अंग्रेजी में एक कहावत है- Every cloud has a silver lining यानी हर निराशा में भी उम्मीद की एक किरण छिपी होती है.
नागरिकता कानून को लेकर देशभर में चल रहे प्रदर्शन और प्रदर्शनों पर चल रही पुलिस की लाठियां एक अजीब अवसाद पैदा कर रही हैं. गिरती इकनॉमी और बेरोजगारी से जूझ रहे देश के लोग असल मुद्दों के बजाए पॉलिटिकल एजेंडों पर अपनी ऊर्जा खपा रहे हैं.
आइडिया ऑफ इंडिया!
दिल्ली से लेकर चेन्नई, लखनऊ से लेकर मुंबई, पटना से लेकर हैदराबाद, कोलकाता से लेकर नागपुर और अहमदाबाद से लेकर अगरतला तक सड़कें विरोध के नारों से गूंज रही हैं और पुलिस की लाठियां युवाओं के जोश के सामने हांफती नजर आ रही हैं.
लेकिन इस माहौल में ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ की कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आईं जो किसी भी सच्चे हिंदुस्तानी का सीना 56 इंच से भी चौड़ा कर दें.
देखिए दिल्ली के जामिया इलाके की एक तस्वीर दिखाता ये ट्वीट:
विरोध-प्रदर्शन के बीच मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ने लगे तो उनके चारों तरफ हिंदू और सिख समुदाय के युवाओं ने ‘ह्यूमन चेन‘ का घेरा बना दिया.
अब जरा कहिए, आंसू गैस का कोई गोला या सरकारी बंदूक की कोई गोली भला इस घेरे को कैसे तोड़ पाएगी?
यही है मेरा इंडिया!
दिल्ली का ही एक और वीडियो देखिए
हाथ में ‘साझी शहादत, साझी विरासत और साझी नागरिकता’ का बैनर लिए ये युवा ‘हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, आपस में सब भाई-भाई’ का नारा लगा रहे हैं.
ये नारा पिछले कुछ सालों से बस नैतिक शिक्षा के स्कूली क्लासरूम का एक चैप्टर भर बन गया था. लेकिन सड़कों पर इसकी गूंज एक संदेश दे रही है- कट्टरवाद का कोई कैप्सूल अभी इस देश के मौलिक डीएनए को दूषित नहीं कर पाया है.
इसके अलावा देश के अलग-अलग इलाकों में प्रदर्शनों के दौरान चमके पोस्टरों में छिपे संदेश ये कह रहे हैं कि तथाकथित राष्ट्रवाद की घुट्टी इस देश की युवा पीढ़ी को बरगलाने के लिए काफी नहीं है.
नागरिकता कानून के खिलाफ जब दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की तो ये नैरेटिव सेट करने की कोशिश की गई कि सिर्फ मुस्लिम समुदाय को इस कानून से दिक्कत है. अंदेश हुआ कि ये बिल देश में पनप रहे हिंदू-मुस्लिम बैर को और हवा देगा.
लेकिन चंद घंटों के बीच देशभर के युवाओं और उनके साथ आए तमाम तबकों के लोगों ने एलान कर दिया कि इस देश में लोकतंत्र और आपसी सौहार्द की जड़ें बहुत मजबूत हैं.
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