जवाब थे कि उन्होंने कभी किसी DTC बस में मार्शल को नहीं देखा. 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार का दावा था की बसों में 3 हजार से ज्यादा मार्शल की तैनाती कर दी गई है, फिर वो कहां हैं?

सिर्फ शाम के वक्त मार्शल की तैनाती का क्या मतलब है? रूट 544 और कई रूट में सफर करने वाली औरतें कई बार दिन में हैरेसमेंट की शिकायत कर चुकी हैं. क्या सरकार सुन रही है? 
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‘जंग की तरह है बस का सफर’

हमने कई महिलाओं से बात की, जिनमें से कुछ ने कहा उन्हें ‘अब तक’ कभी किसी हैरेसमेंट का सामान नहीं करना पड़ा, तो कुछ ने बताया उन्होंने सफर के वक्त बदसलूकी करने वाले आदमियों को मारा भी है.

“आदमी अजीब तरह से खड़े होकर भद्दे कमेंट करते हैं और सब लोग सिर्फ देखते रहते हैं’
“जब मैंने एक दिन अपने साथ बदसलूकी करने वाले शख्स के खिलाफ आवाज उठाई, कोई मेरी मदद के लिए आगे नहीं आया. फिर मुझे खुद कदम उठाना पड़ा’

दिल्ली सरकार कई बार ऐसी घटनाओं के खिलाफ कदम उठाने की बात करती है लेकिन ये लागू हो रहे हैं या नहीं इसकी सुध कौन लेगा?

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