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‘नीच’ शब्द क्या नेताओं के लिए जीत का फॉर्मूला बन गया है?

आजकल बिहार की सियासत में  नीच शब्द का खूब इस्तेमाल हो रहा है.

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हमारे नेताओं को आखिर 'नीच' शब्द से इतना प्यार क्यों हैं भाई. जो चुनाव आते ही उनका राजनीतिक हथियार बन जाता है. इन दिनों बिहार की सियासत में इस शब्द का खूब इस्तेमाल हो रहा है. एनडीए के पुराने सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा खुद नीच शब्द के तीर से घायल हुए पड़े हैं. और ये तीर निकला है नीतीश कुमार के तरकश से. अब नीतीश ने भले ही उनके लिए इस शब्द का इस्तेमाल ना किया हो, लेकिन कुशवाहा अपने सीने पर इस तीर को लिए घूम रहे हैं.

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नीच मामूली शब्द नहीं बल्कि नेताओं का ब्रहास्त्र है, पीएम मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में इसका सफल प्रयोग किया. 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने भी इस हथियार से पीएम मोदी पर वार किया और कामयाब रहे. 

नीच शब्द के जरिए सीट हासिल की कोशिश

एनडीए में सीट बंटवारे पर वैसे ही घमासान मचा हुआ है, बीजेपी और जेडीयू ने तो फिफ्टी-फिफ्टी पर बात फिक्स कर ली है. 6 सीटों के लिए बचे रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा. ऐसा माना जा रहा है कि कुशवाहा को जीरो पर आउट करने की तैयारी है. तो कुशवाहा जी ने थाम लिया हथियार.

नीतीश के जिस बयान पर उपेंद्र कुशवाहा इतनी हायतौबा मचा रहे हैं, उसकी असलियत क्या है? दरअसल एक कार्यक्रम के दौरान एक पत्रकार ने कुशवाहा के एनडीए के खिलाफ बयानबाजी पर सवाल पूछा जिसका जवाब में नीतीश कुमार ने कुछ ये कहा-

कुशवाहा ‘सवाल जवाब का स्तर नीचे ले जा रहे हैं’
नीतीश कुमार 

नीतीश के खिलाफ अभियान

नीतीश कुमार तो ये बयान देकर निकल गए, कुशवाहा ने इस बयान को लपक लिया और इसे अगड़ी और पिछड़ी जाति से जोड़ दिया. वो पूरे बिहार में घूम-घूमकर कहते फिर रहे हैं कि नीतीश ने उनका ही नहीं बल्कि पूरे कुशवाहा समाज का अपमान किया है.

बड़े भाई नीतीश कुमार जी, जब एक ही परिवार से आप और हम हैं तो उपेंद्र कुशवाहा नीच कैसे हो गया? जब पीएम मोदी ने बिहार चुनाव से पहले किसी और संदर्भ में डीएनए की बात की थी तब आपने नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के लोगों से कहा कि बाल और नाखून काटकर दिल्ली भेजो, हमारा डीएनए कैसा है. इसकी रिपोर्ट हमें चाहिए.

बीजेपी ने भी नहीं दिया साथ

उपेंद्र कुशवाहा को भरोसा था नीतीश के 'नीच' बयान पर उनको बीजेपी का साथ मिलेगा. कुशवाहा अमित शाह के पास नीतीश कुमार की शिकायत लेकर भी पहुंचे, लेकिन शाह से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई, वहीं बीजेपी खुलकर नीतीश के सपोर्ट में आ गई. अब अकेले पड़े कुशवाहा कभी शरद यादव से मिल रहे हैं तो कभी तेजस्वी यादव से.

वैसे जिस हथियार को लेकर आज उपेंद्र कुशवाहा शिकार करने निकले हैं, इसी हथियार का इस्तेमाल नीतीश कुमार ने 2015 के विधानसभा चुनाव में किया था, जब पीएम मोदी ने मुजफ्फरपुर की एक रैली के दौरान जीतन राम मांझी का जिक्र करते हुए कहा था- 
जब नीतीश ने 17 सालों का हमारा गंठबंधन तोड़ दिया था तो मुझे बहुत दुख हुआ था, लेकिन जब उन्होंने जीतनराम मांझी जैसे महादलित के साथ ऐसा किया तो मैंने सोचा कि उनके राजनीतिक डीएनए में ही कुछ गड़बड़ है.  
पीएम मोदी 

नीतीश कुमार ने पीएम के इस बयान को अपना ब्रहास्त्र बना लिया और इसे बिहार की अस्मिता से जोड़ दिया. नीतीश ने पीएम के बयान को पूरे बिहार का अपमान बताकर उनके खिलाफ शब्दवापसी अभियान छेड़ दिया. यही नहीं करीब 50 लाख लोगों ने अपना डीएनए सैंपल भी पीएम तक भेजवा दिया.

पीएम मोदी ने भी इसी हथियार को आजमाया

नीतीश कुमार से पहले खुद पीएम मोदी इस हथियार का इस्तेमाल कर चुके हैं. 2014 में जब मोदी चुनावी रथ पर सवार थे. तब एक रैली के दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर हमला बोला था, जिसका जवाब देते हुए प्रियंका गांधी ने कहा था-

मोदी की ‘नीच राजनीति’ का जवाब अमेठी की जनता देगी
प्रियंका गांधी का 2014 का बयान

पीएम मोदी ने प्रियंका गांधी के 'नीच राजनीति' वाले बयान को अपनी निचली जाति से जोड़ लिया. मोदी हर रैली में अपनी जाति का रोना रोते रहे और इसे अपने साथ पूरी निचली जाति के लोगों का अपमान बता दिया. प्रियंका के इस बयान के बाद ऐसा सियासी बवंडर खड़ा हुआ कि 2014 में कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई.

2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी पीएम मोदी नीच शब्द से एक बार फिर घायल हुए. मणिशंकर अय्यर ने मोदी के लिए कहा था-

ये आदमी बहुत नीच किस्म का है. इसमें कोई सभ्यता नहीं है और ऐसे मौके पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है?”
मणिशंकर का 2017 का बयान

मणिशंकर के बयान के बाद खुद राहुल गांधी को मैदान में उतरकर सफाई देनी पड़ी. राहुल ने ट्वीट किया- ‘पीएम मोदी के लिए मणिशंकर अय्यर ने जिस भाषा और लहजे का इस्तेमाल किया है, मैं उसे ठीक नहीं मानता हूं. उन्होंने जो कहा, कांग्रेस और मैं दोनों ही उनसे इसके लिए माफी की उम्मीद करता हूं.’

अब एक बार फिर बिहार की राजनीति में ‘नीच’ नाम का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है. कुशवाहा इसका इस्तेमाल किस हद तक करते हैं, अब तो आने वाला वक्त बताएगा. 2014 में एनडीए के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले कुशवाहा अब बीजेपी के लिए बैरी हो गए हैं. 2014 के चुनाव में तीन सीटों पर चुनाव लड़कर तीनों सीटों पर जीत हासिल करने के बाद आज वो तीन सीट के लिए तरस रहे हैं, लेकिन बीजेपी नीतीश के प्रेम में उनको अनदेखा कर रही हैं. अब नीतीश के रास्ते पर ही चलकर कुशवाहा को उनको मात देने की तैयारी कर रह हैं.

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