दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर 1 साल से ज्यादा समय से चल रहा किसान आंदोलन (Farmers Protest) गुरुवार 9 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच समझौते के बाद खत्म हो गया.
किसानों ने आंदोलन खत्म होने के बाद अपने अपने घरों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है. किसान आंदोलन के एक बड़े चेहरे योगेंद्र यादव से क्विंट ने खास बातचीत की जिसमें उन्होंने इस पूरे आंदोलन पर अपनी राय रखी.
किसानों ने आत्मसम्मान पाया-योगेंद्र यादव
द क्विंट ने योगेंद्र यादव से पूछा कि 378 दिन तक चले इस आंदोलन में किसानों ने क्या खोया और क्या पाया तो इस पर योगेंद्र यादव ने जवाब दिया कि किसानों ने दरअसल अपना 'संकोच' खोया है. उन्होंने कहा
पहले कोई बच्चा कॉलेज जाता था तो उसे बताने में शर्म आती थी उसके पिता किसान हैं. उसने ये संकोच खो दिया है. अब वह छाती ठोक कर कहता है कि वह किसान का बेटा है. नो फार्मर, नो फूड, नो फ्यूचर कहने का आत्मसम्मान पाया है.
उन्होंने आगे कहा कि "किसानों ने अपना बंटवारा भी खोया है. किसान ने अपनी पांचों उंगलियों को एक मुट्ठी में बंद करके अपनी एकता पाई है. यह किसान की उपलब्धि है."
उन्होंने कहा कि
किसानों की स्थिती दरअसल हनुमान जी जैसा है, जिन्हें खुद नहीं पता कि उन में कितनी ताकत है. इस आंदोलन के दौरान किसानों ने अपनी ताकत डिस्कवर की है. देश भर के नेताओं को यह बात समझ आ गई है कि भूल कर भी आगे से किसानों से पंगा नहीं लेना है.
संयुक्त किसान मोर्चा के नाम पर चुनाव लड़ना गलत- योगेंद्र यादव
द क्विंट ने योगेंद्र यादव से पूछा कि इस आंदोलन के दौरान कुछ लोगों का नाम खूब चर्चा में रहा है और अब ऐसी बातें चल रही है कि वो चुनाव लड़ सकते हैं. इस पर योगेंद्र यादव ने कहा कि "ये एक लोकतांत्रिक देश है और किसी का भी अधिकार है चुनाव लड़ना लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के नाम से चुनाव लड़ना बहुत गलत काम होगा वह इस आंदोलन के साथ गद्दारी होगी." उन्होंने आगे कहा,
"मैं शुरू से कहता आया हूं कि किसान को राजनीति करनी चाहिए लेकिन ऐसी राजनीति नहीं की 4 एमएलए और एक सीएम बना दिया. ये छोटी राजनीति है. किसान की राजनीति ये है कि वह इस देश की चुनावी राजनीति का एजेंडा बना है."
MSP पर कुछ ज्यादा नहीं मिला
क्विंट ने योगेंद्र यादव से पूछा कि आप जिन मुद्दों के दम पर यह आंदोलन चला रहे थे क्या वह सभी मांगे पूरी हो गई ? इस पर योगेंद्र यादव ने कहा कि
"हमारी सबसे बड़ी मांग तीन कृषि कानूनों की वापसी थी जो कि पूरी हो गई लेकिन एमएसपी भी हमारी मांग का एक बड़ा हिस्सा था. इसमें हमें कुछ ज्यादा नहीं मिला है. सरकार ने सिर्फ आश्वासन दिया है कि एमएसपी का प्रोक्योरमेंट कम नहीं किया जाएगा. एमएसपी का संघर्ष लंबा है. सरकार कमेटी बना रही है लेकिन मुझे किसी कमेटी पर विश्वास नहीं है.
अजय मिश्रा दिल्ली की बर्खास्तगी न होने के सवाल पर योगेंद्र यादव ने कहा कि "हमने अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी की मांग की थी लेकिन वह बर्खास्त नहीं हुए. इस पर देश की जनता उन्हें सबक सिखाएगी मैं चाहता हूं कि यह अजय मिश्र टेनी को लेकर पूरे 400 कांस्टीट्यूएंसी में घूमे. इन्हें उत्तर प्रदेश की जनता सबक सिखाएगी."
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