ADVERTISEMENTREMOVE AD

मोदी ने सियासी ‘भस्मासुर’ को साधने के लिए दिया अक्षय को इंटरव्यू?

प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस की शह पर मात का तरीका तलाश रहे थे

Updated
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विंकल के पति को जो मशहूर, यादगार (नहीं, दो विस्फोटक विशेषण से वह खुश नहीं होंगे, तो यह रहा तीसरा), अनोखा इंटरव्यू दिया, मैं उससे अभी तक उबर नहीं पाया हूं. इस इंटरव्यू की वजह जानने के लिए हर कोई अपना सिर खुजा रहा है, लेकिन मुझे लगता है कि मैंने इस रहस्य का पता लगा लिया है. पार्टी के कट्टरपंथी नेताओं से बाजी अपने हाथों में लेने के लिए मोदी ने यह चालाकी भरा (या कहें कि हताशा से भरा) कदम उठाया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अगर प्रधानमंत्री ने मैरी शैली की 18वीं सदी की यादगार रचना‘फ्रैंकेनस्टाइन; या; द मॉडर्न प्रॉमीथियस’ पढ़ी होती (मोदी ने ट्विंकल के पति से इंटरव्यू में कहा था- ''मैं गांव की लाइब्रेरी में कई किताबें पढ़ा करता था''), तो शायद खुद को शर्मसार करने की यह गलती न करते. विकीपीडिया के मुताबिक, यह ‘यंग साइंटिस्ट विक्टर फ्रैंकेनस्टाइन की कहानी है. जिसके अनोखे प्रयोग से एक डरावना और अक्लमंद जैसा जीव वजूद में आता है.’ लेकिन यह जीव विक्टर की पत्नी एलिजाबेथ और भाई विलियम की हत्या कर देता है. इस कहानी की वजह से ‘फ्रैंकेनस्टाइन’ अंग्रेजी भाषा में संज्ञा बन गया. इसका मतलब ऐसा जीव है, जो अपने जन्म देने वाले को मिटाने पर आमादा हो जाए. हिंदू मिथकों में भस्मासुर ऐसा ही चरित्र है.

अब एक अरब वोट के सवाल पर आते हैं: मोदी के हाथ से विमर्श कब और कैसे उनके राजनीतिक फ्रैंकेनस्टाइन के हाथों में चला गया? आइए, बिल्कुल शुरू से शुरुआत करते हैं...

इस साल की शुरुआत में जब मोदी ने दोबारा प्रधानमंत्री बनने के लिए चुनाव प्रचार शुरू किया तो वह चिर-परिचित संतुलित शैली पर चल रहे थे. अपनी रैलियों में वह अंधराष्ट्रवाद, पाकिस्तान, आतंकवाद, “गद्दार”- नेहरू के साथ तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का जिक्र कर रहे थे और युवाओं, गरीबों और किसानों को लुभाने का भी जतन कर रहे थे. हालांकि, उनके पोस्ट ट्रुथ बजट में डेफिसिट को दो पर्सेंटेज प्वाइंट्स कम दिखाने और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था ने विकास पर उनके दावों की पोल खोल दी.

जब निवेश और किसानों की आमदनी 14 साल के निचले स्तर पर हो, बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा हो, जीडीपी के पर्सेंटेज के रूप में विदेशी निवेश एक दशक में सबसे कम हो, रियल इंटरेस्ट रेट आसमान छू रहे हों, मैन्युफैक्चरिंग और ऑटो सेक्टर की ग्रोथ पर ब्रेक लगी हो तो आप लोगों को हमेशा बेवकूफ तो नहीं बना सकते ना.

पुलवामा हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक से अचानक मोदी को राजनीतिक जीवनदान मिला. इसके बाद उनकी लोकप्रियता 15 पर्सेंटेड प्वाइंट्स से ज्यादा बढ़ गई. राजनीति के मंझे खिलाड़ी और खुद को चायवाला बताने वाले ने चाय की पत्तियों का रंग भांप लिया और इकॉनमी को छोड़कर वह अंधराष्ट्रवाद की पिच को खतरनाक स्तर तक ले गए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
मोदी के स्क्रिप्ट राइटर्स ने शोले दिखाई और उन्होंने वीरू का स्टाइल अपना लिया (मैं यहां संक्षेप में उसकी मिसाल दे रहा हूं): मोदी आतंकियों को उनके पाकिस्तानी घर में घुस कर उनके हाथ काट देगा.
मोदी ने ये परमाणु अस्त्र दिवाली में पटाखे चलाने के लिए नहीं बनाए हैं. अब पाकिस्तान मोदी को न्यूक्लियर बम से नहीं डरा सकता.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

लेकिन तभी कांग्रेस के घोषणापत्र ने चौंकाया...

कुछ समय तक लगा कि मोदी ने विरोधियों को हाशिये पर धकेल दिया है. इसके बाद जैसे ही उनका वीरू वाला अंदाज उबाऊ होने लगा, तभी राहुल गांधी की कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र से सबको चौंका दिया. मेनिफेस्टो में अक्सर घिसे-पिटे और सुने-सुनाए वादे रहते हैं, लेकिन इसमें नए, साहसी, उदार और राजनीतिक तौर पर जोखिम भरे आइडिया दिए गए थे. कांग्रेस ने न्यूनतम आय योजना यानी‘न्याय’ के जरिए गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले देश के 25 करोड़ लोगों को बिना शर्त रोज 40 रुपये (पांच सदस्यों वाले औसत परिवार को साल में 72 हजार रुपये) देने का वादा किया था. अगर इस योजना को सफलता से लागू किया जाता है तो एक झटके में गरीबों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आ सकता है. आज तक दुनिया में कहीं भी ऐसा नहीं हुआ है. यह गरीबी मिटाने के मामले में चीन से भी बड़ी उपलब्धि होगी.

खैर, मेनिफेस्टो यहीं नहीं रुका. इसमें‘असंभव’ माने जाने वाले और भुला दिए गए सुधारों का भी वादा किया गया. जब देश में एक तरफ अंधराष्ट्रवाद का ढोल बजाया जा रहा था, उस बीच कांग्रेस ने अफ्सपा में संशोधन का वादा किया. उसने मानहानि के कानून से अपराध वाले पहलू और अंग्रेज हुक्मरानों के बनाए दुर्दांत राजद्रोह कानून को खत्म करने की बात कही.

कई शुभचिंतकों ने कहा कि कांग्रेस ने इनके जरिए मोदी को हमले का न्योता दिया है. प्रधानमंत्री ने इसे ढकोसला-पत्र बताया तो दूसरों ने कहा कि इससे देश टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा. कुछ तो और भी आगे निकल गए और उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का घोषणापत्र पाकिस्तान में लिखा गया है. इसका मजाक उड़ाते हुए यहां तक कहा गया कि ‘आतंकवादी कांग्रेस के मेनिफेस्टो का जश्न मना रहे हैं.’

बीजेपी की इस अतिवादी आलोचना से उसकी घबराहट भी सामने आ गई. कांग्रेस ने घोषणापत्र से सुरक्षित राजनीति की बेड़ियों को तोड़ दिया था. उसने साहसिक सामाजिक-कानूनी सुधारों का वादा किया. देश में रहने वाले हर लिबरल (सॉरी बीजेपी, देश की 60 पर्सेंट जनता ने आपकी बहुसंख्यक, संकीर्ण राजनीति को 2014 की मोदी लहर में भी खारिज कर दिया था) ने कांग्रेस के घोषणापत्र की वाहवाही की और पार्टी के पक्ष में माहौल बनने लगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रधानमंत्री मोदी अब कांग्रेस की शह पर मात का तरीका तलाश रहे थे...

मोदी ने इस बार ऊंची उड़ान भरी. उनका भाषण लिखने वालों ने जरूर उन्हें रामसे ब्रदर्स की हॉरर फिल्में (शोले तो इनसे लाख गुना अच्छी थी) दिखाई होंगी. इससे पहले कि आपके जेहन में ‘पुरानी हवेली’ का नाम आए, प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक का सबसे डराने वाला डायलॉग डिलीवर किया. गुजरात (और कहां बोलते) की रैली में उन्होंने कहा, अमेरिकियों ने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी- अगर विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को भारत को नहीं लौटाया तो मोदी तुम्हारे लिए‘कत्ल की रात’ लेकर आएंगे.

ठीक इसी वक्त मोदी ने फ्रैंकेनस्टाइन जैसी गलती की. उन्होंने आतंकवाद के आरोप का सामना कर रहीं प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से बीजेपी की प्रत्याशी बना डाला. वह ‘प्रधानमंत्री पद की सीमाओं' से नहीं बंधी थीं, ना ही उन्हें राजनीतिक मर्यादा की समझ है. वह WMD (वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन) थीं, जो कभी भी फट सकती थीं.

मोदी ने पुलवामा के शहीदों के जरिए सावधानी से अपनी जो छवि बनाई थी, प्रज्ञा ठाकुर ने उसे यह कहकर ध्वस्त कर दिया कि‘मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमलों में मेरे शाप की वजह से हेमंत करकरे मारे गए.’ देश पर मर-मिटने वालों में करकरे का नाम बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है. ‘चहेती नेता’ के नफरत भरे इस बयान पर मोदी और बीजेपी को सांप सूंघ गया. पार्टी इससे अभी उबरी भी नहीं थी कि प्रज्ञा ने एक और‘धमाका’ कर डाला. उन्होंने दावा किया कि 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराने के लिए वह भी गुंबद पर चढ़ी थीं. बीजेपी की‘चहेती’ नेता ने यहां एक अपराध में शामिल होना कबूला था. आपको याद है कि बीजेपी के संस्थापक एल के आडवाणी पर इस मामले में आपराधिक साजिश का केस चला था. उन्होंने कहा था कि जिस रोज बाबरी मस्जिद गिरी, वह‘उनकी जिंदगी का सबसे उदास दिन था.’ आज बहुसंख्यक हिंदुत्व के नए सितारे ने उन्हें ठेंगा दिखा दिया था.

इसके बाद तो ऐसे बयानों की बाढ़ आ गई. एक ने कहा कि वह राहुल गांधी का हाथ काट देगा, एक ने कहा कि उनके शरीर में बम बांधो, तो एक ने फरमाया, ‘साधारण बम से बात नहीं बनेगी, वही बम लगाओ, जिससे बालाकोट पर हमला किया गया था.’ ये बयान पार्टी में हाशिये पर खड़े लोगों ने नहीं दिए. इनमें प्रदेश बीजेपी प्रमुख, वरिष्ठ मंत्री और यहां तक कि मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. ऐसी हेट-स्पीच, जिसमें किसी की हत्या के लिए उकसाया जा रहा है, भारतीय कानून उसे अपराध मानता है.आलम यह था कि अखबारों के पहले पन्ने और चीखने वाले टेलीविजन चैनलों के प्राइमटाइम शो से प्रधानमंत्री बाहर कर दिए गए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मोदी मंझे हुए नेता हैं, वह समझ गए कि बाजी उनके हाथ से निकलकर फ्रैंकेनस्टाइन के हाथों में जा रही है...

मोदी को यह भी पता है कि नफरत के मामले में वह इन सनकियों की बराबरी नहीं कर सकते. आखिर, वह प्रधानमंत्री पद की मर्यादा से भी तो बंधे हैं. उन्हें लगा कि इन जहरीले बयानों को रोकना होगा या कम से कम राष्ट्रीय विमर्श से बाहर करना होगा. इसके लिए एक भक्त (धार्मिक-राजनीतिक प्रशंसक), सुपरस्टार, युवा महिलाओं की दिलों की धड़कन और 18-45 साल की आयु सीमा वाले मैचो मैन के चहेते अक्षय कुमार से बेहतर भला कौन हो सकता था.

क्या आपने इस पर ध्यान दिया कि अक्षय वाले इंटरव्यू के तमाशे के बाद प्रधानमंत्री मोदी के कई फोटो आए, जिनमें वह मुस्कुराते, चरण छूते दिख रहे हैं. इनके जरिए वह अपना नरम चेहरा पेश कर रहे हैं. इनमें मोदी भलेमानुष दिखते हैं. बात समझ में आई या नहीं आई?

पोस्ट स्क्रिप्ट: मैं हैरान हूं कि अभी तक उन्होंने एवेंजर्स देखने के लिए रोड शो क्यों नहीं किया है, जिसका टीवी पर ब्रॉडकास्ट किया जा सके.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस आर्टिकल को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए क्लिक करें

Did Modi Use Akshay to Neutralise Political Frankenstein(s)?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×