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क्या टीम इंडिया के पास धोनी का कोई विकल्प नहीं है? 

पिछले डेढ़ साल से सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की है कि क्या धोनी ODI और T-20 खेलने के लायक रह गए हैं?

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धोनी चाहे अच्छा प्रदर्शन करें या खराब, उनकी कप्तानी में टीम जीते या हारे वो हमेशा से भारतीय क्रिकेट की सबसे चर्चित शख्सियतों में से रहे हैं. उन पर चर्चा करने में फैंस को मजा आता है. उन पर बात करने के लिए बातें भी बहुत सी हैं. जिन्हें हम इंग्लिश में ‘टॉकिंग प्वाइंट्स’ कहते हैं.

पिछले एक-डेढ़ साल से सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात को लेकर हो रही है क्या टेस्ट क्रिकेट छोड़ने के बाद धोनी वनडे और टी-20 खेलने के लायक रह गए हैं? क्या अब भी उनमें वो चुस्ती फुर्ती बरकरार है? क्या अब भी बल्ले से वो उस तरह के कारमाने कर सकते हैं, जिसके लिए वो जाने जाते हैं?

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हालात ऐसे हैं कि कभी चीफ सेलेक्टर कहते हैं कि 2019 विश्व कप के लिए धोनी ‘ऑटोमैटिक च्वॉइस’ नहीं है. उनकी इस बात के कुछ ही दिनों बाद चीफ कोच रवि शास्त्री कहते हैं कि धोनी में अभी बहुत क्रिकेट बाकी है. कप्तान विराट कोहली कहते हैं कि उन्होंने धोनी जैसा ‘क्रिकेटिंग ब्रेन’ किसी खिलाड़ी में नहीं देखा.
पिछले डेढ़ साल से सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की  है कि क्या धोनी ODI और T-20 खेलने के लायक रह गए हैं?

इन सारी बातों का आंकलन मौजूदा आईपीएल सीजन के साथ साथ पिछले कुछ महीनों के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को ध्यान में रखकर करना होगा. क्योंकि धोनी ऐसी सभी बातों का जवाब अपने प्रदर्शन से देते हैं. उनका प्रदर्शन ऐसा होता है कि आंकड़े खुद से ही उनके पक्ष में बोलना शुरू कर देते हैं. आंकड़ों के सहारे बात को आगे बढ़ाएं उससे पहले समझ लें कि हमारा आज का सवाल बड़ा सीधा है, वो ये कि क्या आज की तारीख में धोनी का कोई विकल्प हमारे पास मौजूद है?

चलिए सबसे पहले आईपीएल के इस सीजन को देख लेते हैं. आईपीएल के इस सीजन में पहली दो पायदान पर विदेशी विकेटकीपर शामिल हैं. इसके बाद सभी भारतीय हैं. चूंकि हम बात धोनी के विकल्प की कर रहे हैं इसलिए हम भारतीय विकेटकीपर्स की बात ही करते हैं. इस फेहरिस्त में धोनी तीसरे नंबर पर हैं फिर भी वो ओवरऑल सबसे आगे हैं. कैसे... जानने के लिए ये ग्राफिक्स देखिए.

पिछले डेढ़ साल से सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की  है कि क्या धोनी ODI और T-20 खेलने के लायक रह गए हैं?
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विकेट के पीछे धोनी तीसरे पायदान पर हैं. बस ये ध्यान रखिएगा कि उन्होंने अपने से पहले दो पायदान वाले खिलाड़ियों से 1 मैच कम खेला है. अब जरा बल्लेबाजी के आंकड़े भी देख लेते हैं. बल्लेबाजी के आंकड़ों में बात धोनी, कार्तिक और साहा की करते हैं क्योंकि ईशान किशन और केएल राहुल फिलहाल कहीं से भी धोनी के विकल्प की दौड़ में शामिल नहीं हैं. बल्लेबाजी के आंकड़े देखिए.

पिछले डेढ़ साल से सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की  है कि क्या धोनी ODI और T-20 खेलने के लायक रह गए हैं?

ये आंकड़े तस्वीर को बिल्कुल साफ कर देते हैं. धोनी औसत और स्ट्राइक रेट के मामले में अपने दोनों विकल्पों से कहीं आगे हैं. इसके अलावा छक्के लगाने के मामले में भी वो सीजन में पहली पायदान पर चल रहे हैं. उन्होंने इस सीजन में अब तक 27 छक्के लगाए हैं. दिनेश कार्तिक ने अब तक सिर्फ 9 छक्के लगाए हैं. ये आंकड़े साफ करते हैं कि फिलहाल धोनी किसी भी वनडे या टी-20 टीम में अपने विकल्पों से कहीं आगे हैं. ये भी ध्यान रखने वाली बात है कि दिनेश कार्तिक और ऋद्धिमान साहा के तौर पर हम जिन दो विकल्पों की बात कर रहे हैं उनका रोल भी विकेटकीपर बल्लेबाज का ही है. इसलिए उनकी बल्लेबाजी का आंकड़ा भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना विकेटकीपिंग का. चूंकि बात धोनी के विकल्प तलाशने की हो रही है इसलिए पिछले एक साल के अंतर्राष्ट्रीय वनडे रिकॉर्ड्स पर भी नजर डाल लेते हैं.

  • महेंद्र सिंह धोनी ने पिछले बारह महीने में 32 मैच में 692 रन बनाए हैं
  • पिछले एक साल में धोनी की औसत 57.66 की है
  • पिछले एक साल की औसत करियर औसत से करीब 6 रन ज्यादा है

जिस सवाल से बात शुरू हुई थी वहीं लौटते हैं. बड़ी आसानी से इस नतीजे पर पहुंचा जा सकता है कि फिलहाल वनडे और टी-20 में धोनी का विकल्प मौजूद नहीं है. अगले साल विश्व कप खेला जाना है. विराट कोहली की बड़ी परीक्षा होगी. इस बड़ी परीक्षा में उन्हें सही रास्ता दिखाने के लिए एक करिश्माई खिलाड़ी उनके साथ खड़ा मिलेगा. भारतीय क्रिकेट में विकेटकीपिंग के विकल्पों की चर्चा अब 2019 के बाद ही होनी चाहिए. तब तक के लिए इस्ट और वेस्ट-धोनी इज द बेस्ट के नारे लगाइए.

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