ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रियंका की क्षमता पर भी उठ रहे सवाल, अब 'ओल्ड कांग्रेस' का वक्त?

विधानसभा चुनाव 2021 के लिए गांधी 'भाई-बहन' ने सारी प्लानिंग खुद की थी

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

खत्म हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 'वाइटवॉश' ने उसके नेताओं तथा समर्थकों के सबसे बुरे डर को फिर से उभार दिया है: कि इस गांधी पीढ़ी में इस 'ग्रैंड ओल्ड पार्टी' के पुनरुत्थान को नेतृत्व देने की क्षमता नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
राहुल और प्रियंका की भाई-बहन की जोड़ी तीन राज्यों में योजना बनाने ,रणनीति बनाने,संगठन मजबूत करने तथा प्रचार प्रसार में जुटी थी, जहां कांग्रेस का दांव लगा था -केरल ,असम और तमिलनाडु .

केरल में कांग्रेस का प्रदर्शन 5 साल पहले के प्रदर्शन से भी खराब रहा. असम में ,कागज पर असंभव लगने वाली गठबंधन करने के बावजूद, कांग्रेस बीजेपी के पकड़ पर कोई असर नहीं डाल पायी. तमिलनाडु में उसने अपना सीट शेयर तो बढ़ाया लेकिन सिर्फ DMK की लहर पर सवार हो,उसकी बहुत ज्यादा जूनियर पार्टनर बन कर.

0

गांधी 'भाई-बहन' के लिए व्यक्तिगत झटका

राहुल गांधी का केरल के मछुआरों के साथ समुद्र में गोते लगाना, तमिलनाडु में पुशअप्स मारना और असम के बागानों के वर्करों के साथ प्रियंका गांधी 'वाड्रा' का डांस- यह सब तस्वीरों के लिए तो खूबसूरत रहा लेकिन इनका राजनैतिक फायदा खोखला साबित हुआ.

यह परिणाम भाई बहन के लिए व्यक्तिगत आघात है. इसके पहले शायद ही कभी उन्होंने इतना पहले और इतने विस्तार से योजना बनाई थी. उन्होंने अधिकतर अनुभवी नेताओं को बगल करके अपने विश्वस्त सहयोगियों की टीम के साथ बागडोर संभाला. यही कारण है कि यह हार ज्यादा झटके वाली है और आने वाले महीनों में उनकी पार्टी में पकड़ को कमजोर करेगी.

साथ ही इसकी संभावना बहुत कम है कि राहुल अब कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालेंगे, यकीनन इस खराब प्रदर्शन की वजह से नहीं बल्कि अपनी अनिच्छा के कारण. कांग्रेस के अंदर कई सदस्य उनको अध्यक्ष के रूप में नहीं चाहेंगे क्योंकि इन चुनावों के बाद राहुल की राजनीतिक क्षमता को लेकर उनका विश्वास बहुत कमजोर हो गया है. कांग्रेस के अंदर का नेतृत्व संकट आगे बढ़ता ही जाएगा और यहां से आगे इसमें पतन और तेजी ही होगा.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अन्य चुनाव के विपरीत ,जिसे कांग्रेस ने पीछे लड़ा है, इस बार राहुल और प्रियंका ने कमान संभालने और जल्दी शुरुआत करने का निर्णय लिया था. दरअसल इस दौर के चुनाव के लिए उन्होंने लगभग 1 साल पहले से योजना बनानी शुरू कर दी थी.

उन्होंने असम में संगठनात्मक मशीनरी को पुनर्जीवित करने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को साथ लिया. संगठन 6 साल पहले राज्य के कद्दावर नेता हिमंत बिस्वा सरमा के जाने से कमजोर हो गया था. सरमा ने अपना कौशल बीजेपी के साथ दिखाया और उसे राज्य में लगातार दो चुनाव में जीताने में मदद की.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रियंका और राहुल अपने 'कंफर्ट जोन' से बाहर निकले, फिर फायदा क्यों नहीं मिला?

केरल के लिए उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मदद ली .उनकी राय भी बघेल के समान थी:एक चुनाव मशीनरी, अमित शाह से सीख लेते हुए ,'पन्ना प्रमुख' स्थापित करना--घर-घर प्रचार ,सोशल मीडिया टीम का प्रयोग इत्यादि .

लेकिन रणनीति का सबसे प्रमुख भाग था, तीनों राज्यों में गांधी 'स्टार पावर' को खुलकर सामने लाना .पहली बार प्रियंका ने उत्तर प्रदेश की 'लक्ष्मण रेखा' लांघते हुए असम और केरल में प्रचार किया. राहुल ने केरल और तमिलनाडु में अपना असाधारण ऊर्जा और समय झोंक दिया, जो कि उन्होंने इससे पहले सिर्फ उत्तर प्रदेश में किया था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रियंका की क्षमता पर सवाल ?

कांग्रेस समर्थकों के लिए सबसे बड़ा झटका है प्रियंका की असफलता .उन्हें असम कैंपेन के लिए अनौपचारिक रूप से जिम्मेदारी मिली थी और बघेल तथा गहलोत को संगठन में सुधार के लिए लाने का विचार उन्हीं का था. उनकी युक्ति का कोई भी फायदा नहीं निकला.

प्रियंका हमेशा से पार्टी की 'ब्रह्मास्त्र' समझी जाती रही है .अगर राहुल असफल होते तो प्रियंका का सहारा था. राहुल की क्षमता पर संदेह कई वर्षों से होता रहा है लेकिन अब सवाल प्रियंका को लेकर भी उठने लगे हैं.

अधिकतर कांग्रेसी नेता और समर्थक गांधी परिवार के बिना भविष्य की कल्पना नहीं कर सकते ,पर इस घोर पराजय के बाद शायद दूसरे विकल्पों पर विचार करने का वक्त आ गया है.और शरद पवार तथा ममता बनर्जी जैसे पूर्व कांग्रेसी नेताओं को साथ लाने, जो यकीनन युवा गांधी भाई-बहन से ज्यादा राजनैतिक कौशल रखते हैं, और एक नया 'ओल्ड कांग्रेस' की स्थापना की सुगबुगाहट शुरू भी हो गयी है.

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं .उनका ट्विटर हैंडल है @AratiJ.यह एक ओपिनियन पीस है. यह लेखिका के अपने विचार हैं .द क्विंट का इससे सहमत होना जरूरी नहीं है)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×