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#TalkingStalking चुप्पी तोड़ो, ऋचा अनिरुद्ध के साथ

अब वक्त सहने का नहीं, खुलकर बोलने का है

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क्या आप जानते हैं कि स्टॉकिंग, यानी लड़कियों का पीछा करना हमारे देश में जमानती अपराध है. बगैर गहरी जांच के, ऐसा करने वाले मनचलों को आसानी से जमानत मिल जाती है. इस वजह से अक्सर पीड़ित लड़कियां गंभीर मुसीबतों में फंस जाती हैं. क्विंट लेकर आ रहा है एक खास शो- #TalkingStalking चुप्पी तोड़ो. ये हमारी मुहिम है स्टॉकिंग को एक गैर-जमानती अपराध बनाने के लिए. इस मुहिम में क्विंट के साथ जुड़े हैं एडवोकेट कामिनी जायसवाल और सांसद शशि थरूर जो इसे संसद में एक प्राइवेट बिल के तौर पर पेश करेंगे.

आंकड़े चौंकाते हैं

देश में लड़कियों का पीछा किए जाने के मामले (स्टॉकिंग) दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं.

स्टॉकिंग के 80 फीसदी से ज्यादा आरोपी चार्जशीट दाखिल करने से पहले ही जमानत पर रिहा हो जाते हैं.
--नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो

काफी मामलों में ऐसा देखा गया है कि जमानत पर आने के बाद स्टॉकर्स उन लड़कियों को और ज्यादा परेशान करने लगते हैं. ये मनचले एसिड अटैक, रेप और कई बार हत्या तक की वारदात को अंजाम देते हैं. कुछ महीने पहले ही, उत्तर प्रदेश के एक गांव में 17 साल की एक लड़की की चार लड़कों ने हत्या कर दी. ये सभी लड़के छह महीने से ज्यादा समय से उस लड़की का पीछा कर उसे परेशान कर रहे थे और अंततः उसे मौत की आगोश में सुला दिया. चेन्नई में 21 साल की एक महिला को उसके पूर्व सहपाठी ने घर में जिंदा जला दिया, क्योंकि उसने शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

अगर स्टॉकिंग देश में इतना कॉमन हो गया है, तो क्या ये गैर-जमानती अपराध नहीं होना चाहिए?

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क्विंट ने वरिष्ठ वकील कामिनी जायसवाल और सांसद डॉ. शशि थरूर के साथ मिलकर मुहिम शुरू की है. इसमें स्टॉकिंग को गैर जमानती अपराध बनाने का प्रावधान किया जाना है. वर्णिका कुंडु भी इस मुहिम से जुड़ी हैं जो कुछ वक्त पहले चंडीगढ़ में स्टॉकिंग का शिकार हुई थीं.

अगर आप हमारी इस मुहिम में शामिल होना चाहते हैं, तो इस पिटीशन पर दस्तखत कर अपना समर्थन जताएं.

ये भी पढ़ें- #TalkingStalking: आपका भी कभी पीछा किया गया है, तो हमें बताएं

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