एक साधारण किसान ने जैविक खाद बनाकर करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया. इनके जज्बे को बुंदेलखंड सलाम करता है. किसान ज्ञासी अहिरवार ने 20 किलो केंचुए से खाद बनाने का कारोबार शुरू किया था, आज इनके पास 50 टन खाद बनकर तैयार है, जिसकी कीमत लाखों रुपए है.
केंचुआ खाद, वर्मी कम्पोस्ट बनाने के साथ ही ये 20 एकड़ खेत में जैविक ढंग से खेती करते हैं. इनकी खाद और जैविक सब्जियों की मांग दूसरे जिलों में रहती है जिससे इन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है. बुंदेलखण्ड का जैविक खाद का ये सबसे बड़ा प्लांट है.
ललितपुर जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में आलापुर गांव में मेन रोड पर अम्बेडकर बायो फर्टिलाइजर के नाम से ज्ञासी अहिरवार का कई एकड़ में प्लांट लगा है. एक साधारण किसान ज्ञासी अहिरवार (59 साल) जैविक खाद का कारोबार शुरू करने को लेकर अपना अनुभव शेयर किया. उन्होंने कहा, “लोगों से जैविक खाद बनाने के बारे में अकसर सुना करता था, मैं पढ़ा लिखा नहीं था इसलिए नौकरी की उम्मीद तो बिल्कुल नहीं थी, खेती में ज्यादा पैदा नहीं होता था, केंचुआ और वर्मी कम्पोस्ट खाद का कई जगह प्रशिक्षण लिया.”
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इस कारोबार को शुरू करने के लिए इनके पास रुपए नहीं थे. इनका कहना है, “बैंक से 10 लाख रुपये का लोन लेकर 12 साल पहले 20 किलो केंचुआ से शुरुआत की थी. शुरू में कुछ संस्थाओं ने तीन लाख की खाद खरीद ली, इससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ा, तब से लगातार इसका कारोबार कर रहे हैं, आज हमारे पास पांच करोड़ की खाद इकट्ठा है.”
कहां से आती है डिमांड
ज्ञासी के पास जैविक खाद की मांग मध्य प्रदेश के 14 जनपदों से आती है. अपनी बीस एकड़ खेती में ज्ञासी पुराने अनाज और सब्जियों की खेती जैविक ढंग से करते हैं. दिल्ली और देहरादून में इनकी सब्जियां और देशी अनाज जाते है जिनका इन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है.
ज्ञासी अहिरवार पढ़े-लिखे भले ही न हों, पर जैविक खाद बनाने को लेकर उनके अनुभव की चर्चा पूरे बुंदेलखंड में है. इनके जज्बे को सरकारी विभाग से लेकर किसान तक सभी सलाम करते हैं. ये इटली, जर्मनी जैसे कई देशों में अपना अनुभव साझा करने के लिए जा चुके हैं.
ज्ञासी अहिरवार का कहना है, “पुराने अनाज कोदो, कुटकी, ज्वार जैसे कई अनाज जो विलुप्त हो चुके हैं. उनको बचाने की कोशिश है. अपनी बीस एकड़ जमीन में सिर्फ देशी अनाज और सब्जियां उगाते हैं.”
बीज, खाद, कीटनाशक दवाइयां कुछ भी बाजार से नहीं खरीदते हैं, एक किलो केंचुआ 610 रुपए किलो में बिकता है. वर्मी कम्पोस्ट के एक किलो के पैकिट 15-20 रुपए में बिक्री हो जाती है, कृषि विभाग से लेकर गैर सरकारी संस्थाएं इन पैकिटों को खरीदती हैं.ज्ञासी अहिरवार, किसान
गमलों से लेकर अपने किचन में इस जैविक खाद का लोग प्रयोग करते हैं.
जैविक खाद बनाने से लेकर जैविक खेती करने के अलावा ज्ञासी अहिरवार किसानो को हर महीने की 15 तारीख को फ्री प्रशिक्षण भी देते हैं. ज्ञासी ने पिछले साल करीब 50 लाख का कारोबार किया था.
जिन किसानों को इनसे सलाह लेनी होती है, वो कभी भी आकर सलाह ले सकते हैं. ज्ञासी अहिरवार इसकी बिक्री कैसे करते हैं इस पर उनका कहना है, “हमे बहार से मांग आती है जो एक बार खाद ले जाता है वो दूसरों को बताते हैं, एक दूसरे से जान पहचान बढ़ी है. 50 टन जो माल रखा है उसका भाव अभी सही नहीं मिल रहा है जैसे ही भाव मिलेगा इसकी बिक्री कर देंगे, 45 दिन में जैविक खाद बनकर तैयार हो जाती है.”
जैविक खाद बनाने से लेकर जैविक खेती तक अगर कोई 15 दिन लगातार ट्रेनिंग लेना चाहता है तो उसे 500 रुपए जमा करने होंगे उसे प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा.
(ये स्टोरी गांव कनेक्शन वेबसाइट से ली गई है)
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