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क्यों 2019 के चुनाव में बीजेपी के लिए 272 सीटें दूर की कौड़ी हैं?

पुलवामा हमले से क्या फर्क पड़ेगा? यह बड़ा सवाल है.

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पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले की वजह से बीजेपी की चुनावी संभावनाएं बेहतर हुई हैं. यह एक साफ संदेश है. मगर इसका सच साबित होना इस बात पर निर्भर करने वाला है कि सरकार किस तरह से जवाबी कार्रवाई करती है.

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कुछ जबरदस्त नाटकीय हुआ, तभी बड़ा फर्क दिखेगा. कई सुझावों में एक सुझाव है- आर्टिकल 370 को खत्म करना. यह प्रभाव पैदा करने के लिहाज से अहम है क्योंकि इसके लिए जरूरी संविधान संशोधन आम चुनाव के बाद ही हो सकेंगे.

तीन हफ्ते पहले एक बुक लॉन्च कार्यक्रम में चर्चा के दौरान मैं भी मौजूद था. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि बीजेपी 2019 के आम चुनाव में 135 सीटें खो देगी. मुझे यह मोटा अनुमान ज्यादा लगता है. हो सकता है कि पार्टी का कुछ आंतरिक अनुमान इसका आधार हो. मैंने सोचा कि इतनी बड़ी गिरावट अस्वाभाविक होगी. अब भी यह अस्वाभाविक लगता है.

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अगली सरकार के लिए राष्ट्रपति किसे बुलाएंगे?

इस बीच खुद कांग्रेस को यह भरोसा नहीं है कि उसे 120-125 से ज्यादा सीटें मिलेंगी. यह 2014 में कांग्रेस को मिली सीटों का तीन गुना आंकड़ा है. ज्यादा वास्तविक अनुमान 100 या 105 के आसपास का है. बहरहाल, अगर हम कांग्रेस के लिए बहुत आशावादी होकर अनुमान लगाएं तो बीजेपी को 133 और कांग्रेस को 124 सीटें मिलेंगी.

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राष्ट्रपति अगली सरकार के लिए किसको बुलावा भेजेंगे? इसका बस एक ही जवाब है- उन्हें सबसे बड़ी पार्टी को बुलावा भेजना होगा. उसके बाद किस तरह के गठबंधन होंगे, इसका अनुमान कोई भी लगा सकता है. तब जो कोई भी प्रधानमंत्री होते हैं, हमें देखना होगा कि क्या वे भी उसी तरह से 13 दिन के बाद सरकार से बाहर हो जाएंगे जिस तरह अटल बिहारी वाजपेयी हुए थे. जब बीजेपी 100 से ज्यादा सीटें हार जाती है तो ऐसा भी हो सकता है. 
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पुलवामा के बाद की संभावना खत्म नहीं हुई है. चुनाव कम से कम 45 दिन दूर है और तब तक एक और आतंकी हमले की याददाश्त कमजोर हो जाएगी.

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पुलवामा हमले से क्या फर्क पड़ेगा? यह बड़ा सवाल है.
बीजेपी को सीटें इस बात पर भी निर्भर है कि मोदी सरकार पाक के खिलाफ क्या करती है? 
(फोटो: पीटीआई)

पुलवामा का असर?

दक्षिण में 129 सीटें हैं. बीजेपी करीब 20 जीत सकती है. इनमें से 14 कर्नाटक से आ सकती हैं. पूर्व में बीजेपी 18 के करीब सीटें जीत सकती हैं, उत्तर में 12 सीटें बीजेपी के हाथ लग सकती हैं. पश्चिम में बीजेपी को 40 सीटें मिल सकती हैं. दूसरे इलाकों में 13 सीटें हैं, इनमें से 7 दिल्ली में हैं. इन 13 में से बीजेपी 8 सीटें जीत सकती हैं. इन सबको मिलाकर 98-100 सीटें होती हैं.

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हिंदी पट्टी में बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी?

बिहार में बीजेपी केवल 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है और यह कम से कम 12 सीटें जीतेगी. झारखंड में यह करीब 8 सीटें जीत लेगी. हिमाचल में संख्या हो सकती है 3. मध्यप्रदेश और राजस्थान में 56 सीटें हैं जिनमें से बीजेपी को 30 सीटें मिल सकती हैं.

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इन्हें जोड़ें तब भी सब मिलाकर 53-55 सीटें ही होती हैं. यूपी को छोड़कर कुल संख्या अब भी केवल 155 या इसके आसपास पहुंच रही है. इस तरह 80 सीटों वाले यूपी का महत्व बढ़ जाता है. 2014 में बीजेपी ने 73 सीटें जीती थीं. 2019 में वह कितनी सीटें खोने जा रही है? पुलवामा से क्या फर्क पड़ेगा? यह बड़ा सवाल है.

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बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि पाकिस्तान के खिलाफ सरकार किस तरह की सैन्य कार्रवाई करती है. कूटनीति और आर्थिक प्रतिबंधों का चुनावी नजरिए से बहुत ज्यादा फर्क नहीं होता. लेकिन जब आप बीजेपी के लोगों से बात करें तो उनका कहना है कि उनकी संख्या घटकर राज्य में 50 तक होने वाली है क्योंकि वे लोग उन इलाकों से भरपाई करेंगे जहां पार्टी ने अच्छा नहीं किया था. मगर, हो सकता है कि यह उनका आशावादी अनुमान साबित हो.
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बेशक आखिरकार मोदी फैक्टर ही रह जाता है. इसमें थोड़ी कमी आई है फिर भी शायद यह अभी बाकी है. इस अर्थ में 2019 का चुनाव नरेंद्र मोदी पर जनादेश हो सकता है, जिसमें बीजेपी अपने सभी आलोचकों को गलत साबित कर सकती है. मगर फिर भी 272 का आंकड़ा बहुत दूर की कौड़ी लगता है.

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