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BHU प्रदर्शन: छात्राओं की मांग इतनी नाजायज थी क्या?

क्या BHU प्रशासन ही छात्रों के आंदोलन की आग में घी डाल रहा है?

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छात्रों की समस्या सुनने और समझने के बजाय बीएचयू प्रशासन छात्रों के आंदोलन को कुचलने के रास्ते तलाश रहा है. बीएचयू में पूरी रात छात्रों और पुलिस के बीच चले घमासान के बावजूद बीएचयू के वीसी गिरीश चन्द्र त्रिपाठी अपनी जिद पर अड़े हैं.

हद तो तब हो गयी जब उनके समर्थन में बीएचयू के कर्मचारी, डॉक्टर, प्रोफेसर और कुछ दूसरे छात्रों ने रविवार दिन में शांति मार्च निकाला. जबकि उसके कुछ देर पहले ही लाठीचार्ज के खिलाफ छात्रों ने भी शांति मार्च निकालने की कोशिश की थी,लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया. पूरे दिन बीएचयू कैंपस में तनाव का माहौल बना रहा.

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छात्राओं की मांग इतनी नाजायज थी क्या?

बीएचयू प्रशासन के इस रवैये को देखकर ऐसा लगने लगा है कि खुद प्रशासन ही छात्रों के आंदोलन की आग में घी डाल रहा है. क्योंकि धरने पर बैठी छात्राओं की मांग इतनी भी नाजायज नहीं थी कि जिसे पूरा करने में बीएचयू असमर्थ था.

  • क्या छात्राएं यूनिवर्सिटी से अपनी सुरक्षा भी नहीं मांग सकती ?
  • यूनिवर्सिटी कैंपस के चौराहों पर सीसीटीवी कैमरा लगवाने की मांग कितनी गलत है ?
  • छात्राओं के साथ छेड़खानी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कितनी नाजायज है ?

लेकिन यहां तो मामला उनकी समस्याओं को दूर करने का नहीं बल्कि अपनी जिद पर अड़े रहने का था. अगर सिर्फ छात्राओं की बात सुन लेने से ही मामला खत्म हो सकता था तो आखिर ऐसा करने में क्या परेशानी थी?

VC ने बाहरी लोगों की साजिश करार दिया

ऐसे सवालों से बेपरवाह वीसी प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने तो छात्राओं के आंदोलन को बाहरी लोगों की साजिश करार दिया है. जिसके बाद एक बार फिर छात्रों ने बिरला हॉस्टल चौराहे के पास जमा हो कर वीसी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

छात्र घटना के खिलाफ शांति मार्च निकालना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने इसकी इजाजत नहीं दी. छात्रों का कहना था कि वीसी समर्थक जुलूस निकाल सकते है तो हम लोग क्यों नहीं.

अफवाहों का बाजार भी गर्म रहा

इस बीच अफवाहों ने भी खूब उड़ान भरी. सूचना मिली कि बीएचयू ने सभी छात्रों को हॉस्टल खाली करने के लिए कहा है. जिस पर छात्रों ने हंगामा शुरू कर दिया लेकिन कुछ ही देर बाद वीसी ने इसका खंडन किया तो मामला शांत हुआ. हालांकि शनिवार रात एक दिन पहले ही यूनिवर्सिटी बंद करने की घोषणा हो गई थी.

दशहरे की छुट्टी है लिहाजा ऐसा लगता है कि छात्रों का ये आंदोलन फिलहाल भले खत्म हो जाए, लेकिन हालात ऐसे ही रहे तो इसका बड़ा रूप भी देखने को मिल सकता है.

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