19 नवंबर का दिन टीवी चैनलों के एक और 'फेक न्यूज' के लिए जाना जाएगा. गुरुवार शाम को अचानक न्यूज चैनलों के स्टूडियो में बैठकर एंकर दहाड़ने लगे और चीख-चीखकर कहने लगे कि भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pok) पर एक और 'एयर स्ट्राइक' कर दी है. एक नहीं, दो नहीं...कई न्यूज चैनल पीटीआई के हवाले से युद्ध का ये 'नगाड़ा' पीट रहे थे. एक न्यूज चैनल जल्दी से ब्रेक लेकर 'गेस्ट' बैठाने लगा, सोचकर 'खुश' होगा कि आज का प्राइम टाइम तो युद्ध के नाम है.
'खुश' इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि एक महिला एंकर हैं, जो वैसे तो न्यूज चैनल की एंकर हैं लेकिन भारी उत्साह में यूट्यूब पर लाइव आ गईं और कहती हैं-'खुशखबरी है, हिंदुस्तान की तरफ से और फौज की तरफ से ऐसी जानकारी दी गई है कि Pok के इलाके के आतंकियों के जो लॉन्चिंग पैड है, उसपर टारगेटेड स्ट्राइक लगातार जारी है. एंटी टैंक मिसाइल और आर्टिलरी का इस्तेमाल करके हम कार्रवाई कर रहे हैं, हिंद की फौज अब एक-एक का बदला ले रही है, पाकिस्तान को तरीके से समझा दिया जा रहा है कि खूब हो गई है तुम्हारी नौटंकी.'
खुद इंडियन आर्मी को देनी पड़ी सफाई
अभी महज कुछ ही मिनटों तक ये तमाशा चला होगा कि खुद आर्मी को सामने आना पड़ा और कहना पड़ा की ये रिपोर्ट्स फेक हैं. ये फर्जी खबर है, न्यूज एजेंसी ANI ने इंडियन आर्मी के मिलिट्री ऑपरेशंस के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह के हवाले से ये बताया. ट्विटर पर भी ये फेक #BreakingNews जमकर ट्रेंड कर रहा है, #AirStrike औऱ #FakeNews भी ट्रेंड कर रहा है. कई यूजर्स ऐसा भी कह रहे हैं कि क्या फेक न्यूज दिखा-दिखाकर ही युद्ध करा डालेंगे क्या?
हैरानी की बात ये है कि महज आधे घंटे के भीतर ही ये सब हुआ और कुछ चैनल के ‘एक्सपर्ट’ दर्शकों को इस सर्जिकल स्ट्राइक के मायने और टाइमिंग के बारे में एक्स्प्लेन करने लगे! ऐसा बताने लगे कि ‘आखिर ऐसे मौसम में ही क्यों हुई है सर्जिकल स्ट्राइक’.
न्यूज चैनल अगर आगे हैं तो इनके वेबसाइट्स कैसे पीछे रह सकते हैं. अलग-अलग मीडिया हाउस के वेबसाइट न सिर्फ इस खबर को पीटीआई के हवाले से चला रहे थे बल्कि कुछ वेबसाइट तो 'परंपरा, अनुशासन' दिखाते हुए 'साइड स्टोरी' भी चलाने लगे कि खबर पर तो 'ट्रैफिक' आए ही आए कुछ साइड स्टोरीज पर भी नंबर कमा लिया जाए.
अब यूटर्न देखिए!
जैसे ही खंडन की खबर आई. चैनलों ने 'वक्त बदल दिए, जज्बात बदल दिए, जिंदगी बदल दी' और दर्शक (इस केस में मैं भी दर्शक हूं) सोच रहा था 'मारो मुझे मारो'. न्यूज चैनल्स के लाइन लेंथ बदल गए, खबर अलग-अलग दिखाए जाने लगी. कोई कश्मीर में आतंकियों के ढेर किए जाने की खबर दिखाने लगा तो कोई आर्मी चीफ नरवणे का बयान. जिन बड़े पत्रकारों ने पहले खबर देने के चक्कर में ट्विटर पर शेयर किया था, उन्होंने खंड वाली खबर भी ट्वीट कर 'कट्टम-कुट्टा' कर दिया. वेबसाइट का फंडा तो अलग लेवल का है- 'धीरे से हेडलाइन और कंटेट बदल दो'
अब सोचने की बात क्या है?
क्या एक दर्शक के तौर पर आपको लगता है कि ये कोई आम ''खबर'' थी? युद्ध की खबर, युद्ध और सर्जिकल स्ट्राइक जैसी खबर! जिसमें जान-माल का नुकसान होता है, दो देशों के बीच के संबंध खराब होते हैं, बॉर्डर पर रहने वाले लोगों की सांसें अटकी रहती हैं और हमारे जवानों के परिवार की नींद और चैन उड़ जाते हैं? जो आर्मी देश की रक्षा में जुटी है, उसका हेडक्वॉर्टर आपके फेक न्यूज के मसले सुलझाए क्या? क्या हम यही चाहते हैं? तो क्या ऐसी खबरों में इतनी तेजी दिखाने की जरूरत है? क्या किसी एजेंसी के सोर्स को क्रॉस चेक नहीं किया जा सकता? इस हड़बड़ी से न्यूज चैनल्स कहां जाने वाले हैं, नहीं पता लेकिन क्रेडिबिलिटी जरूर गर्त में घुसती जा रही है!
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)