अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद से महिलाओं पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं. तालिबान महिलाओं पर निकाह, बुर्का और पढ़ाई को लेकर तमाम तरह की बंदिशें लगा रहा है.
इसी मुद्दे पर 'क्विंट' ने भारत रत्न सीमांत गांधी की पोती यास्मीन निगार खान से विशेष बातचीत की.
"मैं अफगानिस्तान की बहनों और मांओं को यह कहना चाहती हूं कि, आप कभी भी खुद को अकेला न समझें, आपके साथ पूरी दुनिया की औरतें हैं."'क्विंट' से बातचीत करते हुए यास्मीन
उनका कहना है कि इस प्रकार के तालिबानी राज को इस्लाम मान्यता नहीं देता है.
जबरन निकाह इस्लाम में नहीं
"पहली बात तो लड़कियों की निकाह के बारे में जो उन्होंने (तालिबान) कहा है, जबरदस्ती. ये तो हमारे इस्लाम मे नहीं है, ये हमारे कुरान में नहीं है, ये हमारे शरियत में नहीं है."
यास्मीन आगे कहती हैं कि, जब लड़कियां नहीं राजी हैं, उनके माता-पिता नहीं राजी हैं तो आप निकाह कैसे कर सकते हैं? हमारे यहां निकाह में सबसे पहले लड़की की रजामंदी ली जाती है फिर मर्द से पूछा जाता है. आप जबरन निकाह कैसे कर सकते हैं?
तालिबान कौन से इस्लाम की बात कर रहा है?
"बिना मर्द के औरतें बाहर निकल सकती हैं, ऐसा अरब में भी होता है. और पर्दे की बात पर कहती हैं कि,
"पर्दा अपने अंदर का होता है, शर्म सबसे बड़ी चीज होती है. सऊदी अरब में हज करने जाने पर बुर्का पहनने या न पहनने पर कोई रोक नहीं है. जब वहां पर रोक नहीं है तो आप कौन से इस्लाम की बात कर रहे हैं?"
तालिबान को लेकर हैं काफी चिंतित
यास्मीन निसार खान अफगानिस्तान की महिला एक्टिविस्ट को लेकर विशेष तौर पर चिंतित हैं.
"तालिबान उनके साथ कैसा सुलूक करेगा, कुछ पता नहीं है. तालिबान तो औरतों की एजुकेशन के भी खिलाफ है, लड़कियों की एजुकेशन के खिलाफ है"यास्मीन
यास्मीन भारत सरकार और पूरी दुनिया की कम्युनिटी से आग्रह करते हुए कहती हैं कि, सब मिलकर अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करें. उनकी आजादी का हनन न होने दें और महिलाओं की शिक्षा को सुनिश्चित करें.
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