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कालेधन के खिलाफ बोल्ड फैसले से BJP क्लीन बोल्ड तो नहीं होगी ?

चुनावी समय में यह पासा कहीं उल्टा न पड़ जाए इसलिए बीजेपी हाईकमान ने गुरूवार से मोर्चा संभाल लिया.

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प्रधानमंत्री मोदी की कालेधन और जाली नोटों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राईक से प्रभावित लोगों की परेशानी की कहानियां जैसे-जैसे बढ़ रही है बोल्ड और निर्णायक सरकार की छवि रचनाकारों के माथे पर बल पड़ने लगा है.

कालेधन के खिलाफ मोदी सरकार के बोल्ड फैसले से बीजेपी तो क्लीन बोल्ड नहीं होगी ?

फायदा दूर का होगा, नुकसान नजदीक का! कालेधन के खिलाफ पीएम के बोल्ड फैसले से आंतरिक पार्टी क्राइसिस मैनेजमेंट पर क्या होगा असर?

नाम न छापने की शर्त पर बीजेपी महासचिव की यह टिप्पणी बीजेपी की चिंता को जताती है. बकौल उनके अनुसार: "सर्जिकल स्ट्राईक में हमने पाक के आंतकवादियों को मारा था इसलिए देश खुश था. कालेधन के सर्जिकल स्ट्राईक से हमने कोर वोटर की पोटली पर आक्रमण किया है. वो बेवजह परेशान हुए हैं. प्रधानमंत्री का फैसला निस्सन्देह बोल्ड है लेकिन उसके साईड इफेक्ट से बचने की तैयारी काफी लचर थी."

पब्लिक हो रही परेशान

बैंकों में एक किलोमीटर से भी लंबी लाइनें लगीं हैं. लगता है पूरे राष्ट्र के पास एक ही काम बचा है अपने नोट बदलवाने का और रोजमर्रा के खर्चे के लिए घंटों लाइनों में लगकर कुछ पैसा हथेली में पाने का. अपना ही जमा पैसा एटीएम से निकालकर परेशान लोग वैसे खुश हो रहें है जैसे मानो लौटरी लग गई हो.

छोटे और मुफस्सिल कस्बों में जहां एटीएम की पहुंच सीमित है या न के बराबर है वहां की खौफनाक कहानियां छन-छन कर आ रही है. किसी के पास अस्पताल जाने के पैसे नहीं है. लोग बस अड्डे पर 100 रूपये के लिए घिघिया रहे हैं. घर में सब्जी लाने के पैसे नहीं है. जिन गरीब, किसान, मजदूर के फायदे के लिए कालेधन की सर्जिकल स्ट्राईक की गई है वो सबसे ज्यादा परेशान हैं.

  • सवाल यह है कि अच्छी नीयत से किया गया सरकार का राष्ट्रहित में बोल्ड फैसला पार्टी को क्लीन बोल्ड तो नहीं करेगा?
  • खुदरा और छोटे व्यापारी की कौन सुनेगा ?

कौन है बीजेपी का परंपरागत वोटर ?

प्रधानमंत्री की इच्छा के बावजूद 2014 के घोषणापत्र में बीजेपी ने अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाने के लिए जिस खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को ठुकरा दिया था उन खुदरा और छोटे व्यापारियों के दुकानों पर दो दिनों से ताले जड़ें हैं.

शादियों के सीजन में दिल्ली के सबसे बड़े खुदरा मंडी चाँदनी चौक में सन्नाटा पसरा है. यही हाल दिल्ली के सदर बाजार कनाॅट प्लेस, खान मार्केट का है. बीजेपी से जुड़े खुदरा व्यापारी संगठन के प्रवीण खंडेलवाल ने सरकार से मांग की है कि छोटे व्यापारियों के लिए प्रति ग्राहक एक 500-1000 के नोट स्वीकार करने का प्रावधान सरकार तत्काल करे वरना व्यापार को ठप्प होने से कोई नहीं बचा सकता.

सूरत से लेकर कुर्ला, बड्डी से लेकर अहमदाबाद तक छोटे कारोबारियों का कारोबार ठप्प है. अकेले नोएडा के खुदरा मंडी में दो दिनों में 100 करोड़ रूपये के नुकसान की खबर है बाकियों का आकलन लगा लीजिये.

महिलाओं की ब्लैक मनी से ही घर रौशन होता है!



चुनावी समय में यह पासा कहीं उल्टा न पड़ जाए इसलिए बीजेपी हाईकमान ने गुरूवार से मोर्चा संभाल लिया.
(फोटो: द क्विंट)

न केवल गुजरात के विधानसभा चुनावों में बल्कि 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी को मिले अपार जनसमर्थन में बड़ा हिस्सा महिलाओं का था. 2014 के लोकसभा चुनाव में मतदान के समय दूर-देहात में बीजेपी के डार्क जोन में लाठी टेकती बूढ़ी महिलाएं बीजेपी के चुनाव चिन्ह की जगह वोट डालने के लिए मोदी की फोटो खोजते पाई जाती थीं.

सर्जिकल स्ट्राईक ने एक झटके में गुसलखाने, मेज के नीचे, बिस्तर के नीचे, अंटी में छुपे 500-1000 के नोटों को पुरूषों के सामने लाने पर मजबूर कर दिया है.

जन-धन योजना की सफलता के बाद भी बैंकों के बाहर लगी लंबी कतार, पान की दुकानों पर नोट बदलने की गुजारिश करती महिलाओं के आक्रोश से फायदे की जगह नुकसान की आशंका बढ़ गई है.

किसान और मजदूर कहां जाएं?



चुनावी समय में यह पासा कहीं उल्टा न पड़ जाए इसलिए बीजेपी हाईकमान ने गुरूवार से मोर्चा संभाल लिया.
(फोटो: Reuters)

जिन किसानों के पास केवल अनाज है उन्हें मंडियों में व्यापारी पैसे देने को तैयार नहीं है. और जिन असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी अटकी पड़ी है. जिनके पास कोई बैंक एकाउंट नहीं है उनके सारे पैसों के मिट्टी में मिलने की आशंका से उनकी नींद उड़ी है. जिनकी 500-1000 रूपये से उनके घर की अर्थव्यवस्था चलती है वो बेहाल हैं.

6.5 लाख गांवों में ऐसे कितने गांव हैं जहां बैंक है या एटीएम है? जिन कुछ भाग्यशाली गांवों में एटीएम है वहां पैसा नहीं है.

इमेज नुकसान की चिंता ?



चुनावी समय में यह पासा कहीं उल्टा न पड़ जाए इसलिए बीजेपी हाईकमान ने गुरूवार से मोर्चा संभाल लिया.
(फोटो: द क्विंट)
इस अफरा-तफरी से चिंतित सरकार ने निपटने के लिए यह संदेश धुआंधार विज्ञापन के तौर पर जनता तक पहुंचाना शुरू कर दिया है कि छोटे व्यापारी, गृहिणी को 2.5 लाख रूपये जमा करने में कोई इनकम टैक्स वाले परेशान नहीं करेंगें. यहां तक कि कोई परेशान करे तो बीजेपी दफ्तर में रिपोर्ट करें. 

लेकिन चुनावी समय में यह पासा कहीं उल्टा न पड़ जाए इसलिए बीजेपी हाईकमान ने गुरूवार से मोर्चा संभाल लिया. गुरूवार को संगठन की हुई बैठक में फैसला किया गया कि पार्टी किसान मजदूर की तकलीफों के साथ खड़ी दिखे इसके राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम शुरू किए जाएं.

दीर्घकालीन फायदे बताने के लिए सरकार के स्तर पर वित्त मंत्री अरूण जेटली को कमान सौंपा गया है सरकार विज्ञापन , जिंगल, एसएमएस के जरिये इस फैसले के फायदे को जनता तक पहुंचाएगी.

पार्टी स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट करने शुक्रवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने खुद मोर्चा संभाला.

अमित शाह की चिंता इन शब्दों में निकली कि- "एटीएम मशीन है, मानव नहीं! परेशानी हो रही है लेकिन दूर के फायदे और बड़े फैसले से कई बार परेशानी झेलनी पड़ती है. हमें भी उन्हें सहना चाहिये."

चिंतित बीजेपी ने चुनावी राज्यों में तमाम बीजेपी संगठनों युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, अनुसूचित मोर्चा, किसान मोर्चा के जरिये जनता को इस फैसले के फायदे बताने के लिए सक्रिय कर दिया है. दिल्ली में इसकी शुरूआत केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने युवा संगठनों के जरिये मोदी सरकार के ऐतिहासिक कदम के प्रचार-प्रसार से शुरू कर दी है. आने वाले दिनों में सरकार के मंत्री कालेधन की सर्जिकल स्ट्राइक के फायदे गरीबों और मजदूरों को समझाते गांव-शहर में नजर आएंगे.

शुरूआती झटका दूर का फायदा देगा!

बीजेपी के चुनावी रणनीतिकारों के मुताबिक शुरूआती परेशानियों के खत्म होने में एक और हफ्ता लगेगा लेकिन जब यह धूल शांत होगी तो परसेप्शन की जंग में बीजेपी सरकार के पास दो सर्जिकल स्ट्राईक का तमगा होगा जिसके जरिये मोदी ब्रांड की चमक और मजबूत होगी.

मजबूत निर्णायक सरकार की मोदी सरकार की छवि और मजबूत होगी और जो हमने वादा किया था उसे पूरा कर दिखाया यह कहने का नैरेटिव होगा चाहे सीमापार आंतकवाद के मुद्दे पर हो या कालेधन के खिलाफ निर्णायक जंग का मुद्दा हो.

मोदी सरकार जानती है राजनीति परसेप्शन से चलती है. रीयलिज्म कई बार वोट नहीं दिलाती. हिलेरी की तमाम परिपक्वता और अनुभव पर ट्रंप का गरीब, बेरोजगारों के साथ खड़े होने के परसेप्शन ने उन्हें राष्ट्रपति पद पर पहुंचा दिया. हिलेरी अमीरों के साथ हैं इस छवि को हिलेरी तोड़ नहीं पाई जिसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा. परसेप्शन की जंग में कालेधन पर यह स्ट्राईक मास्टरस्ट्रोक है बशर्ते वित्त मंत्रालय समय रहते लोगों की परेशानियों को दूर करने की खिड़की बढ़ा दे.

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