ADVERTISEMENTREMOVE AD

नवाजुद्दीन सिद्दीकी, डिप्रेशन के बारे में आपको ऐसी बातें करता देखना दुखद है

डिप्रेशन और मेंटल हेल्थ पर उनके विचारों को लेकर नवाजुद्दीन सिद्दीकी को एक ओपन लेटर.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

(ट्रिगर वॉर्निंग: आर्टिकल में डिप्रेशन, सुसाइड, घरेलू हिंसा और रेप का जिक्र है.)

डियर नवाजुद्दीन सिद्दीकी,

ये देखते हुए कि भारत दुनिया का सबसे डिप्रेस्ड देश है और भारतीयों में सुसाइड की दर सबसे ज्यादा है, ये कहना गलत नहीं होगा कि मेंटल हेल्थ से संबंधित परेशानियां देश में धीरे-धीरे बढ़ती जा रही हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मैं आपसे कहना चाहती हूं कि पहले से मौजूद परेशानियों में और न जोड़ें.

भारत में एक नामी एक्टर होने के साथ-साथ, आपकी संघर्ष भरी शुरुआत के लिए ग्रामीण ऑडियंस आपको पसंद करती है. बहुत से लोग आपको आदर्श मानते हुए आपके काम करने के तरीके को अपनाते हैं, यही वजह है कि आपका इस तरह का बयान देना बहुत से लोगों के लिए नुकसानदेह है.

जब आपने मैशबेल इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में पहली बार डिप्रेशन के बारे में बात की, और दावा किया कि, "गांव में कोई डिप्रेस्ड नहीं होता, हर कोई खुश रहता है", तो कई लोग आपके बचाव में आ गए - ये मानते हुए कि आप ग्रामीण भारत में मानसिक बीमारियों के बारे में जागरुकता की कमी को उजागर करने की कोशिश कर रहे थे.

क्योंकि आप गांवों में डिप्रेशन को सीधे तौर पर नकार नहीं सकते थे, है न?

लेकिन लगता है कि आपने ऐसा ही किया.

एनडीटीवी को दिए गए एक दूसरे इंटरव्यू में जब आपको ऑनलाइन आलोचना से खुद को बचाने का मौका दिया गया, तो आपने मेंटल हेल्थ के मुद्दों को खारिज करते हुए और ज्यादा मायूस किया.

आपने स्पष्ट किया, "किसी को होता ही नहीं, डिप्रेशन नाम की कोई चीज होती नहीं वहां पर. फैक्ट है, आप जा के देख लीजिए, किसी को नहीं होता."
ADVERTISEMENTREMOVE AD

आपने इंटरव्यू की शुरुआत इस बात पर जोर देकर की कि कैसे ये एक गांव में बड़े होने का आपका तजुर्बा है, और इस बात की संभावना है कि आप गलत हो सकते हैं - और फिर जल्द ही आप अपने दावों को ‘तथ्य’ कहने लगे.

क्या आप जानते हैं कि सिर्फ महाराष्ट्र में पिछले साल देश में 2,942 किसानों की खुदकुशी से मौत हो गई. इसके अलावा, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, शराब की लत और महिलाओं के जीवन को प्रभावित करने वाले दूसरे अन्य मुद्दे ग्रामीण भारत में बहुत ज्यादा हैं.

बलात्कार, हत्या, आत्महत्या और संदिग्ध मौत के 337 मामलों में से 229 मामले ग्रामीण क्षेत्रों से थे, जबकि 108 शहरी क्षेत्रों से थे (2019 से 2020 तक मणिपुर में दर्ज).
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-वी
ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या ये आंकड़े अभी भी इस बात की ओर इशारा करते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं केवल शहरों में हैं? या ये समस्याएं ग्रामीण भारत में इतनी सामान्य हो गई हैं कि आप उन्हें सीधे तौर पर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के परिणाम के रूप में मानते ही नहीं हैं?

डिप्रेशन डेमोग्राफिकल आधार पर भेदभाव नहीं करता, लेकिन जागरुकता की कमी जरूर ये भेदभाव करती है, और तो और, ग्रामीण इलाकों में लोगों के लिए इसे और बदतर कर देती है. और जब आप जैसा कोई शख्स, जिसे बहुत से लोग पसंद करते हैं, डिप्रेशन के बारे में इतनी आसानी से बात करता है, तो ये मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियों को और बढ़ाता है. अगर आपके ग्रामीण दर्शक किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं, तो इससे उनके लिए मदद हासिल करना और मुश्किल हो जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

आप न केवल बड़े पैमाने पर होने वाले डिप्रेशन के प्रभावों को कमतक कर रहे हैं, बल्कि आपने इससे पीड़ित लोगों को भी दोषी ठहराया है. आपने आगे कहा, "शहरों में, हम हर एक भावना का महिमामंडन करते हैं. हमारे पास वह सब कुछ है, जिसकी हमें जरूरत है, और फिर भी हम ऐसी बीमारियों से पीड़ित हैं."

यहां मुझे आपकी बात में सुधार करने का मौका दें. डिप्रेशन किसी भावना का महिमामंडन नहीं है. ये किसी भी दूसरी बीमारी की तरह है, और ऐसे थेरेपिस्ट्स और साईकैट्रिक्स हैं, जो इसका इलाज करते है और दवाएं लिखते हैं. पैसा, लग्जरी और कम्फर्ट से डिप्रेशन का कोई मतलब नहीं है.

और आपको पता है कि सबसे ज्यादा दुखद क्या है? कि ये बयान इतनी बड़ी शख्सियत की ओर से आ रहा है. भले ही आप उन्हें आम बातचीत मानते हों, लेकिन इनपर बड़ी जिम्मेदारी होती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
एक ऐसे देश में, जहां 43% से ज्यादा लोग डिप्रेशन के साथ जी रहे हैं, आपके जैसे एक्टर्स को अपने मंच का इस्तेमाल लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में शिक्षित करने और इसके बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए करना चाहिए.

हमें ये सुनिश्चित करना चाहिए कि डिप्रेशन को किस तरह देखा जाए: एक गंभीर मानसिक बीमारी, न कि एक कैजुअल च्वाइस.

और उनके लिए जो अक्सर कहते कि कैसे शहरों के लोग अपने जज्बातों का 'महिमामंडन' करते हैं, आपने भी ग्रामीण भारत के मुद्दों को महिमामंडित किया है. दोनों इंटरव्यू में, आपने दोहराया कि कैसे बारिश होने पर गांव के भिखारी और बेघर लोग नाचते हैं, और ये एक इशारा है कि वहां डिप्रेशन मौजूद नहीं है.

भारत 2022 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) में 6 पोजिशन पर नीचे गिर गया है. 121 देशों में भारत 107वें स्थान पर है.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022
ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत में भुखमरी और गरीबी चरम पर है, और मेरी राय में, फुटपाथ पर रहने वालों और मानसिक बीमारियों को लेकर उनकी समझ की कथित कमी को महिमामंडित करना गैर-जिम्मेदाराना है.

बॉलीवुड के टॉप एक्टर्स में शुमार, दीपिका पादुकोण ने डिप्रेशन से निपटने के बारे में तब खुलकर बात की जब वह अपने करियर के चरम पर थीं. उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए अपने मंच का इस्तेमाल किया.

आपके जैसे बयान उन जैसे एक्टर्स और सार्वजनिक हस्तियों को भी बदनाम करते हैं, जो इसके खिलाफ लड़ रहे हैं और दुनिया के सामने अपनी लड़ाई रख रहे हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अब तक, ये जाहिर हो गया है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर इस तरह की बातों के पीछे असली कारण जागरूकता या समझ की कमी है.

मुझे पूरी उम्मीद है कि आप फीडबैक पर विचार करेंगे और इस तरह के गंभीर मुद्दे के बारे में अधिक जानकारी रखेंगे.

भारत के 43% में से एक.

(अगर आपके मन में खुदकुशी के खयाल आ रहे हैं या आप किसी को जानते हैं, जो परेशानी में है, तो कृपया उन तक मदद का हाथ आगे बढ़ाएं, और स्थानीय इमरजेंसी सेवाओं, हेल्पलाइन और मानसिक स्वास्थ्य एनजीओ के इन नंबरों पर कॉल करें.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×