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चार राज्यों में जीत के बावजूद राज्यसभा में बीजेपी की सीटें घट सकती हैं

बीजेपी की सीटों की संख्या 13 सीटों पर चुनाव के बाद 100 तक जा सकती है लेकिन साल के अंत तक ये संख्या घट सकती है.

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चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत ने इसके समर्थकों में ये उम्मीद बढ़ा दी है कि इससे राज्य सभा में पार्टी को मजबूती मिलेगी और ये यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे विवादित और लटकते हुए वादों को पूरा करने में एक आसान रास्ता तैयार करने में मददगार होगा.

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करीब 75 सदस्य इस साल रिटायर होने वाले हैं जबकि 8 सीटें खाली हैं. इनमें 4 सीटें जम्मू—कश्मीर से हैं. 75 सीटों में से 13 सीटों के लिए 31 मार्च को चुनाव होने हैं.

असम से दो सदस्य, हिमाचल प्रदेश से एक, केरल से तीन, नागालैंड से एक और त्रिपुरा से एक, ये सभी सदस्य 2 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं. वहीं पंजाब से 5 सदस्य 9 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं.

पंजाब में नवनिर्वाचित आम आदमी पार्टी ने सभी 5 सीटें निर्विवाद जीत ली हैं और ये विधानसभा चुनाव में पार्टी की शानदार जीत से हुआ है. राज्य सभा की सरंचना इस तरह की जो पार्टी सत्ता में रहती है, उसे शायद ही कभी ऊपरी सदन में बहुमत मिलता है.

दरअसल, इससे पहले किसी भी पार्टी के पास राज्य सभा में 100 से ज्यादा सीटें रही हों, ऐसा सिर्फ 1988-90 के बीच हुआ है, जब कांग्रेस के पास 108 सांसद थे.

राज्य सभा में 245 सदस्य होते हैं. इनमें 233 निर्वाचित और 12 मनोनीत सदस्य होते हैं. बीजेपी के सदस्यों की संख्या 97 है जिसमें 9 मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं. पार्टी की ये टैली 13 सीटों पर चुनाव के बाद 100 तक जा सकती है क्योंकि, वह असम, त्रिपुरा, हिमाचल और नागालैंड में सभी एक एक सीटों पर जीत हासिल कर सकती है जबकि पंजाब में पार्टी एक सीट खो सकती है.

हालांकि ये ज्यादा दिन तक नहीं रहेगा क्योंकि, साल के अंत तक ये टैली फिर से 100 के नीचे जा सकती है.
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इसके अलावा 62 सीटों पर उप चुनाव भी होने हैं. इनमें 11 उत्तर प्रदेश में, 6 महाराष्ट्र में, 5 तमिलनाडु में और आंध्र, राजस्थान, बिहार और कनार्टक में चार चार सीटें हैं. इसके अलावा ओडिशा और मध्य प्रदेश की तीन तीन सीटें भी हैं.

बीजेपी के पास इन 62 सीटों में से 30 सीटें हैं. इनमें 25 निर्वाचित सदस्य हैं और 5 मनोनीत. पार्टी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सीटें जीत सकती हैं. 12 सीटों जिन पर उप चुनाव होने हैं, उनमें बीजेपी के पास 5 सीटें हैं. ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में पार्टी 3 सीटें जीत सकती हैं और उत्तराखंड में एक. इससे राज्य सभा में बीजेपी के सदस्यों की संख्या 104 तक जा सकती है.

हालांकि विधान सभा चुनावों में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हार की वजह से बीजेपी को इन दो राज्यों में तीन से चार सीटों का नुकसान हो सकता है. बीजेपी के पास अभी 6 सांसद हैं, जिनमें से 5 रिटायर हो रहे हैं. यहां से पार्टी एक या ज्यादा से ज्यादा दो सीटें जीत सकती है. इससे वो वापस 100 के आंकड़े पर आ जाएगी.

पार्टी के तीन सांसद जो आंध्र प्रदेश से हैं, रिटायर हो रहे हैं. ये पूर्व टीडीपी सदस्य हैं जिन्होंने नायडू को छोड़कर बीजेपी को जॉइन किया. लेकिन पार्टी उस स्थिति में नहीं है कि एक भी सीट जीत सके. ये सभी सीटें जगन रेड्डी की YSRCP के खाते में जा सकती हैं.

2019 के विधानसभा चुनावों के बाद टैली में घटाव की वजह से महाराष्ट्र और राजस्थान में भी पार्टी एक एक सीट हार सकती है.
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मध्य प्रदेश और कर्नाटक में पार्टी अपनी दो सीटों की टैली को वापस ले सकती है क्योंकि, कांग्रेस और इसके सहयोगियों में आंतरिक कलह के चलते इन दो राज्यों में पार्टी दोबारा सत्ता में आई है.

इसलिए 62 में से 30 सीटों पर जिन पर साल के अंत तक चुनाव होने हैं, इनमें पार्टी को कुल 5 सीटों का नुकसान हो सकता है और राज्य सभा में इसके सदस्यों की संख्या 95 हो सकती है.

सहयोगी पार्टियों की बात करें तो AIADMK को दो सीटों का नुकसान हो सकता है. क्योंकि पिछले साल राज्य में हुए चुनावों में पार्टी डीएमके से हार गई थी.

क्षेत्रीय ताकतें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी

फिलहाल, कांग्रेस के पास 33 सीटें हैं. पार्टी के पास 75 में 14 सीटें हैं जिन पर इस साल उप चुनाव होने हैं. ऐसा माना जा रहा है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हरियाणा में पार्टी सीटें जीतेगी. वहीं पंजाब, असम, हिमाचल और उत्तराखंड में पार्टी को कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है. पंजाब में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा था. कुल मिलाकर कांग्रेस को दो सीटों का नुकसान हो सकता है.

बीजेपी, कांग्रेस और तृणमूल के बाद आम आदमी पार्टी चौथी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. वहीं हाल में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीएसपी के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी जीरो पर पहुंच सकती है. फिलहाल राज्य सभा में बीएसपी के सदस्यों की संख्या तीन है.

कांग्रेस और बीजेपी के पास क्रमश: 126 और 130 सीटें हो सकती हैं. वहीं बाकी की 101 जिनमें खाली सीटें शामिल नहीं हैं, क्षेत्रीय पार्टियों की झोली में जा सकती हैं. कुल मिलाकर कांग्रेस और बीजेपी को 4 सीटों का नुकसान हो सकता है और इसका फायदा आम आदमी पार्टी को मिलेगा जिसे पंजाब में Shiromani Akali Dal (SAD) के नुकसान का भी फायदा मिलेगा.

ऐसी स्थिति में क्षेत्रीय ताकतों जैसे नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (BJD), जगन रेड्डी की YSRCP और के चंद्रशेखर राव की Telangana Rashtra Samithi (TRS) की भूमिका सदन में बीजेपी को बहुमत पाने से रोकने में अहम हो सकती है.

बीजेपी और टीआएस क्रमश: 9 और 6 सीटों पर रह सकती हैं. वहीं YSRCP को 4 सीटों का फायदा हो सकता है और इसकी संख्या 10 तक जा सकती है.

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बड़ी जीत

19 सीटों पर बीजेपी, बीजेडी और YSRCP के खिलाफ के चंद्रशेखर राव के कड़े रवैये ने बीजेपी को एक प्रतिरोधक उपलब्ध करा दिया है कि वो राज्य सभा में महत्वपूर्ण बिलों पर वोटिंग के दौरान या तो समर्थन करें या वोटिंग में भाग न लें.

(लेखक एक स्वतंत्र राजनीतिक टिप्पणीकार हैं और उनका ट्विटर हैंडल @politicalbaaba है. यह एक ओपिनियन पीेस है. ऊपर व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है.)

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