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क्या खाए, क्या पहनें और किस धर्म को मानें? इसके बजाय BJP गवर्नेंस पर करे फोकस

जैसे-जैसे राजस्थान के स्कूलों में हिजाब, सूर्य नमस्कार विवाद बढ़ता जा रहा है, बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक दिख रही है.

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राजस्थान (Rajasthan) में धर्म, राजनीति और शिक्षा के घालमेल की चर्चा अचानक से शुरू हो गई है. हिजाब पहनने और स्कूलों में सूर्य नमस्कार लागू करने पर विवाद जैसे-जैसे बढ़ रहा है, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भारत के सबसे बड़े राज्य में सत्ता में लौटने के कुछ ही हफ्तों बाद हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक दिख रही है.

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हालांकि, मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में शासन को अब तक कोई खास सफलता नहीं मिली है, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले जटिल मुद्दों पर राजनीतिक उठापटक चरम पर है.

सांप्रदायिकता में एक सबक

पिछले हफ्ते राजस्थान की शांत स्कूल की कक्षाएं युद्ध का मैदान बन गईं, जहां विचारधाराओं और पहचानों के तीव्र टकराव की गूंज सुनाई दे रही है.

जयपुर के हवामहल इलाके के एक स्कूल में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य की आपत्ति से विवाद भड़क उठा.

गणतंत्र दिवस के मौके पर एक सरकारी स्कूल में बालमुकुंद आचार्य के दौरे का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें विधायक ड्रेस कोड पर सवाल उठाते हुए और हिजाब पहनने वाली कुछ छात्राओं को लेकर स्कूल के एक अधिकारी की खिंचाई करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

एक और वीडियो है जिसमें, हवा महल से विधायक स्कूल अधिकारियों से छात्रों को स्कूल में हिजाब पहनने से रोकने के लिए कहते हैं, यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों मजहब के बच्चे मौजूद थे.

बाद में सामने आए एक और वीडियो में, वह मंच पर छात्रों का नेतृत्व करते हुए "भारत माता की जय" और "सरस्वती माता की जय" के नारे लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसमें आचार्य को स्कूल में घूमते और छात्रों को "जय श्री राम" का नारा लगाने के लिए कहते हुए भी दिखाया गया है.

बाद में, मुस्लिम छात्रों और उनके अभिभावकों ने स्थानीय पुलिस स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि आचार्य को "स्कूलों में माहौल खराब करने" से रोका जाना चाहिए और अपने इस हरकत के लिए माफी मांगनी चाहिए.

जैसा कि एक छात्र ने बताया...

"उन्होंने हमसे धार्मिक नारे लगाने के लिए कहा और जब कुछ लड़कियां चुप रहीं तो उन्होंने पूछा कि क्या उन्हें ऐसा करने को कहा गया है. उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल में हिजाब पहनने की इजाजत नहीं है."
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एक और छात्र ने प्रासंगिक सवाल पूछा, "वह विधानसभा में भगवा वस्त्र पहनते हैं. तो हिजाब के प्रति यह भेदभाव क्यों?" हालांकि पुलिस द्वारा समझौता कराए जाने के बाद प्रदर्शनकारी छात्र चले गए, लेकिन आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराता दिख रहा है."

खाना और अब पहनावा, आचार्य का कट्टर रुख

आचार्य अपना रुख साफ करते हुए कहते हैं, "मैंने प्रिंसिपल से पूछा था कि क्या उनके दो अलग-अलग ड्रेस कोड हैं. जब गणतंत्र दिवस समारोह या कोई सरकारी समारोह आयोजित किया जाता है, तो क्या कोई अलग ड्रेस कोड होता है? अगर ऐसा है तो, हमारे बच्चे भी लहंगा-चुन्नी में आएंगे."

इसके अलावा आचार्य ने कहा, “स्कूलों में दो तरह के ड्रेस कोड क्यों हैं? मैं मदरसों में जाकर उनसे पोशाक बदलने के लिए नहीं कह रहा था.''

दिसंबर में हवामहल सीट से जीतने के बाद से ही आचार्य विवादों में हैं.

अपनी मामूली चुनावी जीत के कुछ घंटों के अंदर, उन्होंने क्षेत्र में मांस बेचने वाले विक्रेताओं और मांसाहारी दुकानों का दौरा किया और आवश्यक लाइसेंस नहीं होने पर उन्हें परिणाम भुगतने की धमकी दी. उनका मांस-विरोधी भाषण उनके चुनाव अभियान के दौरान मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए उनके अनगिनत बयानों जैसा ही था और हिंदू मंदिरों के रखरखाव की आवश्यकता को लेकर भी जिसके बारे में उनका दावा था कि कांग्रेस की 'तुष्टिकरण की राजनीति' के कारण मंदिरों को नुकसान हो रहा था.

भगवाधारी विधायक बालमुकुंद आचार्य का हिजाब को लेकर विरोध एक हिंदुत्ववादी कट्टरपंथी के रूप में उनकी छवि को मजबूत करने की एक कोशिश के रूप में नजर आती है.
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हिजाब विवाद पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

हिजाब मुद्दे ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. किशनपोल से कांग्रेस विधायक अमीन कागजी ने आचार्य पर जयपुर में सांप्रदायिक सद्भाव को खराब करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि "अगर 2 फरवरी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू हो जाएगा."

इसी तरह, जयपुर के आदर्श नगर से कांग्रेस विधायक रफीक खान कहते हैं, ''आचार्य सस्ते प्रचार के लिए यह सब कर रहे हैं...उन्हें समझना चाहिए कि वह किसी एक राजनीतिक दल के नहीं बल्कि सभी जातियों और धर्मों के विधायक हैं...राजस्थान अपने लिए गंगा-जमुनी तहजीब (सांप्रदायिक सौहार्द) के लिए जाना जाता है, और ऐसी चीजें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी.”

विवाद के बीच, बीजेपी के वरिष्ठ मंत्री आचार्य के बचाव में कूद पड़े हैं और एक बड़े गेम प्लान की बात करने लगे.

यह दावा करते हुए कि हिजाब मुगलों द्वारा लाया गया 'गुलामी का प्रतीक' है, कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीना ने कहा, ''कुछ इस्लामिक देशों में हिजाब की अनुमति नहीं है. ऐसा यहां नहीं होना चाहिए.”

मुस्लिम समुदाय में कट्टरता (धर्म की कट्टरता) और कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति के कारण समुदाय प्रगति नहीं कर पाया है. उनके पास शिक्षा की कमी है. स्कूलों में ड्रेस कोड का पालन किया जाना चाहिए.
किरोड़ी लाल मीना, कृषि मंत्री, राजस्थान

इसी तरह, शिक्षा मंत्री और आरएसएस समर्थित नेता मदन दिलावर का कहना है कि, "राजस्थान के स्कूलों में जल्द ही एक ड्रेस कोड होगा."

असल में, खुले तौर पर ड्रेस कोड लागू किए बिना कई मंत्री राजस्थान में हिजाब बैन का समर्थन कर रहे हैं.
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स्कूलों में सूर्य नमस्कार को अनिवार्य करना भगवा सोच

राज्य भर के स्कूलों में 'सूर्य नमस्कार' को अनिवार्य करने की चर्चा के बीच हिजाब पर विवाद शुरू हुआ है. राजस्थान सरकार ने हाल ही में आदेश दिया है 15 फरवरी तक सूर्य सप्तमी के अवसर पर सभी सरकारी और निजी स्कूलों में सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना चाहिए, दरअसल, सूर्य नमस्कार को लेकर शिक्षा विभाग एक विश्व रिकॉर्ड बनाने की योजना बना रहा है.

शिक्षा मंत्री दिलावर का कहना है कि सूर्य नमस्कार शुरू में सुबह की प्रार्थना के दौरान किया जाएगा और निर्धारित दिन के बाद भी इसे जारी रखने का निर्णय जल्द ही लिया जाएगा.

शिक्षा विभाग के एक निर्देश में कहा गया है कि सूर्य नमस्कार के लिए योग विशेषज्ञ छात्रों को प्रशिक्षित करेंगे. सूर्य सप्तमी पर, छात्रों और शिक्षकों के अलावा, छात्रों के माता-पिता, ग्रामीण और अधिकारी इस प्रयास में शामिल होंगे. सरकार का दावा है कि इस कदम से स्कूलों में शैक्षिक माहौल में सुधार होगा और छात्रों की मेंटल और फिजिकल फिटनेस मजबूत होगी.

हालांकि, सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि सूर्य नमस्कार में अक्सर प्रार्थना और मंत्रों का जाप शामिल होता है. इस प्रकार, इस आदेश ने मुस्लिम समुदाय और ईसाई मिशनरी स्कूलों जैसे अल्पसंख्यक समाज द्वारा संचालित स्कूलों में कई लोगों को चिंतित कर दिया है.

इन ग्रुप्स का तर्क है कि यह कदम हमारे राष्ट्र की धर्मनिरपेक्ष साख के लिए 'विभाजनकारी' है. कई शिक्षकों का कहना है कि सरकार को सूर्य नमस्कार के बजाय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और अधिक शिक्षकों की नियुक्ति को प्राथमिकता देनी चाहिए.
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गैर-हिंदुओं की धार्मिक-सांस्कृतिक सोच पर हमला

गौरतलब है कि बीजेपी नेता हिजाब और सूर्य नमस्कार को सीधा-सादा अहानिकारक मुद्दा बताकर बहस को आधुनिकता और एकरूपता के रूप में पेश कर रहे हैं. लेकिन आलोचकों को ये सांस्कृतिक एकरूपता के साथ डोमिनेंट हिंदू आइडेंटिटी को थोपना लगता है.

खास तौर से, हिजाब विवाद केवल एक ड्रेस कोड के बारे में नहीं है, बल्कि कुछ हिंदुओं के बीच गहरी चिंताएं भी पैदा करता है, जो मुस्लिम प्रतीकों को अपने सांस्कृतिक प्रभुत्व के लिए खतरा मानते हैं. इसी तरह, सभी धर्मों के छात्रों पर हिंदू धार्म से जुड़ी चीजें जैसे कि योग, सूर्य नमस्कार को थोपना गैर-हिंदुओं को हाशिए पर रखने, भय और अलगाव का माहौल बनाने का एक कोशिश लगती है.

हिजाब विवाद और सूर्य नमस्कार जैसे कदम हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने, मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने और शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के वास्तविक मुद्दों पर मोदी सरकार से बिना किसी जवाबदेही के आसान वोट पाने की एक चतुर चाल लगती है! इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि राजस्थान की राजनीति के पर्यवेक्षक इन झगड़ों को हिंदुत्व विचारधारा, सामाजिक विभाजन और लोकसभा चुनावों में वोटों की तलाश के रूप में देखते हैं.

जबकि बीजेपी खुद को हिंदू पहचान और संस्कृति के रक्षक के रूप में पेश करती है, लेकिन नए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के आने के बाद राज्य के शासन में शायद ही कोई शानदार शुरुआत देखी गई है.

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि विभाजनकारी सामाजिक-धार्मिक मुद्दों को उछालकर भगवा ब्रिगेड सरकार की कमियों से जनता का ध्यान भटका रही है.
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हाल के राजस्थान चुनावों में, बीजेपी की जीत के पीछे ध्रुवीकरण की राजनीति एक अहम फैक्टर में से एक थी. अब, भजनलाल सरकार को राज्य की सभी 25 लोकसभा सीटों का बचाव करने की जरूरत है, जो बीजेपी ने 2014 और 2019 के चुनावों में जीती थीं.

(लेखक एक अनुभवी पत्रकार और राजस्थान की राजनीति के विशेषज्ञ हैं. एनडीटीवी में रेजिडेंट एडिटर के रूप में काम करने के अलावा, वह जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के प्रोफेसर रहे हैं. वह सोशल मीडिया X पर @rajanmahan हैंडल से ट्वीट करते हैं.)

(यह एक ओपिनियन आर्टिकल है, ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी न तो उनका समर्थन करता है और न ही उनके लिए जिम्मेदार है.)

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