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UK Crisis: क्या ब्रिटिश लोकतंत्र बोरिस जॉनसन की दागी विरासत से उबर पाएगा?

Boris Johnson: माना जा रहा था कि बोरिस 'ट्रम्प' जैसा रवैया अपना सकते थे और सत्ता में बने रहने की कोशिश कर सकते थे.

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UK Crisis: क्या ब्रिटिश लोकतंत्र बोरिस जॉनसन की दागी विरासत से उबर पाएगा?
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ऐसा कहा जाता है कि एक निजी बातचीत में बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने कहा था कि उन्हें डाउनिंग स्ट्रीट यानि सत्ता से बाहर निकालने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा. बोरिस जॉनसन के साथ आज जो हुआ वो लगभग यही था. उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.

जॉनसन ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर कहा, "यह स्पष्ट रूप से संसदीय कंजर्वेटिव पार्टी की इच्छा है कि इस पार्टी का एक नया नेता होना चाहिए यानि की एक नया प्रधानमंत्री." उन्होंने कहा कि वह तब तक प्रधानमंत्री के रूप में काम करेंगे जब तक कि कोई नया नेता नहीं मिल जाता.

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पिछले 24 घंटों से 10 डाउनिंग स्ट्रीट एक बंकर की तरह बन गया था, जहां संकट में आए प्रधानमंत्री ने कैबिनेट सहयोगियों की सलाह लेने से इनकार कर दिया कि उनका समय समाप्त हो गया है और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.

यह आधुनिक ब्रिटेन में अब तक का सबसे तीव्र राजनीतिक नाटक और साइको-ड्रामा रहा. एक समय के लिए ऐसा लग रहा था कि जॉनसन पद पर बने रहेंगे जबकि उनकी सरकार से सारे मंत्री अलग क्यों न हो गए हों. क्योंकि वे ऐसा मानते हैं कि 2019 की चुनावी जीत उनकी वजह से हुई थी. चर्चा ये भी हो रही थी कि वह 'ट्रम्प' जैसा रवैया अपना सकते हैं और राजनीतिक और संवैधानिक मूल्यों की अवहेलना कर सत्ता में बने रहने की कोशिश कर सकते हैं.

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बोरिस की प्रमुख समस्या ईमानदारी को लेकर थी

मंगलवार शाम से, पांच कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया, उनमें से एक ने नियुक्ति के दो दिनों के अंदर इस्तीफा दे दिया, दूसरे को बर्खास्त कर दिया गया, कुछ ने सार्वजनिक रूप से अपने शीर्ष नेता को सत्ता छोड़ने के लिए कहा, कई अन्य लोगों ने निजी तौर पर प्रधानमंत्री से कहा था कि उन्हें पद छोड़ना चाहिए. 50 से अधिक जूनियर मंत्रियों और सरकार के निचले रैंक के लोगों ने भी इस्तीफा दे दिया.

प्रमुख समस्या ईमानदारी को लेकर है. इस हफ्ते बोरिस जॉनसन एक और झूठ में फंस गए - उन्होंने जोर देकर कहा था कि सासंद क्रिस पिंचर को बड़ा पद देने से पहले उन्हें क्रिस पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के बारे में नहीं पता था. लेकिन जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि यह सच नहीं है. सरकार में कई लोगों के लिए यही हद थी. वे अब एक ऐसे राजनीतिक नेता का समर्थन नहीं कर सकते थे जो इतनी लगातार बेईमानी कर रहा था.

जॉनसन का ये रवैया पैटर्न बनते जा रहा था. बोरिस जॉनसन वास्तव में यह मानते थे कि राजनीति और सार्वजनिक जीवन के नियम उन पर लागू नहीं होते हैं.

एक दक्षिणपंथी टिप्पणीकार और एक दफे बोरिस के बॉस रहे मैक्स हेस्टिंग्स के शब्दों में कहे जो उन्होंने गुरुवार के टाइम्स में लिखा है कि, "[बोरिस जॉनसन] सच्चाई से दूर हैं, जिसने देर-सबेर हर पुरुष, महिला और हर एक उस शख्स को धोखा दिया है जिसके साथ वह जुड़े हए हैं."

पिछले कुछ दिनों की असाधारण राजनीतिक घटनाएं और विशेष रूप से एक प्रधानमंत्री की बेहूदा दृष्टि, और अपमानजनक रूप से सत्ता से चिपके रहना, जब स्पष्ट रूप से अपनी पार्टी का विश्वास खो देना बताता है कि ब्रिटेन के लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा हैं. उन्होंने राजनीतिक व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है और कुछ पर्यवेक्षकों को आश्चर्यचकित कर दिया है कि क्या ब्रिटेन की एक अलिखित संविधान की प्रणाली जो राजनीति परंपरा के अनुसार काम करती है और एक धारणा है कि राजनेता अच्छा व्यवहार करेंगे...लेकिन ब्रिटेन के लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा.

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अगला पीएम - किसी बेदाग को खोजने की कोशिश जारी 

कंजर्वेटिव पार्टी अब एक नए नेता का चुनाव करेगी - जिसमें कुछ सप्ताह लग सकते हैं - जो तब ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री बनेगा. विपक्षी लेबर पार्टी आम चुनाव की मांग कर रही है, लेकिन ब्रिटेन की राजनीतिक व्यवस्था इस तरह काम नहीं करती है. कंजर्वेटिवों के पास संसद में पर्याप्त बहुमत है. इसलिए, अगले कुछ दिनों या हफ्तों में हम जो देखेंगे वह प्रधानमंत्री का परिवर्तन है, न कि सत्ताधारी दल का परिवर्तन.

नए कंजरवेटिव नेता और प्रधानमंत्री कौन होंगे? ऋषि सुनक ने मंगलवार की शाम को खेल कर दिया जब उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया, और इस तरह राजनीतिक उथल-पुथल को उजागर किया जिसने बोरिस जॉनसन के राजनीतिक करियर को समाप्त कर दिया. अपने इस्तीफे में सुनक ने लिखा: "जनता सही ढंग से उम्मीद करती है कि सरकार ठीक से, सक्षम और गंभीरता से काम करे."

हालांकि ऋषि सुनक की राजनीतिक स्थिति पिछले कुछ समय से ठीक नहीं रही, लेकिन उन्हें फिर से बोरिस जॉनसन के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में बताया जा रहा है. गर्मियों के अंत तक ब्रिटेन में एक 'देसी' प्रधानमंत्री हो सकता है.

लेकिन कोई ऐसा नाम सामने नहीं आ रहा जिसका नाम सुनते ही सौ फीसदी लगे कि यही पीएम बनेगा. कुछ कंजर्वेटिव सांसदों का मानना ​​है कि बोरिस जॉनसन की कैबिनेट में सेवा देने वाले सभी राजनीतिक घोटालों की एक कड़ी में उनकी मिलीभगत से कम हो गए हैं. पीएम पद के लिए किसी युवा और बेदाग को खोजने की बात हो रही है.

लेकिन फिलहाल, ज्यादातर कंजर्वेटिव पार्टी के नेता बस राहत महसूस कर रहे हैं कि बोरिस जॉनसन का कार्यकाल अंत के करीब आ गया है.

(एंड्रयू व्हाइटहेड बीबीसी इंडिया के पूर्व संवाददाता हैं. यह उनकी निजी राय है. द क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

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