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‘ऑपरेशन गंगा’ से पहले भी हुए बड़े एयरलिफ्ट मिशन, पढ़ें-भारत के ऐसे 5 खास अभियान

कोरोना काल में चले वंदे भारत मिशन में तकरीबन 18,19,734 यात्रियों को ले जाने 11,523 इनबाउंड उड़ानों की व्यवस्था हुई.

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यूक्रेन (Ukraine) के खिलाफ रूस (Russia) की आक्रामक सैन्य कार्रवाई (Russia attack on Ukraine) के बाद भारत में सबसे ज्यादा चिंता इस देश में फंसे भारतीय छात्रों की सलामती को लेकर ही थीं. यूक्रेन के कई इलाकों में भारतीय छात्रों समेत लगभग 16000 भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं. वहां संकट में फंसे छात्रों के रोती-बिलखती हालत में वीडियो हमें रोज देखने को मिल रहे हैं. अब इन छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए भारत सरकार की ओर से ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) चलाया जा रहा है. यह ऑपरेशन के असल में इंडियन फ्लाइट्स के माध्यम से हमारे नागरिकों को एयरलिफ्ट करने का मिशन है.

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यूक्रेन का एयरस्‍पेस पूरी तरह से बंद है, इसलिए उसके पड़ोसी मुल्कों हंगरी, स्लोवाकिया, पोलैंड और रोमानिया से फ्लाइट्स चलाई जा रही हैं. हालांकि ऐसा पहली बार ही नहीं हो रहा कि भारत ने विदेशी राष्ट्रों से भारतीय नागरिकों को किसी खास ऑपरेशन को चलाकर निकाला हो. पिछले 20 वर्षों में भारत ने युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान विदेशी भूमि में फंसे भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिए उड़ानों की व्यवस्था की है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ खास ऑपरेशंस के बारे में.

वंदे भारत मिशन

वर्ष 2020 में जब कोरोना वायरस महामारी के भयंकर प्रकोप के समय विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर अनिश्चित काल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था, तब अलग-अलग मुल्कों में कई भारतीय अपने परिवार एवं देश से दूर फंस गए थे. ऐसी विषम परिस्थिति में भारतीयों की वतन वापसी के लिए भारत सरकार ने 7 मई 2020 को चरणबद्ध तरीके से स्वदेश वापसी उड़ानों की व्यवस्था की थी. यह मिशन शांति काल में किसी भी देश द्वारा किए गए सबसे बड़े नागरिकों रेस्क्यू ऑपरेशन में से एक माना जाता है. वर्ष 2020 के दौरान 15 से अधिक चरणों में तकरीबन 18 लाख से अधिक भारतीयों को वापस लाया गया था.

वतन वापसी का ये आंकड़ा 1990 में हुए गल्फ युद्ध के दौरान किए गए स्वदेश वापसी के आंकड़े को पार कर गया था. खाड़ी युद्ध के दौरान लगभग एक लाख से अधिक लोगों को कुवैत से भारत सरकार द्वारा एयर लिफ्ट किया गया था.

वहीं 7 से 17 मई 2020 तक चलने वाली स्वदेश वापसी उड़ानों के प्रथम चरण में कुल 84 उड़ानें संचालित की गई थीं. एयर इंडिया ने विशेष रूप से वतन वापसी उड़ानों के पहले तीन चरणों का संचालन किया, जिसमें तकरीबन 18,19,734 यात्रियों को ले जाने के लिए 11,523 इनबाउंड उड़ानों की व्यवस्था की गई. आगे के चौथे चरण से अन्य निजी उड़ानन कंपनियों को इस मिशन में शामिल किया गया. वर्तमान समय में भारत सरकार वतन वापसी उड़ानों के 16वें चरण का संचालन कर रही है. हालांकि इस अभियान में केंद्र द्वारा भारतीयों को उड़ानों की सुविधा प्रदान की गई थी, परंतु हवाई यात्रा के किराए का भुगतान यात्रियों को स्वयं ही करना पड़ा था. भारत सरकार द्वारा यात्रियों के किराए की राशि पर किसी भी प्रकार की रियायत या सब्सिडी की व्यवस्था नहीं थी।

ऑपरेशन सेफ होमकमिंग

भारत सरकार ने गृह युद्ध के दौरान लीबिया में फंसे 15,400 से अधिक भारतीय नागरिकों को बचाने के लिए 26 फरवरी 2011 को ऑपरेशन सेफ होमकमिंग शुरू की थी. लीबियाई गृहयुद्ध कर्नल गद्दाफी और विद्रोही ताकतों के नेतृत्व वाली सेनाओं के बीच लड़ा गया था, जिनका उद्देश्य सरकार को हटाना था. 15 फरवरी को बेंघाजी में, पुलिस के साथ विद्रोहियों की झड़प हुई, जिसके दौरान पुलिस द्वारा भीड़ पर आंसू गैस, रबर की गोलियों और पानी की बौछारों से गोलीबारी की गई. इस प्रहार से तनाव काफी हद तक बढ़ गया और संपूर्ण राष्ट्र में गद्दाफी के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया. वहां काफी संख्या में भारतीय रहते थे.

माहौल बिगड़ता देख भारत सरकार ने लीबिया (त्रिपोली और सेभा), मिस्त्र (अलेक्जेंड्रिया) और माल्टा से एयर इंडिया की नौ उड़ानों की सुविधा प्रदान की, जबकि अन्य भारतीयों को भारतीय नौसेना द्वारा सुरक्षित निकाला गया. इसे ही ऑपरेशन सेफ होमकमिंग कहा जाता है.

ऑपरेशन मैत्री

25 अप्रैल 2015 को नेपाल में आए भूकंप के बाद भारत सरकार द्वारा वहां फंसे इंडियंस को बचाने के लिए ऑपरेशन मैत्री की शुरुआत की गई थी. 7.8 तीव्रता वाले भूकंप में लगभग 8,000 से अधिक लोग मारे गए थे. इस भूकंप को वर्ष 1934 के बाद नेपाल की सबसे घातक प्राकृतिक आपदा के रूप में दर्ज किया गया था. भूकंप की वजह से दो अलग-अलग जगहों पर हिमस्खलन हुआ, जिनमें से एक माउंट एवरेस्ट था. वहां 22 लोग मारे गए. दूसरा लांगटांग घाटी थी, जहां 250 लोग या तो लापता हो गए या फिर मृत अवस्था में पाए गए.

ऑपरेशन मैत्री भारत सरकार और भारतीय सशस्त्र बल का संयुक्त राहत एवं बचाव अभियान था, जिसके अंतर्गत 5,000 भारतीयों को वायु सेना और नागरिक विमानों द्वारा नेपाल से वापस लाया गया. भारतीय वायु सेना ने भूकंप के कुछ ही मिनटों में प्रतिक्रिया देते हुए काठमांडू को राहत सामग्री पहुंचाने के लिए अपने आईएल–76, सी–130जे हरक्यूलिस और सी–17 ग्लोबमास्टर परिवहन विमान और एमआई–17 हेलीकॉप्टरों की व्यवस्था की थी.
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ऑपरेशन राहत

27 मार्च 2015 को, यमन सरकार ने हौथी विद्रोहियों के खिलाफ एक सैन्य कार्रवाई की. अपदस्थ राष्ट्रपति मंसूर हादी के कई अनुरोधों के बाद संयुक्त अरब अमीरात, मिस्त्र, मोरक्को, जॉर्डन, बहरीन, सूडान और कुवैत सहित अरब राज्यों के सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने हौथी विद्रोहियों के खिलाफ हवाई हमले शुरू कर दिए एवं विद्रोहियों के खिलाफ छोटे सैन्य बलों को तैनात किया. हालांकि, अरब गठबंधन के हमले से दो दिन पहले ही भारत सरकार ने यमन में फंसे भारतीयों को जल्द से जल्द निकालने के लिए एडवाइजरी जारी कर दी थी. हमले के दौरान, यमन को नो–फ्लाई जोन घोषित कर दिया गया था, इसी वजह से सरकार ने समुद्र के रास्ते वतन वापसी के लिए जिबूती को चुना.

निकाले गए कुल 5,600 लोगों में से 2,900 भारतीयों को यमन की राजधानी ससना से 18 विशेष उड़ानों द्वारा तथा 1,670 भारतीयों को यमन के चार बंदरगाहों से भारतीय नौसेना के जहाजों द्वारा वापस लाया गया. संयुक्त हवाई–समुद्र बचाव अभियान द्वारा 26 देशों के कुल 960 विदेशी नागरिकों को भी सुरक्षित रूप से निकाला गया था. इसे ही ऑपरेशन राहत कहा जाता है.
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ऑपरेशन सुकून

2006 में इज़राइल–लेबनान युद्ध के दौरान लेबनान से भारतीयों, श्रीलंकाई, नेपाली और लेबनानी नागरिकों को निकालने के लिए भारतीय नौसेना द्वारा ऑपरेशन सुकून, या ‘बेरूत सीलिफ्ट’ शुरू किया गया था. 12 जुलाई के दिन, लेबनानी शिया, इस्लामवादी राजनीतिक दल और आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह ने इज़रायल रक्षा बलों के खिलाफ एक छापेमारी युद्ध शुरू किया, जो कि तकरीबन 34 दिनों तक चलता रहा. संयुक्त राष्ट्र ने 14 अगस्त 2006 को युद्धविराम की मध्यस्थता करके इसे रुकवाया. युद्ध के दौरान लेबनान में हुए इजरायली बम हमले में एक भारतीय की मौत हो गई तथा तीन भारतीय घायल हो गए थे. घातक घटनाओं के बढ़ते क्रम को देखकर भारत सरकार ने भारतीय सशस्त्र बलों की मदद से 19 जुलाई से 1 अगस्त 2006 के बीच लगभग 2,280 लोगों को सुरक्षित भारत वापस लाया.

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