आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीति भी शुरू हो गई है. विपक्ष इलेक्शन के शेड्यूल को लेकर सवाल उठा रहा है. राजनीतिक जानकार चुनावी चरण को संदेह की नजरों से देख रहे हैं. 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश को ही लेते हैं. यहां पर चुनाव आयोग ने सात चरणों में मतदान कराने का आदेश दिया है. लेकिन तारीखों के ऐलान के पहले ही बीजेपी तैयारियों में आगे दिखी.
पूरब के बजाय बीजेपी ने पूरा फोकस जाटलैंड पर कर दिया है, जहां पहले चरण में वोट डाले जाएंगे. एक तरफ जाटलैंड में तथाकथित राष्ट्रवाद का माहौल बनाया जा रहा है तो वहीं पूरब के लिए बीजेपी ने अपना प्लान बी तैयार कर लिया है.
राष्ट्रवाद के माहौल से पश्चिम को करेंगे सेट!
उत्तर प्रदेश का पश्चिमी क्षेत्र सांप्रदायिक रूप से बेहद संवेदनशील माना जाता रहा है. इस इलाके में ऐसे कई मौके आए हैं, जब छोटी-छोटी बातों पर धर्म विशेष के लोग आमने-सामने आ गए. सीधे शब्दों में कहे तो उत्तर प्रदेश का ये हिस्सा सांप्रदायिक दंगों के लिए कुख्यात है. पांच साल पहले मुजफ्फरनगर और मेरठ में हुए दंगे इसकी मिसाल हैं. इन दंगों के सहारे ही कई राजनीतिक दलों की ‘दाल-रोटी’ भी चलती है. कहा जाता है कि इस इलाके में वोटिंग के दौरान कास्ट फैक्टर कम, कम्युनिटी फैक्टर ज्याद चलता है.
जाटलैंड के नाम से मशहूर इस इलाके में पिछले लोकसभा चुनाव के पहले जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ था. मुजफ्फरनगर दंगे के बाद बहुसंख्यक वर्ग पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में आ गया. लिहाजा बीजेपी ने एक तरह से इस इलाके में क्लीन स्वीप कर लिया. बीजेपी इस कहानी को फिर से दोहराना चाहती है. लेकिन इस बार माहौल कुछ अलग है. पूरब के मुकाबले पश्चिम का जाटलैंड बीजेपी के नजरिए से कमजोर है.
कैराना उपचुनाव में मिली हार और एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन के बाद बीजेपी के सामने चुनौतियां ज्यादा हैं. इस हिस्से की 16 लोकसभा सीटों पर दो चरणों में वोट डालें जाएंगे. बीजेपी ने जाटलैंड को फतह करने के लिए नया दांव खेला है. सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के बजाय इस बार लोगों को तथाकथित राष्ट्रवाद का इंजेक्शन दिया जा रहा है.
जाटलैंड में BJP के दिग्गजों ने पहले ही डाला डेरा
जाटलैंड में माहौल बनाने पर बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के मुकाबले इस इलाके पर बीजेपी का खासा फोकस रहा है. पिछले एक महीने से इस इलाके में पीएम मोदी सहित बीजेपी के दिग्गजों के ताबड़तोड़ दौरे हो रहे हैं. पीएम ने इस इलाके में रैली करने के साथ ही कई अहम योजनाओं का उद्घाटन किया है. जानकार बता रहे हैं कि बीजेपी की ये कोशिश यूं ही नहीं है. ऐसा लग रहा है कि बीजेपी को शायद पहले ही पता था कि चुनाव की शुरुआत इन्हीं इलाकों से होने जा रही है. लिहाजा पार्टी ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी.
बीजेपी की नजर यूं तो पूरे उत्तर प्रदेश पर है. पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि अगर शुरुआती दौर से ही बढ़त बना ली तो आगे का रास्ता उनके लिए आसान हो जाएगा. चुनाव की तारीखों के ऐलान के पहले सियासी मैदान में मोहरों को सेट कर दिया है. नतीजा ये है कि अपनी तैयारियों के सहारे ही पश्चिम यूपी में बैकफुट पर नजर आने वाली बीजेपी अचानक आगे नजर आने लगी है. यही वजह है कि बीजेपी के विरोधी अब चुनाव की तारीखों को लेकर सवाल उठा रहे हैं.
पूरब के लिए BJP का ‘प्लान B’!
जाटलैंड के बाद रुहेलखंड और मध्य उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं. तीसरे चरण में मुरादाबाद, रामपुर, संभल, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला, बरेली और पीलीभीत में चुनाव होने हैं. वहीं चौथे चरण में शाहजहांपुर, खीरी, हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, जालौन, झांसी और हमीरपुर में वोट डाले जाएंगे. माना जाता है कि इन दोनों इलाकों में यादव परिवार का दबदबा रहा है. लिहाजा बीजेपी के लिए यहां मुश्किलें हो सकती हैं. फिर भी चुनाव के दौरान तीसरे और चौथे चरण के बीच प्रचार के लिए 4 दिन का वक्त रहेगा.
जानकार बता रहे हैं कि बीजेपी इस अंतराल में जमकर प्रचार करेगी. और कोशिश करेगी कि चौथे चरण तक राष्ट्रवाद का माहौल बना रहे. अगर चुनावी टैम्पो कमजोर पड़ता है तो बीजेपी ‘प्लान बी’ का सहारा ले सकती है. प्लान बी के तहत बीजेपी राम मंदिर का कार्ड खेल सकती है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के मामले पर मध्यस्थता पैनल को आठ हफ्ते का समय दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी हिदायत दी है कि इससे इससे संबंधित कोई भी जानकारी बाहर नहीं आनी चाहिए. माना जा रहा है कि मई महीने के शुरुआती हफ्ते में मध्यस्थता पैनल किसी नतीजे पर पहुंच सकता है. जाहिर है भगवा पार्टियां इस मौके को भुनाने से बाज नहीं आएंगी.
जानकार बता रहे हैं कि जिस वक्त राम मंदिर को लेकर चर्चा का बाजार गर्म रहेगा, उस वक्त पांचवें चरण के तहत अवध क्षेत्र की 14 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. विरोधियों को लगता है कि बीजेपी ने जानबूझकर चुनाव की ये तारीखें रखवाई हैं.
कमजोर हो रहे पूर्वांचल के लिए BJP को मिलेगा भरपूर टाइम
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान जहां उत्तर प्रदेश में छह चरण में वोट डाले गए थे तो वहीं इस बार सात चरणों में मतदान होगा. बताया जा रहा है कि लगभग सब कुछ पिछले चुनाव जैसा ही हो रहा है. बस फर्क है माहौल का. पिछली बार पूरे देश के साथ यूपी में मोदी लहर थी लेकिन इस बार कमोबेश वैसी तस्वीर नहीं दिख रही है. फिर भी बीजेपी के सियासी रणनीतिकार ऐन-केन प्रकारेण माहौल को अपने पक्ष में मोड़ना चाहते हैं.
जानकार बताते हैं कि चुनाव की हर तारीख को बहुत सोच समझकर रखा गया है. खासतौर से यूपी के लिहाज से तारीखों का चयन बेहद खास है. छठे और सातवें चरण के लिए निर्धारित तारीखों से भी इसका पता चलता है. इन दोनों चरणों में पूर्वांचल की ज्यादातर सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इस इलाके में बीजेपी का दबदबा रहा है.
हालांकि इस बार बीजेपी को एसपी-बीएसपी के साथ प्रियंका से भी मुकाबला है. जहां मोदी और योगी दोनों की इज्जत दांव पर होगी. पीएम मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ते हैं और योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से आते हैं, जो उनका गढ़ है. उपचुनाव में बीजेपी गोरखपुर हार चुकी है. लिहाजा पार्टी के दोनों करिश्माई चेहरों को पूरब में मेहनत का भरपूर मौका मिल जाएगा.
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