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बनावटी फेमिनिज्म पर क्यों जाऊं वारी-वारी, ‘अब Laugh नारी’

क्विंट की रीडर सबीना बता रही हैं कि उन्हें किन घिसी-पिटी ‘संस्कारी’ सोच पर आती है हंसी..

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Hey नारी!

सुनो, मुझे बनावटी फेमिनिज्म पर बहुत हंसी आती है. जब कोई मर्द अपनी आसपास की लड़कियों के सामने काफी cool बनता है, खुद को फेमिनिस्ट जताता है, लेकिन उम्मीद करता है कि उसके घर में जाते ही उसकी पत्नी उसके लिए पानी का ग्लास और गरमागरम खाने से उसका स्वागत करे. मेरे ख्याल से वो बनावटी फेमिनिज्म का दिखावा करता है. और मुझे इस पर हंसी आती है.

हा हा हा!

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(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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