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पाकिस्तान में भारतीय मिसाइल: ‘एक्सीडेंटल फायरिंग’ कैसे हुई ?

असल में दुनिया भर में , इस तरह की सामरिक शक्तियां मनुष्यों से नियंत्रित होती हैं, जिनसे गलती होने की संभावना है.

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10 मार्च को पाकिस्तान (Pakistan) के इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन के डायरेक्टर जनरल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि पाकिस्तान के एयर डिफेंस ऑपरेशन सेंटर ने 9 मार्च की शाम तेज रफ्तार से उड़ने वाली फ्लाइट को पकड़ा जो हरियाणा के सिरसा से छोड़ी गई थी. ये शुरू में महाजन फील्ड फायरिंग रेंज की तरफ जा रही थी, लेकिन 70-80 किलोमीटर के बाद अचानक से पाकिस्तान की तरफ मुड़ गई. मैच 3 की रफ्तार से 40,000 फीट की ऊंचाई पर , ये पाकिस्तानी सीमा के 124 किलीमोटर भीतर तक घूस आई. आखिर में मियां चानू खानेवाल जिले (उत्तरी पश्चिमी मुल्तान में ) गिरी. इससे कुछ नागरिकों की प्रॉपर्टीर्टी को नुकसान पहुंचा. पाकिस्तान ने कहा कि जो मलबा मिला है उसकी भी पाकिस्तान जांच कर रहा है.

सोशल मीडिया पर अजब-गजब बातें

डाटा को परखने के बाद (खासकर स्पीड, अल्टीट्यूड)जो पाकिस्तान के DG ISPR ने रिलीज किया था, मौजूद तस्वीरों से ये पक्का लगता है कि कम से कम या ऑब्जेक्ट नीचे बताए गए नहीं थे.

बैलेस्टिक मिसाइल, क्योंकि कम दूरी वाली बैलेस्टिक मिसाइल और टैक्टिकल मिसाइल की रेंज 300 किलोमीटर होती है और री-एंट्री से पहले 80 से 100 किलोमीटर की उड़ान तक पहुंच सकती है

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हाइपर सोनिक ग्लाइड व्हीकल “बूस्टर’रॉकेट भी आसमान में जाने पर बहुत तेज हो जाता है और उतनी ही तेजी से नीचे भी उतरती है.

भारत में विकसित किए जा रहे हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमेंसट्रेटर व्हीकल मार्च-7 ब्रह्मोस –II . जिसे शुरू में छोटे रॉकेट से उड़ाया जाता है..फिर इसे स्क्रैमजेट के जरिए हायरपरसोनिक फ्लाइट बना दिया जाता है.

लेकिन ऐसा लगता है कि खासकर जो तस्वीरें मिली हैं, कि भारत के सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को अपडेट किया जा रहा था और इसकी कार्यक्षमता का टेस्ट हो रहा था तब गलती से फायरिंग हो गई. ब्रह्मोस INS यानि इनिर्शियल नेविशन सिस्टम से चलता है और जमीनी टारगेट के लिए सैटेलाइट का यूज करता है. इसलिए शुरुआत में ये MFFR की तरफ जाने के बाद पाकिस्तान की तरफ मुड़ जाता है.

इससे सोशल मीडिया पर अजबगजब चलाई जा रही बातें खारिज हो जाती है, कि भारत ने जानबूझकर मिसाइल फायर किया ताकि पाकिस्तान के मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैयारी को समझा जा सके. कोई भी समझदार देश इस तरह लड़ाकू मिसाइल को फायर करने का जोखिम नहीं लेगा, ताकि अपने विरोधी की तैयारी को देख सके, क्योंकि ऐसे में ये गलत हाथ में जाने का अंदेशा रहता है.

मानवीय भूल

जहां ये घटना भारत के सामरिक हथियारों के रखरखाव और लॉन्च प्रोटोकोल में लापरवाही उजागर करती है, तथ्य ये है कि पूरी दुनिया में ऐसी सामरिक ताकतों को इंसान ही संभालते हैं और अक्सर उनसे गलती होने की संभावना रहती है. अगर US, UK और पुराने सोवियत संघ में हुए परमाणु हादसे इस बात की तस्दीक करते हैं. साल 1950 से परमाणु हादसे की 32 घटनाएं दर्ज हैं, (गलती से फायरिंग, विस्फोट, परमाणु हथियारों की चोरी) . आज तक 6 परमाणु हथियार चुराए गए हैं और अब तक उनका पता नहीं चल सका है.

अमेरिका की सबसे बड़ी अथॉरिटी इंटरएजेंसी सिक्योरिटी क्लासिफिकेशन अपील पैनल (ISCAP) की 2014 की रिपोर्ट ने तथाकथित अपोलो/न्यूक्लियर मैटेरियल्स एंड इक्विपमेंट कॉर्पोरेशन मामले पर परमाणु हथियारों की चोरी के बारे में बताते हुए कहा कि 1960 के दशक में, इजराइल ने एक अमेरिकी परमाणु संयंत्र से 100 किलोग्राम हथियार वाले यूरेनियम चुराए थे.

CIA की फरवरी 1976 में न्यूक्लियर रेगुलेटरी कमीशन के एक छोटे समूह की ब्रीफिंग में, तब CIA के डिप्टी डायरेक्टर कार्ल डकेट ने बताया था कि CIA मानता है कि लापता यूरेनियम का इस्तेमाल कर लिया गया है. इसी तरह जुलाई 2012 में अमेरिका के ओक रिज में Y-12 राष्ट्रीय सुरक्षा परिसर में , तीन एक्टिविस्ट ने 548 मिलियन डॉलर की परमाणु सामग्री को एक बंकर में नष्ट कर दिया.

साल 2013 में US एयरफोर्स यूनिट जो कि देश की एक तिहाई न्यूक्लियर टेस्ट को ऑपरेट करती है वो सेफ्टी और सिक्योरिटी के मापदंडों पर फेल हो गई थी.

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सौभाग्यशाली की कुछ बुरा नहीं हुआ

ऊपर बताई बातें सिर्फ उदाहरण हैं, जो अभी घटना घटी उसका एक्सक्यूज नहीं. भारत और पाकिस्तान में लंबे वक्त से जारी तनाव के देखते हुए ऐसी घटना कभी भी न्यूक्लियर टेंशन तक पहुंच सकती है. अमेरिका और रूस के मामले में कम से कम इंटर बैलिस्टिक मिसाइल छोड़ने में 35 मिनट का वक्त लेता है, फिर भी ‘हमले की सूरत’ में न्यूक्लियर थ्रेट इनीशिएटिव के आकलन के हिसाब से अमेरिकी राष्ट्रपति को रूस पर आक्रमण करने में महज 2 से 3 मिनट का वक्त लगेगा.

वहीं भारत-पाकिस्तान जो एक दूसरे से जुड़े देश हैं वहां और कम समय लगेगा. पाकिस्तान ने जो टाइमिंग बताई है उसके हिसाब से फ्लाइट मियां चन्नू पर पहुंचने से 7 मिनट पहले लांन्च की गई थी, आसानी से इसे पाकिस्तानी सामरिक ठिकानों मुल्तान(जहां पाकिस्तानी परमाणु हथियारों का बड़ा जखीरा है) पर भारत का अचानक हमला बताया जा सकता था और पाकिस्तान बदले में कार्रवाई कर सकता था .

‘अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि है क्या भारत ने पाकिस्तान को मौजूदा समझौते के मुताबिक किसी भी क्रूज मिसाइल या बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण से पहले चेतावनी दी थी या नहीं’

कुलमिलाकर फिलहाल दोनों देश भाग्यशाली हैं और हादसे बच गए हैं . भारत की तरफ से गलती कबूल किए जाने की तारीफ की जानी चाहिए और ये मैच्युरिटी दिखाता है ..कि वो उपमहाद्वीप में सामरिक स्थिरता बनाए रखने के लिए तैयार है.

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( कुलदीप सिंह भारतीय आर्मी से रिटार्यड ब्रिगेडियर हैं। लेख में व्यक्त किए गए विचार उनके अपने हैं. 'क्विंट हिंदी' ना तो इसके लिए जिम्मेवार है और ना ही इनका समर्थन करता है.)

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