ADVERTISEMENTREMOVE AD

बजट 20-20 में कितना स्कोर कर पाईं निर्मला सीतारमण?

बजट भाषण: सीतारमण ने जिन योजनाओं का जिक्र किया उसके लिए पैसा कहां से आएगा?

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

निर्मला सीतारमण की चुनौतियां बिलकुल साफ थीं. बजट 2020 के सहारे वो बाजार में मांग को हवा को दे सकती थीं, लोगों की खपत के लिए भी और निवेश के लिए भी. वित्त मंत्री बिना किसी परेशानी के ऐसा कर सकती थीं क्योंकि एक-दो साल के लिए अगर वो फिस्कल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा) के लक्ष्य को पूरा नहीं भी कर पाती तो उन्हें व्यापक समर्थन हासिल था, रुढ़िवादी अर्थशास्त्री भी उनके साथ थे. लेकिन बतौर बजट हमारे सामने जो रखा गया वो महज एक फीका, बिना विजन वाला दस्तावेज था.

साल 2020-21 में मौजूदा वित्त वर्ष के मुकाबले सरकारी खर्च 3.44 लाख करोड़ रुपये बढ़ जाएगा. वहीं राजस्व में मौजूदा वित्त वर्ष के मुकाबले सिर्फ 1.71 लाख करोड़ रुपये के इजाफे की उम्मीद है. तो, बाकी 1.73 लाख करोड़ रुपये दूसरे साधनों से लाने होंगे. कहां से आएगी ये रकम?

ADVERTISEMENTREMOVE AD
स्नैपशॉट
  • सरकारी राजस्व में मौजूदा वित्त वर्ष के मुकाबले सिर्फ 1.71 लाख करोड़ रुपये के इजाफे की उम्मीद है. तो, बाकी 1.73 लाख करोड़ रुपये दूसरे स्त्रोतों से लाना होगा. कहां से आएगी ये रकम?
  • जहां तक मिड्ल क्लास की बात है, वित्त मंत्री ने आयकर के ‘आसान’ ढांचे का ऐलान किया, लेकिन बिडंबना ये है कि इसमें बहुत सारे स्लैब हैं.
  • भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वक्त में जो सबसे बड़ी परेशानी झेल रही है उस बारे में कुछ नहीं किया गया – वो परेशानी है सिकुड़ती घरेलू मांग.

बजट भाषण: सीतारमण ने जिन योजनाओं का जिक्र किया उसके लिए पैसा कहां से आएगा?

मोदी सरकार का दावा है कि 1.45 लाख करोड़ रुपये सिर्फ विनिवेश से आ जाएंगे. आपको बता दें कि सरकार ने 2019-20 में 1.05 लाख करोड़ रुपये विनिवेश का लक्ष्य रखा था जबकि सिर्फ 65,000 करोड़ रुपये ही उगाही हो पाई. सीतारमण ने घोषणा की है कि LIC में सरकार की हिस्सेदारी बेची जाएगी, जो कि शायद सरकार के विनिवेश फंड का सबसे बड़ा स्त्रोत बनेगा.

बाकी की फंडिंग की कमी की वजह से फिस्कल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा) में इजाफा होगा. अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि सरकार घाटे को जीडीपी के 0.5 फीसदी या लगभग 1 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाएगी. मैंने इसे दोगुना कर 2 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने की वकालत की थी.लेकिन बजट 2020 में घाटे को 30,000 करोड़ से भी कम बढ़ाया गया है. जो कि मौजूदा वित्त वर्ष में हुए राजकोषीय घाटे के मुकाबले सिर्फ 3.8 फीसदी ज्यादा है. अगर वास्तविकता की बात करें, यानि महंगाई दर से मिला कर देखें तो राजकोषीय घाटे का विस्तार नहीं सिकुड़न हो रहा है.

तो वित्त मंत्री ने अपने मैराथन भाषण में जिन योजनाओं को जिक्र किया उसे सरकार कैसे फंड करेगी?

किसानों की आय दोगुनी करने की योजना क्या है? क्या यह कृषि और ग्रामीण विकास को बजट में मिलने वाली रकम दोगुनी करने से पूरा हो जाएगा? क्या यह MGNREGA में मिलने वाली फंडिंग दोगुनी करने से मुमिकन हो जाएगा? या फिर PM-किसान योजना में और पैसे देने से होगा?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

किसानों के लिए बजट 2020 के क्या मायने हैं?

कृषि और ग्रामीण विकास को मिलाकर इस बार बजट में 1.55 लाख करोड़ रुपये देने का ऐलान किया गया है जबकि मौजूद वित्त वर्ष में 1.51 लाख करोड़ रुपये खर्च का प्रावधान था. यह महज 2.1 फीसदी की वृद्धि है, और रियल टर्म में, 2 फीसदी की कटौती है.

सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में MGNREGA पर 71,000 करोड़ रुपये खर्च किए. रोजगार गारंटी योजना पर खर्च होने वाली रकम घटा कर 61,500 करोड़ कर दी गई है. PM-किसान योजना पर इस बार भी 75,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जो कि रियल टर्म में 4 फीसदी की कटौती है.

कई ऐसी योजनाएं हैं जिससे किसानों पर सीधा असर पड़ता है, जिसमें इस बार खर्च में बढ़ोतरी की गई है.

सिंचाई के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में इस बार 15 फीसदी ज्यादा खर्च का प्रावधान है, फसल बीमा योजना पर 14 फीसदी ज्यादा खर्च किए जाएंगे, किसानों के लिए शॉर्ट-टर्म-लोन पर ब्याज दर में छूट के लिए 18 फीसदी ज्यादा खर्च की व्यवस्था की गई है. दूसरी तरफ, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले गरीबों के लिए मौजूद योजनाओं, जैसे कि सौभाग्य योजना, जिसमें गरीबों को एलपीजी कनेक्शन दिए जाते हैं, के लिए बजट में या तो कटौती की गई है या इसे जैसा का तैसा रहने दिया गया है.

तीन मद जिसमें कि कृषि, डेयरी और मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए फंडिंग की जाती है – हरित, श्वेत और नीली क्रांति – पिछले बजट में इन मदों में 15,371 करोड़ रुपये दिए गए थे. बजट 2020 में इसे बढ़ाकर 15,695 करोड़ रुपये किया गया है, जो कि महज 2.1 फीसदी की बढ़ोतरी है, महंगाई दर के साथ मिलाकर देखें तो इसमें भी कटौती ही हुई है. कृषि को बढ़ावा देने के लिए बस इतना ही किया गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या आयकर के नए ‘आसान’ ढांचे से मिडल क्लास को फायदा होगा?

शिक्षा और स्वास्थ्य का क्या होगा? शिक्षा पर खर्च सिर्फ 4.7 फीसदी बढ़ाया गया है, मतलब अगर जीडीपी के प्रतिशत में देखें तो यह मौजूदा वित्तीय वर्ष के 4.6 फीसदी से घटकर 2020-21 में 4.5 फीसदी कर दिया गया है. ठीक इसी तरह, स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में 2019-20 में आवंटित रकम के मुकाबले सिर्फ 3.8 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. जो कि जीडीपी के 0.31 फीसदी से घटकर अब 0.30 फीसदी हो गया.

जब मिड्ल क्लास की बात आती है तो वित्त मंत्री ने ‘आसान’ आयकर ढांचे का ऐलान किया, लेकिन बिडंबना यह है कि इसमें कई सारे स्लैब हैं.

सालाना 15 लाख रुपये तक कमाई करने वाले लोगों के लिए हर श्रेणी में आयकर को कम कर दिया गया है. लेकिन यह दर तभी लागू होगा जब वो मौजूदा वक्त में दी जा रही रियायतें नहीं लेंगे. इसलिए कम कर की यह सुविधा सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलेगी जो कि होम लोन, पीएफ, मेडिकल बीमा और मकान किराया के तहत टैक्स रिबेट नहीं लेते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वित्त मंत्री ने कहा इन रियायतों को हटाने से चीजें आसान हो जाएंगी और लोगों को टैक्स का हिसाब किताब और रिटर्न फाइल करने के लिए प्रोफेशनल की मदद की जरूरत नहीं होगी. सच तो यह है कि

उनके बजट भाषण के बाद, टैक्स देने वाले लोग यह जानने के लिए अपने CA के पास भागेंगे कि उनके लिए कौन सा विकल्प ज्यादा सही है, पिछली बार की तरह टैक्स की रियायतें लेना ठीक होगा या फिर नए नियम के तहत टैक्स भरने में फायदा होगा.

कॉरपोरेट के लिए छोटी सौगात, क्योंकि सरकार ने कंपनियों पर लगने वाले डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स हटा दिया है.

जहां वित्त मंत्री ने भरोसा दिया कि टैक्स अधिकारी कारोबारियों को परेशान नहीं करेंगे, उन्होंने किसी ठोस कदम का ऐलान नहीं किया, बजाए इसके कि कारोबारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए टैक्सपेयर चार्टर बनाया जाएगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत में घटती घरेलू मांग की समस्या – जिसे बजट 2020 ने नजरअंदाज कर दिया

देश की इकॉनोमी की सबसे बड़ी समस्या के हल के लिए बजट में कुछ नहीं किया गया है. – वो है सिकुड़ते घरेलू मांग का संकट. रोजगार पैदा करने के लिए कोई स्पष्ट योजना नहीं है, लोगों की आय बढ़ाने का कोई प्लान नहीं है. जहां इंफ्रास्ट्रक्चर पर 103 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की बात दोहराई गई है, इसकी फंडिंग कैसे होगी इस बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है.

निर्मला सीतारमण का बजटीय भाषण किसी औसत बॉलीवुड फिल्म जितना लंबा था. लेकिन दुर्भाग्य से यह ब्लॉकबस्टर नहीं साबित हो पाया.

(अनिन्द्यो चक्रवर्ती NDTV के हिन्दी और बिजनेस न्यूज चैनल के सीनियर मैनेजिंग एडिटर थे. उन्हें @AunindyoC पर ट्वीट किया जा सकता है. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके निजी हैं. इसमें क्विंट की सहमति जरूरी नहीं है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×