ADVERTISEMENTREMOVE AD

हर भारतीय महिला को मिलना चाहिए गोल्ड मेडल

सालों से हिंसा और उत्पीड़न झेलने और उसके खिलाफ लड़ने वाली हर भारतीय महिला है मेडल की हकदार

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female
ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये जो इंडिया है ना, यहां ओलंपिक (Olympic) मेडल मिला है पीवी सिंधु, लवलीना और मीराबाई चानू को. (PV Sindhu, Lovlina Borgohain and Mirabai Chanu). लेकिन भारत में और भी कई महिलाएं हैं, जो पदक की हकदार हैं. उनमें से कुछ से मिलते हैं-

0

ये हैं हरियाणा के सोनीपत की रुक्मणी देवी, 25 साल लंबी बाधा दौड़ में गोल्ड मेडल विजेता! रुक्मणी देवी ने अपने शराबी और हिंसक पति को छोड़ दिया, जीवन चलाने के लिए कारखानों में काम किया, अपनी बेटी की हॉकी खेलने की इच्छा को सपोर्ट किया. भले ही इसका मतलब फटे पीटी शूज और पुराने कपड़ों से सिले शॉर्ट्स के साथ खेलना था. वो बेटी बड़ी होकर बनी नेहा गोयल. भारत की अद्भभुत महिला हॉकी टीम का हिस्सा! निश्चित रूप से नेहा की चैंपियन मां रुक्मणी देवी गोल्ड मेडल की हकदार हैं!

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अब आगे- 30 जुलाई को, जब पीवी सिंधु अपने ओलंपिक बैडमिंटन क्वार्टर फाइनल में जापानी खिलाड़ी यामागुची को हरा रहीं थीं, उस समय एक और गोल्ड मेडल पूर्वी यूपी के बलिया जिले की एक 18 साल की लड़की ने जीता! एक हिंदू, जिसने एक मुस्लिम लड़के से शादी करने का फैसला किया, लेकिन जब दोनों अदालत में अपनी शादी दर्ज कराने गए, उन्हें हिंदू कट्टर ग्रुप करणी सेना के सदस्यों ने रोका, इस शादी को 'जबरन धर्मांतरण' और 'लव जिहाद' का मामला बताते हुए.

वीडियो में अदालत परिसर के बीच, इन गुंडों ने महिला को उसकी उम्र, उसका धर्म, उसकी जाति के बारे में सवाल करते हुए परेशान किया. महिला ने उन्हें बताया भी कि वो बालिग थी, और अपनी मर्जी से शादी कर रही थी. फिर भी, ये गुंडे उसे जबरन पुलिस स्टेशन ले गए. और पुलिस ने ये स्वीकार करने के बाद भी कि ये जबरन धर्मांतरण का मामला नहीं था, फिर भी उन्होंने लड़की को उसके माता-पिता को सौंप दिया, उसके पति को नहीं! उसके परिवार ने भी, उसकी पसंद का सम्मान नहीं किया, और लापता होने की शिकायत दर्ज करा दी थी. निश्चित तौर पर यह बहादुर लड़की भी एक गोल्ड मेडल विजेता है!

ADVERTISEMENTREMOVE AD
लेकिन इन बातों पर हम सवाल क्यों उठा रहे हैं? यही, कि ये जो इंडिया है ना, यहां, हमारी महिलाएं ओलंपिक मेडल का सपना कैसे देख सकती हैं, जब वो अपनी पसंद के लड़के से शादी भी नहीं कर सकती हैं? पुलिस, प्रशासन, परिवार, समुदाय, धार्मिक कट्टरता, इन सबके चक्रव्यूह में घिरी हुई हमारी लाखों महिलाओं के पास, खेल में करियर चुनने की स्वतंत्रता कहां है? मेडल जीतने का मौका तो बहुत दूर की बात है!

चलिए, और आगे देखते हैं. हां, ये सच है कि असम की लवलीना बोरगोहेन ने बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता, मणिपुर की मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में सिल्वर जीता, और मणिपुर की मैरीकॉम सालों से भारत की चैंपियन बॉक्सर रही हैं, लेकिन उत्तर-पूर्व के हमारे अन्य देशवासियों का क्या? मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल, सिक्किम, मणिपुर, असम, त्रिपुरा- यहां के रहने वालों को जब 'चिंकी' बुलाया जाता है, जब उन्हें पीटा जाता है, मार डाला जाता है, जैसा दिल्ली में निदो तानिया के साथ हुआ. जब उनसे पूछा जाता है- "तेरा रेट क्या है?"

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जब लोग उन्हें कमरे या फ्लैट किराए पर देने से मना करते हैं- और फिर जब वो ऐसे दुर्व्यवहार को सह लेते हैं, तो निश्चित रूप से वो मेडल के हकदार हैं! ये जो इंडिया है ना, यहां जब लवलीना और मीराबाई को मेडल मिलते हैं, तब उन्हें मिलती हैं तालियां, लेकिन बाकी समय, हम देते हैं उन्हें गालियां!

इसके बाद, मेडल के बारे में नहीं, गैंगरेप के बारे में बात करते हैं. कुछ दिन पहले दिल्ली की एक 9 साल की दलित लड़की के साथ कथित तौर पर गैंगरेप किया गया. सितंबर 2020 में यूपी के हाथरस में 19 साल की दलित महिला के साथ गैंगरेप हुआ, दो हफ्ते बाद उसकी मौत हो गई. जनवरी 2018 में, 8 साल की आसिफा का जम्मू-कश्मीर में कठुआ के पास अपहरण और गैंगरेप हुआ, फिर उसकी हत्या कर दी गई.

जून 2017, उन्नाव गैंगरेप केस, जहां न्यायिक हिरासत में रेप विक्टिम के पिता की भी हत्या कर दी गई थी. लिस्ट अंतहीन है. ये केवल यौन हिंसा और हत्या के मामले नहीं हैं, इनमें से प्रत्येक मामले में पुलिस, प्रशासन या समुदाय या नेता या इन सभी की हिस्सेदारी होती है, अपराध को छिपाने में मिलीभगत होती है. मतलब, ना केवल महिलाओं के खिलाफ ये अपराध किए जाते हैं, बल्कि वो जिनसे पीड़ित महिलाएं न्याय की आशा करती हैं, वही उन्हें भुला देते हैं, बल्कि अक्सर उनके दोषी बन जाते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये जो इंडिया है ना, एक देश के रूप में, एक समाज के रूप में अगर हम ऐसे ही चक्रव्यूह में फंसे रहे, तो हमारी महिलाओं के लिए बड़े पैमाने पर ओलंपिक मेडल जीतने की बात हम कैसे शुरू कर सकते हैं?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×