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महात्मा और बाल अपराधी: गांधी के सत्य के प्रयोग

महात्मा गांधी के जन्मदिन पर उनकी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ से कुछ कहानियां.

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[ये स्टोरी 30 जनवरी 2016 को पहली बार क्विंट हिंदी पर छपी थी. हम बापू के पुण्यतिथि पर इसे दोबारा पब्लिश कर रहे हैं.]

2 अक्टूबर को महात्मा गांधी का जन्मदिन है, महात्मा एक असाधारण व्यक्ति थे. उनके बारे में प्रसिद्ध कहानियां बड़ी रोचक लगती हैं. कौन कल्पना कर सकता है कि इस महान व्यक्तित्व वाले इंसान में कभी बाल अपराध के लक्षण भी नजर आए थे.
बचपन में एक बार वे धूम्रपान करते हुए पकड़े गए. वे सिगरेट के बचे हुए टुकड़े उठाकर उनसे धूम्रपान करते थे. मैं उनके इस अनुभव को उन्हीं के शब्दों में रखना चाहूंगा.

सिगरेट के टुकड़े हमेशा मौजूद नहीं होते थे और उनसे ज्यादा धुंआ भी नहीं निकलता था. तो हम भारतीय सिगरेट खरीदने के लिए नौकर के जेबखर्च का पैसा चुराने लगे. उस पैसे से हम कई हफ्तों तक सिगरेट पीने लगे. फिर हमें पता चला कि किसी एक पेड़ का पतले तने में छेद होते हैं और उसे सिगरेट की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. हम वह पेड़ भी ले आए और इस तरह का धूम्रपान करने लगे
महात्मा गांधी अपनी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में 

एक असाधारण व्यक्ति

ये कहानियां गांधी की आत्मकथा “सत्य के प्रयोग” से ली गई हैं. किताब की भाषा पढ़ने वाले के दिल को छू लेती है. ये कहानियां बताती हैं कि यह महान व्यक्ति बेहद असाधारण था.

गांधी और उनके रिश्तेदारों ने (जो सिगरेट पीने में उनका साथ देते थे) एक दिन आत्महत्या की योजना बना ली. उन्होंने सुना था कि धतूरे का बीज जहरीला होता है, तो वे धतूरे की खोज में जंगल चले गए. “शाम का समय पवित्र माना जाता है.”

हम केदारजी के मंदिर में गए. मंदिर के दीपक में घी डालकर प्रार्थना की और फिर एक सुनसान कोना ढूंढने लगे. पर हमारी हिम्मत जवाब दे गई.
सत्य के प्रयोग, महात्मा गांधी  

यही नहीं गांधी ने एक बार 25 रुपए का कर्ज चुकाने के लिए अपने भाई के बाजूबंद से सोना भी चुरा लिया था.

पर इस से भी ज्यादा मजेदार कहानी तब बनी जब वे वैश्याओं से मिलने गए. उन्होंने जिस तरह से उस घटना का वर्णन किया है, लगता है जैसे शब्दों में छिपी तसवीरें किताब से बाहर निकल आएंगी.

एक बार मेरा एक दोस्त मुझे वैश्यालय ले गया. उसने जरूरी निर्देश देकर मुझे अंदर भेज दिया. सब कुछ पहले से ही तय था. पैसे भी पहले ही चुका दिए गए थे. मैं पाप के पंजे में पहुंच चुका था. पर ईश्वर की असीम दयालुता ने मुझे मुझ से ही बचा लिया. मैं लगभग एक गूंगे और अंधे की तरह महसूस कर रहा था. मैं खामोशी से उस महिला के बिस्तर पर उसके पास जाकर बैठ गया. उसे स्वाभाविक रूप से गुस्सा आ गया और मेरी बेइज्जती करते हुए उसने मुझे बाहर निकाल दिया. तब मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी मर्दानगी पर चोट की गई है. मैं शर्म से जमीन में गड़ा जा रहा था. पर मैं खुद को बचा लेने के लिए ईश्वर का शुक्रगुजार भी था.
सत्य के प्रयोग, महात्मा गांधी  
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पर गांधी जिद्दी थे. इसी जिद की वजह से वे चार बार और वेश्यालय गए. पर उनके शब्दों में उनकी ‘अच्छी किस्मत’ की वजह से हर बार वे सेक्स से बच गए.

गांधी के पहली बार मांस खाने की कहानी तो सबने सुनी ही होगी, जब वे रात भर सो नहीं सके और उन्हें लग रहा था कि उनके अंदर जिंदा बकरी मौजूद है. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने उसके बाद करीब 5-6 बार मांस खाने की कोशिश की, वे अपनी आत्मकथा में लिखते हैं.

एक शंकालु पति

गांधी ने अपनी आत्मकथा में अपने एक शंकालु पति होने का भी जिक्र किया है. दो लड़कियां जिनसे उनकी सगाई हुई थी, मर गईं थी. इसी वजह से शायद वे एक शंकालु पति बन गए थे. शादी के बाद उनकी पहली रात की कहानी उनकी जुबानी:

दो मासूम बच्चों ने बिना जाने समझे खुद को जीवन के समुद्र में ढकेल दिया था. मेरे बड़े भाई की पत्नी ने विवाह की पहली रात मेरा व्यवहार कैसा होना चाहिए, इस पर अच्छा खासा प्रशिक्षण दे डाला था. मुझे नहीं पता कि मेरी पत्नी को किसने प्रशिक्षण दिया था. प्रशिक्षण ने मुझे ज्यादा मदद नहीं दी. पर इस तरह के मामलों में बिना किसी प्रशिक्षण के जाना ही बेहतर होता है.
सत्य के प्रयोग, महात्मा गांधी

और फिर गांधी का शक बाहर आया. मेरे पास अपनी पत्नी पर शक करने का कोई कारण नहीं था. पर शक के लिए किसी कारण की कोई जरूरत ही कहां होती है. वह मेरी इजाजत के बिना बाहर नहीं जा सकती थी.

वे आगे बताते हैं कि कस्तूरबा पर लगाए प्रतिबंधों के कारण वे एक कैदी की तरह महसूस करने लगीं. अक्सर कई दिनों तक पति-पत्नी में बात नहीं होती थी. उन्होंने अपनी पत्नी के लिए अपनी ‘वासना’ पर भी पश्चाताप किया. अपने विद्यालय में भी वे अपनी पत्नी के बारे में सोचते रहते थे और उनसे दूर रहना गांधी के लिए मुश्किल होता था. उन्होंने बाद में लिखा कि अगर उनके मन में इतनी अधिक वासना न होती तो उन्होंने उस समय का प्रयोग कस्तूरबा को पढ़ाने के लिए किया होता.

अंग्रेजों की नकल

गांधी की कहानियों में एक और बेहद दिलचस्प कहानी उनके इंग्लेंड प्रवास की है जहां वे पढ़ाई के लिए गए. सबसे पहले तो उन्होंने नए कपड़े खरीदे और 19 शिलिंग का एक महंगा हैट लिया. उसके बाद उन्होंने बॉन्ड स्ट्रीट से 10 पाउंड का ईवनिंग सूट खरीदा और भारत में अपने भाई को लिखा कि वे उनके लिए सोने की घड़ी की चेन भेज दें. और जैसे इतना काफी नहीं था, गांधी वहां वेस्ट्रन डांस, फ्रैंच भाषा और भाषण देने की कला भी सीखने लगे. उन्हें पता चला कि वे डांस में अच्छे नहीं थे.

लय पर गति करते हुए नाचना मेरे बस की बात नहीं थी. मैं पियानो को फॉलो नहीं कर पाता था और गड़बड़ा जाता था.
सत्य के प्रयोग, महात्मा गांधी

फिर गांधी ने 3 पाउंड का वायलिन खरीदा और उसे सीखने के लिए फीस भी दी. पर बाद में वे इस सब से तंग आ गए और उन्होंने इंग्लिश जेंटलमेन बनने का विचार त्याग दिया.

(लेखक अरविंद काला एक फ्रीलांस पत्रकार हैं.)

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