ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रिया रमानी केस:वर्कप्लेस हैरेसमेंट पर कोर्ट ने कहीं ये खरी बातें

कोर्ट ने कहा है कि- 'समाज में प्रतिष्ठा रखने वाला व्यक्ति भी एक सेक्शुअल हैरेसर हो सकता है.'

Published
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

दिल्ली ट्रायल कोर्ट ने 17 फरवरी को प्रिया रमानी मानहानी वाले केस में फैसला सुनाते हुए पत्रकार प्रिया रमानी को दोषमुक्त करार दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने #MeToo प्रकरण के बाद प्रिया पर मानहानि का केस किया था. जज रवींद्र कुमार ने ये माना है कि 'फैसला सुनाते वक्त वर्कप्लेस पर होने वाले प्रणालीगत अब्यूज को ध्यान में रखा गया है.'

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जज ने इस केस की सुनवाई के दौरान कुछ अहम बातें कहीं. उन्होंने कहा कि- 'समाज में प्रतिष्ठा रखने वाला व्यक्ति भी एक सेक्शुअल हैरेसर हो सकता है.'

कोर्ट ने ये माना है कि जिस वक्त हैरेसमेंट किए जाने का आरोप लगाया गया है तब सेक्शुअल हैरेसमेंट को रोकने और प्रक्रिया तय करने वाली विशाखा गाइडलाइंस का अभाव था.

कोर्ट ने 'सिस्टेमिक अब्यूज एट वर्कप्लेस' को माना है. प्रिया रमानी और गजाला वहाब ने जो टाइम बताया है, कोर्ट उस वक्त वर्कप्लेस पर होने वाले सेक्शुअल हैरेसमेंट के मामले सुलझाने वाले सिस्टम के अभाव का संज्ञान लेता है.
प्रिया रमानी मानहानी केस, दिल्ली कोर्ट
0

दशकों बाद भी की जा सकती है शिकायत: कोर्ट

कोर्ट ने कहा है कि महिला को अगर किसी से शिकायत है तो वो दशकों बाद भी किसी भी प्लेटफॉर्म पर जाहिर कर सकती हैं.

इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि लोग ऐसा मानते हैं कि सेक्शुअल हैरेसमेंट सिर्फ बंद दरवाजे के पीछे होता है. कई बार पीड़ित को खुद ही नहीं पता होता कि उसके साथ गलत हो रहा है. कोर्ट ये मानती है प्रिया और गजाला के वक्त पर ऐसे मामलों को निपटाने के लिए उचित व्यवस्था का अभाव रहा.
रवींद्र कुमार पांडे
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'रसूखदार व्यक्ति भी कर सकता है सेक्शुअल हैरेसमेंट'

कोर्ट ने ये कहा है कि अब समाज को ये समझने की जरूरत है कि एक महिला पर सेक्शुअल हैरेसमेंट का क्या असर होता है.

'व्यक्ति की गरिमा की कीमत पर प्रतिष्ठा के अधिकार की रक्षा नहीं की जा सकती'
प्रिया रमानी मानहानी केस, दिल्ली कोर्ट
ADVERTISEMENTREMOVE AD

जज रवींद्र कुमार पांडे ने कहा है कि - "समाज को ये समझना होगा कि सेक्शुअल हैरेसमेंट करने वाला कोई आम सा व्यक्ति भी हो सकता है जिसके परिवार और दोस्त होंगे. वो रसूखदार व्यक्ति भी हो सकता है. जो भी महिला ऐसे अब्यूज का सामना करती है वो अक्सर चरित्र पर हमला होने के डर से नहीं बोलती हैं."

हमारे समाज को समझने की जरूरत है कि कई बार पीड़ित महिलाएं मेंटल ट्रॉमा की वजह से कई साल तक इसके बारे में नहीं बोलती हों. एक महिला को इसलिए सजा नहीं दी जा सकती क्यों कि उसने अपने सेक्शुअल अब्यूज के खिलाफ आवाज उठाई.
प्रिया रमानी मानहानी केस, दिल्ली कोर्ट
ADVERTISEMENTREMOVE AD

पत्रकार प्रिया रमानी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में बरी होने के बाद इसे 'महिलाओं और मीटू आंदोलन' के लिए एक जीत बताया है. उन्होंने कहा कि अदालत के सामने सत्य को प्रमाणित होते देख बहुत अच्छा लगा. दरअसल मीटू आंदोलन के तत्वाधान में रमानी ने 2018 में पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था, जिसके बाद अकबर ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करवाया था और केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×