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Valentines Day: नफरत से नहीं मोहब्बत से क्यों डर लगता है साहब?

वैलेंटाइन डे का कई राइट-विंग संगठन कर रहे हैं विरोध

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वैलेंटाइन डे आते ही इस देश की हवा में प्यार के साथ-साथ नफरत भी घुलने लगी है. प्यार-मोहब्बत को देश की संस्कृति के लिए खराब मानने वाले इस समाज के ठेकेदार फिर सड़कों पर हैं... युवाओं को धमकी दे रहे हैं, कि अगर उन्होंने मोहब्बत करने की जुर्रत की, तो इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा.
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ऐसा नहीं है कि इस समाज में प्यार नहीं है. प्यार तो बहुत है. यहां लोग अपनी संस्कृति से प्यार करते हैं, अपने धर्म से प्यार करते हैं, गौ माता, बजरंगबली और राम से प्यार करते हैं. लेकिन जहां एक-दूसरे की बात आती है, जहां इंसानी मोहब्बत की बात आती है... वहां उन्हें इसी प्यार में अश्लीलता दिखने लगती है, धर्म दिखने लगता है, जाति दिखने लगती और लड़का-लड़की दिखने लगता है. एक ही जेंडर में प्यार की बात तो भूल ही जाइए.

वैलेंटाइन डे आते ही प्यार-मोहब्बत का ऐसे विरोध किया जाता है, जैसे कोई महामारी हो. अगर गलती से भी कोई इसके कॉन्टैक्ट में आ गया, तो जैसे इस देश की संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी.

प्यार के नाम पर मिली धमकियां देखिए

हिंदू संस्कृति को बचाने की जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठाने वाली हिंदू सेना ने भी फिर एक बार कह दिया है कि अगर वैलेंटाइन डे पर किसी ने PDA (यानी पब्लिस प्लेस में अपने पार्टनर के लिए प्यार का इजहार) किया, तो उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा.

‘पिछले साल इस दिन, आतंकी हमले में हमारे 45 जवान शहीद हो गए थे. दुश्मनों की वो कायराना हरकत हम कैसे भूल सकते हैं और कैसे प्यार को सेलिब्रेट कर सकते हैं. अगर हमने लवर्स को पार्क, मॉल, क्लब, पब या रेस्टोरेंट में देखा, तो हम उनकी शादी नहीं कराएंगे. हम उन्हें देश के प्रति प्यार के बारे में बताएंगे.’
पी बालास्वामी, पब्लिसिटी कन्वेनर, वीएचपी, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश

बजरंग दल ने भी कहा है कि वो वैलेंटाइन डे पर युवाओं के 'अभद्र बर्ताव' को बर्दाश्त नहीं करेगा.

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'लव मैरिज- मतलब समाज में शर्मिंदगी'

यहां बात सिर्फ इन राइट-विंग ऑर्गनाइजेशन की नहीं है, जो वैलेंटाइन डे आते ही प्यार-मोहब्बत का विरोध करने के लिए एक्टिव हो जाते हैं. ये सवाल पूरे समाज के लिए हैं- आखिर क्यों हम प्यार-मोहब्बत के खिलाफ हैं? क्यों आपस में प्यार के साथ रहने की बात सिखाने वाला ये समाज उन दो लोगों के प्यार के खिलाफ हो जाता है?

अपने आस-पास देख लीजिए. कितने परिवार अपने बच्चों के प्यार को अप्रूव करते हैं? भारत उन चुनिंदा देशों में से है, जहां दो तरह की शादियां होती हैं- लव और अरेंज. अधिकतर पेरेंट्स आज भी अपने बच्चों की लव मैरिज के खिलाफ हैं. इसका कारण या तो बच्चों के फैसलों पर यकीन नहीं करना है, या सदियों से चली आ रही मानसिकता, कि हमारे मां-बाप ने हमारे लिए रिश्ता चुना था, तो हम तुम्हारे लिए चुनेंगे. या फिर ये बच्चों की जिंदगी कंट्रोल करने का एक और तरीका है. मैंने अपने आसपास कई ऐसे मामले देखे हैं, जहां लव मैरिज को इस नजर से देखा गया कि जैसे बच्चों ने पेरेंट्स की नाक कटवा दी हो, परिवार का नाम शर्मसार कर दिया हो.

भारतीय समाज में लव मैरिज की तरफ जो अप्रोच है, उसे मैं आज तक समझने की कोशिश कर रही हूं. मतलब पेरेंट्स किस चीज से डरते हैं? बच्चों ने अगर गलत फैसला ले लिया तो गिरेंगे, लेकिन फिर संभलेंगे भी तो... गिरने के डर से उन्हें चलने की कोशिश न करने देना गलत है. वो कौन सी इज्जत है, वो कौन सा रूतबा है जो पेरेंट्स के लिए बच्चों की खुशी से बढ़कर हो जाता है?

पेरेंट्स क्यों प्यार को लेकर इतने असहज होते हैं? यंगस्टर्स की भाषा में कहूं तो पूरा देसी कल्चर ही प्यार को लेकर इतना असहज क्यों है? घरों में एक-दूसरे के लिए प्यार का इजहार न करना, कहीं प्यार को गलत मानने वाली इस मानसिकता को बढ़ावा तो नहीं दे रहा है?

इसलिए आज भी इस समाज में अपनी मर्जी से, अपनी पसंद के पार्टनर से शादी करना एक बड़ी बात होती है. ये दिल्ली जैसे बड़े शहरों में शायद बड़ी बात न हो, लेकिन जिस शहर से मेरा ताल्लुक है, वहां आज भी कोई अगर लव मैरिज कर ले तो ये बात जैसे जंगल में आग की तरह फैलती है. और ये सिर्फ मेरे शहर की बात नहीं है, इस जैसे तमाम छोटे शहर, गांव-कस्बों में अपनी मर्जी से ब्याह करने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है, और कुछ को इसकी कीमत जान से चुकानी पड़ती है.

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मोहब्बत से इतनी नफरत क्यों?

प्यार से हम इतनी नफरत करने लगे हैं कि उसके लिए अपने बच्चों की जान लेने तक को तैयार हैं. ऑनर किलिंग शब्द भी इसी समाज का दिया हुआ है, मतलब सम्मान के लिए हत्या कर देना. ऐसा माना जाता था कि ये मामले हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तर भारत के राज्यों में ज्यादा देखने को मिलते हैं, लेकिन ये बात तब गलत साबित हो गई जब तेलंगाना के नालगोंडा में ऑनर किलिंग का मामला सामने आया. 24 साल के पेरुमाल्ला प्रणय की उसकी प्रेग्नेंट पत्नी के सामने हत्या कर दी गई थी. प्रणय दलित थे, और उनकी पत्नी अमृता समाज में ऊंची माने जाने वाली जाति से आती थीं. अमृता ने पति की हत्या का आरोप अपने पिता पर लगाया था. ये घटना सितंबर 2018 की है.

2014, 2015 और 2016... इन तीन सालों में ऑनर किलिंग के 300 से ज्यादा मामले सामने आए. (2014 में 28, 2015 में 251 और 2016 में 77 मामले)

2018 में ही, विजयवाड़ा में एक पिता ने अपनी 20 साल की बेटी की इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि उसने एक दलित लड़के से प्यार करने की जुर्रत की थी. जनवरी 2019 में बिहार के गया में एक 16 साल की लड़की को इसलिए जान गंवानी पड़ी, क्योंकि वो एक लड़के के साथ भाग गई थी. दिसंबर 2019 में, बिहार के बक्सर में एक और ऑनर किलिंग का मामला सामने आया. एक लड़की की जली लाश खेतों में मिली और पिता ने हत्या का जुर्म कबूला. ऑनर किलिंग के ये मामले यही बता रहे हैं कि ये समाज प्यार को स्वीकारने के लिए तैयार ही नहीं है.

साल 2020 आ गया है, लेकिन मोहब्बत करने वालों को ये लड़ाई शायद अभी और लंबी लड़नी पड़ जाए. शायद इस समाज को आगे बढ़ने में थोड़े और साल लग जाएं. शायद प्यार-मोहब्बत को 'शर्मनाक' और 'अश्लील' मानने वाली मानसिकता को बदलने में कुछ दिन और लग जाएं. शायद पेरेंट्स को बच्चों की लव मैरिज एक्सेप्ट करने में थोड़ा वक्त और लग जाए. इस वैलेंटाइन न सही, लेकिन शायद अगली वैलेंटाइन ये प्यार परवान चढ़ जाए.

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