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क्या यही है बिहार का विकास मॉडल? 11 दिन में 5 शहरों में दंगे 

सुशासन बाबू नीतीश कुमार के राज में फिलहाल सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, पिछले 11 दिनों में 5 दंगे हुए हैं

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11 दिन और 5 शहर, बिहार इन दिनों दंगों की फैक्ट्री बन गया है. क्या यही है बिहार का गुजरात विकास मॉडल? सुशासन बाबू नीतीशे कुमार के राज में फिलहाल सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. दंगों की आग में झुलस रहे बिहार पर राजनीति भारी पड़ रही है. मगर सरकार-विपक्ष एक दूसरे से बकझक करने में ही परेशान हैं. आम चुनाव सामने हैं तो इनका राजनीतिक कनेक्शन अपने आप जुड़ जाता है. क्या ये अब कोई नया राजनीतिक मॉडल है, ये सवाल भी जेहन में घूमता है.

भागलपुर में छोटी सी बात ऐसी भड़की की दंगों में बदल गई. सवाल सबसे ज्यादा तब उठे जब पुलिस ने दंगा उकसाने के लिए बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र अर्चित शाश्वत को आरोपी बना दिया, लेकिन अर्चित के सामने आने के बजाए उनके पिता अश्विनी चौबे ने पुलिस की चार्जशीट को कूड़े में डालने का बयान दे डाला

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आगे बढ़ने से पहले इन तारीखों पर ध्यान दें.

सुशासन बाबू नीतीश कुमार के राज में फिलहाल सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, पिछले 11 दिनों में 5 दंगे हुए हैं
दंगों की आग में झुलस रहा है बिहार
(फोटो: क्विंट हिंदी)

दंगों का हालिया सिलसिला कब शुरू हुआ

17 मार्च को बिहार के भागलपुर में एक धार्मिक जुलूस के दौरान गाना बजाने के मुद्दे पर दो गुट टकरा गए. 2 पुलिसकर्मियों समेत 5 लोग जख्मी हो गए. अब जरा इस 'दंगे' का बैकग्राउंड समझिए. भागलपुर के नाथनगर में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शास्वत की अगुवाई में बीजेपी, RSS और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का एक जुलूस निकला था. नए विक्रम संवत साल की शाम को निकाले गए इस जुलूस  पर कुछ स्थानीय लोगों को आपत्ति हुई और तनाव पैदा हो गया.

पुलिस की दखल के बाद जुलूस आगे बढ़ता रहा. नतीजा ये हुआ की दो समुदाय के बीच झगड़ा हो गया, गोलियां चली, पथराव हुए. दुकाने और गाड़ियां धू-धू करते हुए जलने लगे. मामले में अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शास्वत सहित कई लोगों को आरोपी बनाए गया है, पर वो फरार हैं.

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औरंगाबाद, 25 मार्च

बिहार के सौहार्द की जो गत फिलहाल हो रही है, कई सालों बाद देखी जा रही है. औरंगाबाद जिले में 25 मार्च को फिर से एक दंगा 'पैदा' हुआ. रिपोर्ट्स के मुताबिक रामनवमी के मौके पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान पथराव हुआ और दंगा भड़क गया. दर्जनों दुकानों को आग लगा दी गई. लोकल मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जामा मस्जिद के पास की 50 दुकानें जला दी गई. दोनों समुदायों के लोगों के घायल होने की खबर है. शहर में धारा 144 लगा दिया गया, इंटरनेट सर्विस भी बंद कर दी गई.

अब पुलिस कह रही है कि मामले में 150 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई है. हालात सामान्य हो रहा है. औरंगाबाद के जिलाधिकारी राहुल रंजन महिवाल ने कहा कि हिंसा से जुड़े तीन अलग-अलग मामलों में 500 से अधिक लोगों पर आरोप लगाया गया है. लेकिन रामनवमी के दिन हुए इस हिंसा की लपटें अब धीरे-धीरे दूसरे जिलों में भी फैलती जा रही है.,
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विपक्ष के गंभीर आरोप

समस्तीपुर, औरंगाबाद, भागलपुर जिलों से भी ऐसी ही हिंसा की खबरें आ रही हैं. दो समुदाय के बीच इस तरह की झड़प से किसका फायदा हो रहा है? ये सवाल जांच का विषय है. विपक्ष, सत्ताधारी जेडीयू-बीजेपी पर गंभीर आरोप लगा रहा है. उनका कहना है कि जब से नीतीश कुमार महागठबंधन तोड़कर बीजेपी के साझेदार बने हैं, राज्य में दंगे होने लगे हैं और इनकी संख्या हर दिन के साथ बढ़ती जा रही है.

विपक्ष का मानना है कि हाल के दिनों में बिहार में RSS का दखल बढ़ा है, इस साल फरवरी में RSS चीफ मोहन भागवत 10 दिन के बिहार दौरे पर थे और सेना पर दिया हुआ उनका विवाद भी सुर्खियों में रहा. वहीं दूसरी तरफ हाथ में सत्ता-शासन होने के बावजूद राज्य सरकार, विपक्ष को दंगों का जिम्मेदार बता रहा है.

सवाल ये भी है कि क्या अब नीतीश कुमार से सत्ता नहीं संभल रही है. हाल ही में नीतीश ने एक बयान में कहा था कि जो भी सद्भावना और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करेगा तो उसको बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. तो क्या अबतक नीतीशे कुमार को ये पता नहीं चल सका कि कौन ये जिसे इन दंगों से फायदा मिल रहा है. नीतीश के ही साझेदार की पार्टी के नेताओं पर आरोप लग रहे हैं उनका क्या?

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