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आर्मी अफसरों की पत्नियों की मांग, कैंट एरिया को आम रास्‍ता न बनाएं

“रक्षा मंत्रालय के इस आदेश से हजारों सैनिक परिवारों की जिंदगियां खतरे में पड़ सकती हैं.”

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वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई

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आर्मी अफसरों की पत्नियों ने कैंटोनमेंट बोर्ड एरिया के सारे रास्ते खोल दिए जाने पर चिंता जताई है.

20 मई को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्मी चीफ और डिफेंस सेक्रटरी के साथ हुई मीटिंग के बाद ऐलान किया कि देश के सभी 62 कैंटोनमेंट एरिया की बंद सड़कों को आम लोगों के लिए खोला जाएगा. इसके बाद आर्मी हेडक्वॉर्टर की तरफ से 21 मई को निर्देश जारी किए गए कि कैंटोनमेंट एरिया से सभी बैरियर, चेकपोस्ट और रोड ब्लॉक्स को हटा लिया जाए. साथ ही किसी वाहन को रोका नहीं जाएगा और न ही तलाशी होगी.

कई सेना अधिकारी की पत्नियों ने रक्षा मंत्रालय को लेटर लिख इस आदेश को वापस लेने की गुजारिश की है.

दिल्ली, बादामी बाग छावनी, श्रीनगर, सतवारी कैंट जम्मू और कन्नूर छावनी को इस आदेश से छूट दी गई थी.

सड़कें खोलने का ऑर्डर जारी करने के बाद विरोध को देखते हुए 31 मई, 2018 को रक्षा मंत्री सीतारमण ने सेना अधिकारियों की पत्नियों के एक प्रतिनिधिमंडल को तय किया कि 1 महीने के भीतर इसकी समीक्षा की जाएगी.

प्रतिनिधिमंडल की एक सदस्य अस्मिता टैगौर ने क्विंट को बताया:

एक महीना हो गया है, लेकिन इस फैसले को लेकर कोई समीक्षा नहीं की गई है. इसे अब तक पब्लिक नोटिस में नहीं लाया गया है.
अस्मिता टैगौर, सेना अधिकारी की पत्नी

सेना अधिकारियों की पत्नियों का कहना है कि रक्षा मंत्रालय के इस आदेश से हजारों सैनिक परिवारों की जिंदगियां खतरे में पड़ सकती हैं.

हमने पिछले 5-7 सालों में बहुत परेशान करने वाला ट्रेंड देखा है. हमने आतंकवादियों को कैंट एरिया में घुसते और सेना के परिवारों को टारगेट करते देखा है. संजुवान, उरी, नगरौटा, पठानकोट, जंगलोत, सांबा में यही हुआ. युवा लेफ्टिनेंट उमर फय्याज को याद कीजिए, जब वो छुट्टी पर थे, तभी उन्हें किडनैप किया गया और मारा गया. ये आतंकवादी परिवारों को नुकसान पहुंचाकर सैनिकों के मनोबल को चोट पहुंचाना चाहते हैं. मुझे नहीं लगता कि रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सूझबूझ के साथ ये कदम उठाया है 
मधु राणा, सेना अधिकारी की पत्नी

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