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मेरी दोस्त अनीसिया : वो सब कुछ, जिसकी चाहत एक लड़की रखती है

एक्ट्रेस गुल पनाग स्कूल फ्रेंड अनीसिया को याद करते हुए बता रही हैं उनकी शख्सियत के बारे में

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लॉरेंस स्कूल, लवडेल में दाखिले के दिन पहली बार मेरी मुलाकात अनीसिया से हुई. तब वो एक खिड़की के पास बैठी थी और कार्ड खेल रही थी. इससे पहले मैं उसके पिता कर्नल बत्रा से अनीसिया के बारे में सुनती रहती थी. लवडेल के स्कूल में जाने से पहले कर्नल बत्रा मुझे रोज घुड़सवारी के लिए पिक किया करते थे.

मैं तब अनीसिया के नाम को लेकर बहुत प्रभावित रहती थी क्योंकि ये नाम बहुत ही यूनीक था. अनीसिया के बारे में हमने उसके पिता से ही सब-कुछ जाना. कर्नल बत्रा को मैं अंकल कहकर बुलाती थी. पहले से ही लवडेल में होने की वजह अनीसिया कुछ खास थी, जबकि मैं अपेक्षाकृत मामूली वेलिंगटन के केंद्रीय विद्यालय से वहां गई थी.

स्कूल के पहले दिन अनीसिया मुझसे बड़ी ही गर्मजोशी और मुस्कुराहट के साथ मिली और वहां कई चीजें भी दिखाईं.

दो लड़कियां, एक सपने

अनीसिया को प्यार से हम एनिस बुलाते थे. एनिस पूरी तरह से एक टॉम ब्यॉय थी, जो कि हमेशा ब्यॉय कट बालों में रहती थी. हमेशा हंसी-मजाक करना, साफ-सुथरी सोच और खुलकर बातें करना उसकी आदत थी. और ये चीजें हमलोगों के बड़े होने के बाद भी उसके अंदर से गई नहीं थीं.

मैं किसी ऐसे को जानकर शुक्रगुजार था- एक ऐसी जगह पर, जो पहले जैसी नहीं रही थी- जैसा कि मैंने एनिड ब्लाइटन की किताब में मैलोरी टावर्स और सेंट क्लेयर के बारे में पढ़ी थी.
अनीसिया चीजों को जैसा देखती थी वैसा ही कहती थी. सच तो ये है कि वो उन चीजों को भी कह जाती थी, जिन्हें मैं कहने से खुद को रोक लेती थी.

जल्दी ही हमलोगों ने कई सारी ऐसी चीजें ढूंढ ली, जो हम दोनों में एक जैसी थी. जैसे कि हम दोनों की ही राशि कैप्रिकॉर्न थी. सुबह 6.30 बजे की पीटी (फिजिकल ट्रेनिंग) को हम दोनों ही नापंसद करते थे. इसमें हमें स्कूल के चारों ओर एक या दो चक्कर लगाने पड़ते थे.

लेकिन यहां हमलोगों ने एक शॉर्टकट रास्ता निकाल लिया था. हम एक झाड़ी से होते हुए निकल जाते थे. लेकिन एक दिन अनर्थ ही हो गया. झाड़ी के उस पार हमने देखा कि हमारे पीटी टीचर मिस्टर भोपिया हमारा इंतजार कर रहे थे. हमें डांट पड़ी और ठीक ही पड़ी.

हम दोनों ही तब एअर इंडिया ज्वाइन करना चाहते थे क्योंकि ये तब अकेली एयरलाइंस थी जो देश से बाहर जाती थी. हम इसमें केबिन अटेंडेंट की जॉब चाहते थे, जिससे कि दुनिया घूम सकें. हमने अपनी पढ़ाई के समय का बहुत बड़ा हिस्सा इसी योजना पर बातचीत में खर्च कर दिया.

यहां तक कि 10वीं बोर्ड की तैयारियों के लिए मिली छुट्टियों में भी हम इसी को लेकर प्लान बनाते रहे. मेरी कजन सिमरन तब एयर इंडिया के लिए काम कर रही थी और दुनिया के तमाम हिस्सों से पोस्टकार्ड भेजती रहती थी. हमलोगों ने घंटों इस चर्चा में बिताए कि हम भी कैसे इसी तरीके से दुनिया भर की सैर कर सकते हैं.

अनीसिया और मैंने मिलकर योजना बनाई कि स्कूल की पढ़ाई खत्म कर हम गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स या फिर जीसीजी में दाखिला लेंगे क्योंकि इनकी हमारे होमटाउन, चंडीगढ़ में पहचान थी.

कॉलेज में हमलोग कैसे कपड़े पहनेंगे, कौन-सी बाइक पर हम राइड करेंगे, हम कहां-कहां जाएंगे. हर चीज का विस्तार से प्लान किया गया था. योजना थी कि हम ग्रैजुएशन पूरी करें और एअर इंडिया ज्वाइन करें.

अनीसिया और उसका ड्रीम जॉब

हम दोनों के ही ऊपर अपने-अपने दादाजी का बड़ा प्रभाव था और हम उन्हें हर पखवाड़े चिट्ठी लिखते थे. उसके दादा तो उसे अपना पता लिखा और स्टांप लगा लिफाफा भी भेज देते थे, जिससे कि उसे चिट्ठी लिखने में कोई परेशानी न हो.

स्कूल छोड़ने का मतलब होता है अपने कई साथियों से संपर्क खत्म हो जाना, लेकिन चूंकि हम दोनों के ही पिता आर्मी में थे, इससे हमें हमेशा ये पता होता था कि हम एक-दूसरे तक कैसे पहुंच सकते हैं.

दिल्ली में रहते हुए अनीसिया और मैं हमेशा एक-दूसरे के संपर्क में रहते थे, जबकि हमारी चंडीगढ़ कॉलेज की योजना मुश्किलों में फंस गई थी. अपने मिस इंडिया प्रोग्राम के बाद मैं इस समय तक दिल्ली में रह रही थी. मेरी पुरानी योजना इधर-उधर होने लगी, लेकिन एनी आकाश में उड़ने की अपनी ख्वाहिश पर अडिग थी और साथ ही मुझे धोखा देने के लिए चिढ़ा भी रही थी. (जब भी हम मिले हर बार उसने इसके लिए मुझे ताने दिए. दिसंबर में गोवा में हुई हमारी मुलाकात में भी उसने यही किया.)

20 साल की उम्र तक अनीसिया टॉम ब्यॉय नहीं रह गई थी, लेकिन खुलकर बोलने की आदत वही पुरानी थी. यहां तक कि मैं और हमारे दूसरे दोस्त उसमें आए इस बदलाव को लेकर चकित थे. अनीसिया के अब लंबे बाल थे और वो बड़ी ही खूबसूरत दिखती थी.

और उसके पास उसकी ड्रीम जॉब भी थी. सच तो ये है कि 20 की उम्र में उसके पास वो सबकुछ था, जिसकी चाहत कोई भी इस उम्र की लड़की रख सकती है. मेकअप के महंगे सामान से लेकर शानदार कपड़े और CDs तक. कहने की जरूरत नहीं कि वो तमाम सुंदर जगहों पर छुट्टियां मना चुकी थी और अकसर किसी दोस्त को अपने साथ भी ले जाती.

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अनीसिया को न्याय मिलने तक शांत नहीं बैठूंगी

हमलोगों ने स्कूल के अपने दोस्तों की शादियां एक साथ अटेंड कीं और एक-दूसरे की शादियां भी. अनीसिया पहली लड़की थी जिसने मेरी शादी में आने पर हामी भरी, जबकि तब उसका शेड्यूल काफी व्यस्त था.

हमलोग पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से एक-दूसरे के संपर्क में रहे. हमारे बैच के वाट्सऐप ग्रुप पर करीब एक सप्ताह से कुछ ज्यादा समय पहले यूरोप में साइकिलिंग ट्रिप को लेक हमारी चर्चा चली. इसको लेकर अनीसिया काफी संजीदा थी.

हाल के सालों में मुझे लगने लगा था कि हम कितने एक जैसे थे और मुझे लगा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमारे बीच कई चीजें एक जैसी थीं. अनीसिया राजनीतिक और सामाजिक रूप से बहुत ही जागरूक थी.

हमारे आसपास जो कुछ भी हो रहा होता था, उसके बारे में उसके फेसबुक वॉल पर हमेशा एक जबरदस्त टिप्पणी देखने को मिलती थी. और जो कुछ भी गलत हो रहा होता था, उसके खिलाफ बोलने में वो कभी भी नहीं झिझकी. वो व्यवहारिक होने के साथ-साथ ईमानदार भी थी.

अनीसिया में वो सबकुछ था, जो एक लड़की खुद में होने की इच्छा कर सकती है- आत्मनिर्भर, सफल, मजबूत और ग्लैमरस.

वो इस तरह से चले जाने लायक नहीं थी. और मैं ये 1996 के अपने पूरे लॉरेंस लवडेल बैच की ओर से कह सकती हूं. और उनकी ओर से भी जो उसे अनीसिया को प्यार करते हैं. साथ ही ये भी कि हम उसे न्याय मिलने तक हम शांति से नहीं बैठेंगे.

भगवान एनि की आत्मा को शांति दें.

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