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राजनाथ के कश्‍मीर दौरे से जगी उम्‍मीद, क्‍या बदलेगी फिजा?

कश्मीरियों को संविधान में खास प्रोविजन के जरिये यह अधिकार दिया गया है, जो उनके स्पेशल स्टेटस की गारंटी है.

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चार हफ्ते पहले देश से ‘कश्मीरियों को गले लगाने’ की प्रधानमंत्री की अपील के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह पिछले शनिवार को जम्मू-कश्मीर पहुंचे. तीन दिनों की यात्रा के दौरान उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह दिया कि संविधान के आर्टिकल 35ए पर राज्य की भावनाओं का खयाल रखा जाएगा.

पीडीपी के बड़े नेताओं को लग रहा है कि केंद्र इस मुद्दे को हवा नहीं देगा. इस आर्टिकल के जरिये राज्य में सिर्फ कश्मीरियों को प्रॉपर्टी खरीदने, सरकारी नौकरी करने और शिक्षा का अधिकार दिया गया है. कश्मीरियों को संविधान में खास प्रोविजन के जरिये यह अधिकार दिया गया है, जो उनके स्पेशल स्टेटस की गारंटी है.

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एलायंस में स्थिरता लौटी

राजनाथ सिंह की यात्रा से यह संदेश भी गया है कि पीडीपी और बीजेपी का एलायंस स्थिर हो गया है. अप्रैल में उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा में 8 लोगों के मारे जाने के बाद से दोनों के बीच तनाव बना हुआ था. उसके बाद नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की जांच और आर्टिकल 35ए को लेकर पीडीपी के डर की वजह से यह तनाव और बढ़ा था.

गृहमंत्री ने मीडिया के सामने जो बातें कहीं, उनमें से कई के पीछे पीडीपी की सोच दिखी. सिंह ने कहा कि राज्य में हालात सुधरे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने सुरक्षाबलों से संयम बरतने को कहा है. इस बारे में सिंह ने खासतौर पर युवाओं का जिक्र किया.

गृहमंत्री ने शनिवार को कश्मीर यात्रा की शुरुआत की थी. उस दिन तीन मुठभेड़ हुए, जिनमें से दो में सैनिकों की जान गई थी, इसलिए गृहमंत्री का यह बयान चौंकाने वाला था.

टूरिस्टों से अपील

सुरक्षाबलों को संयम बरतने की अपील के साथ गृहमंत्री ने पर्यटकों से कश्मीर आने को कहा. इस साल बहुत कम टूरिस्ट कश्मीर पहुंचे हैं. गृहमंत्री से मुलाकात में कई लोगों ने इसकी शिकायत की.

आर्थिक पैकेज बढ़ाया

गृहमंत्री ने ऐलान किया कि केंद्र ने राज्य के विकास के लिए आर्थिक पैकेज को बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कर दिया है. उन्होंने कहा कि अगर किसी प्रोजेक्ट की लागत बढ़ती है, तो उसका बोझ केंद्र सरकार उठाने को तैयार है.

प्रधानमंत्री ने नवंबर 2015 में राज्य में एक सभा में 80,000 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था. हालांकि, फंड मिलने में देरी से उसकी पार्टनर पीडीपी नाराज थी.

पिता और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती सईद के 2016 की शुरुआत में निधन के बाद कुछ वजहों से महबूबा मुफ्ती ने सीएम की कुर्सी संभालने में वक्त लगाया था. उनमें से एक वजह केंद्र से फंड मिलने में देरी थी. उसके बाद से यह आशंका रही है कि बीजेपी, पीडीपी के किसी दूसरे नेता को समर्थन दे सकती है, लेकिन हाल में यह चिंता खत्म हो गई है.

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खुले मन से सबकी सुनी

राजनाथ सिंह की यात्रा से कश्मीर को लेकर केंद्र की नीति बदलने के संकेत मिल रहे हैं. उन्होंने कई कश्मीरियों वर्ग की बात सुनी और उनसे शांति बनाए रखने के बारे में उपाय सुझाने को कहा. वह वैसे लोगों से भी मिले, जिनमें से कुछ के खिलाफ एनआईए जांच कर रही है. इससे पता चलता है कि वह खुले मन से यहां आए थे. राज्य के कुछ लोगों ने उनसे कहा कि काले धन के खिलाफ अभियान से वे खुश हैं.



कश्मीरियों को संविधान में खास प्रोविजन के जरिये यह अधिकार दिया गया है, जो उनके स्पेशल स्टेटस की गारंटी है.
जम्मू-कश्मीर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गृह मंत्री राजनाथ सिंह
(फोटो: IANS)

पाकिस्तान को वॉर्निंग

राजनाथ श्रीनगर से जम्मू गए, जहां उन्होंने सीमा पार से गोलीबारी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिकों से कहा गया है कि वे पहले गोली न चलाएं, लेकिन अगर पाकिस्तान से एक भी गोली आती है तो वे उसका मुंहतोड़ जवाब दें.

जम्मू में खासतौर पर बीजेपी समर्थक चाहते हैं कि सरकार पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए और कश्मीर में विद्रोहियों के साथ सख्ती से पेश आए. हालांकि, श्रीनगर में उनसे जो लोग मिलने गए, उन्हें ऐसा लगा कि गृहमंत्री इस दोहरे खतरे को अच्छी तरह समझते हैं.

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