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अनंत और उसके पार: रामानुजन की प्रतिभा के पीछे की दोस्ती

इंग्लैंड में हार्डी विशुद्ध गणित के पितामह माने जाते थे और रामानुजन के लिए पिता के समान थे.

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यह सब दो बिल्कुल मुख्तलिफ लोगों के बीच चिट्ठी के सिलसिले से शुरू हुआ.

साल 1913 में, गणितज्ञ जी एच हार्डी- यकीनन, एक प्रतिभावान व्यक्ति- को 10 पन्ने की एक चिट्ठी मिली जो कि मद्रास के एक शिपिंग क्लर्क ने उन्हें लिखी थी. चिट्ठी को दो दूसरे गणितज्ञों की तरह वह नजरअंदाज कर सकते थे; हालांकि तब शायद हम श्रीनिवास रामानुजन की विलक्षण प्रतिभा से अनजान रह जाते. शायद वो उस चिट्ठी की जो भूमिका थी जिसका असर हार्डी पर ऐसा हुआ कि उन्हें इसका जवाब देना पड़ा.

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श्रीमान, मैं मद्रास में पोर्ट ट्रस्ट के एकाउंट विभाग में सालाना £20 कमाने वाला एक क्लर्क हूं. मेरी उम्र लगभग 23 साल है. मेरे पास यूनिवर्सिटी की डिग्री तो नहीं है, लेकिन मैंने स्कूल की पढ़ाई पूरी की है. स्कूल छोड़ने के बाद मैं खाली वक्त में गणित पर काम करता हूं. मैं उस पारंपरिक कोर्स से कभी नहीं गुजरा जो यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाती है, लेकिन मैंने अपने लिए एक नया रास्ता बनाया है. मैंने डायवर्जेन्ट सीरीज पर विशेष शोध किया है और जो नतीजे आए हैं उसे स्थानीय गणितज्ञ चौंकाने वाला बता रहे हैं.
जी एच हार्डी को लिखे रामानुजन की पहली चिट्ठी का एक अंश
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गौर करने की बात यह है कि गणित के करीब 100 लुभावने सिद्धांत जो उन्होंने हार्डी को भेजे थे उसके कोई प्रमाण मौजूद नहीं थे. यहां उनकी प्रतिभा- कुछ लोग इसे महज अटकलें भी कहेंगे- सामने उभर कर आई. उन्होंने हार्डी को बताया कि उनका एक-एक समीकरण ईश्वर से जुड़ा है- और यह भी बताया कि जब वो नींद में होते हैं देवी नमागिरी (उनकी पैतृक ईष्टदेवी ) यह समीकरण उनके जिह्वा पर रख जाती है. हार्डी, जो कि घोर नास्तिक थे, को इन बातों में धार्मिकता नहीं बल्कि एक अद्भुत गणितज्ञ दिखा. आगे जो हुआ वो अब तक की सबसे अहम वैज्ञानिक साझेदारियों में से एक साबित हुई.

हार्डी ने रामानुजन को कैम्ब्रिज आने के लिए प्रोत्साहित किया. धर्मशास्त्र में समंदर पार करने की अवधारणा तोड़ते हुए उन्हें मनाया, जिसके बाद रामानुजन उस यूनिवर्सिटी में पहुंचे जहां अद्वितीय प्रतिभाओं का जन्म होता था. हार्डी की निगरानी- जो कि कई जटिलताओं से भरी थी- में रामानुजन ने गणित के ऐसे-ऐसे समीकरणों की खोज, परिकल्पना, सिद्धी और असिद्धी की- आप जो भी कहना चाहें कहें- जिसके बारे में कभी किसी ने सोचा तक नहीं था. 1936 में उनकी याद-समारोह में बोलते हुए, हार्डी ने कहा- वो, रामानुजन के सिद्धांत, जरूर सच होंगे, क्योंकि अगर वो सच नहीं होते, उनकी खोज की बात किसी के दिमाग में नहीं आती.

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फिल्म में बखूबी दिखी दोनों की दोस्ती

1991 में पहली बार इन सिद्धांतो की तरफ तब लोगों का ध्यान गया, जब एमआईटी के प्रोफेसर रॉबर्ट कैनिगेल ने बहुचर्चित बायोग्राफी ‘द मैन हू न्यू इनफिनिटी: द जीनियस ऑफ रामानुजन’ लिखी. 25 साल बाद, मैथ्यू ब्राउन ने इसी नाम से हॉलीवुड फिल्म बनाई जिसमें देव पटेल (स्लमडॉग मिलियनेयर) ने रामानुजन की भूमिका निभाई, और जेरेमी आइरन्स (काफ्का, द लायन किंग) हार्डी बने. ब्राउन ने दोनों की दोस्ती को बखूबी फिल्म में उभारा.

वह दोनों इंसान मौलिक रूप से बिलकुल अलग थे. रामानुजन मद्रास के हिंदू ब्राह्मण थे जिन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी, वो मानते थे अगर गणित के सूत्रों में ईश्वर की अभिव्यक्ति ना हो तो उसके कोई मायने नहीं हैं. दूसरी तरफ हार्डी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित ट्रिनिटी कॉलेज के सम्मानित प्रोफेसर थे और जाने-माने नास्तिक थे. यह दो लोगों की हैरतअंगेज कहानी है जिन्होंने आपसी मतभेदों को दरकिनार करते हुए एक साथ मिलकर गणित के इतिहास में महान योगदान दिए. रामानुजन आगे चलकर ट्रिनिटी कॉलेज और रॉयल सोसाइटी के सदस्य बनने वाले पहले भारतीय बने. दोनों ने साथ मिलकर कई महान रचनाएं की, लेकिन रामानुजन बहुत कम उम्र में चल बसे. यह बेहद दर्दनाक कहानी है. 
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मैथ्यू ब्राउन ने कहा था.
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2016 में रामानुजन पर बनी फिल्म पहली नजर में दर्शकों को बांध लेती है. 20वीं सदी की शुरुआत में मद्रास की चिलचिलाती गर्मी, अंकों की दुनिया के सपनों में खोए रामानुजन, हार्डी की शागिर्दी में कैम्ब्रिज में बीता उनका समय और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इंग्लैंड में स्वाभाविक चुनौतियां झेलता हुआ एक अशिक्षित और गरीब हिंदुस्तानी प्रतिभा- जो संस्कृति, धर्म और वर्ग की असमानताओं से संघर्ष कर रहा था. फिल्म में दर्शकों के पूरा ड्रामा मौजूद था. नीचे, ब्राउन की फिल्म के एक सीन से गणित के जुनून से जुड़े दो लोगों के बीच के तनाव को दिखाया गया है.

हार्वर्ड के कॉन्फ्रेंस में, हार्डी ने रामानुजन के साथ अपने रिश्ते को संक्षेप में दुनिया के सामने रखा. 1913 से 1919 बीच के उस समय को याद करते हुए हार्डी ने कहा, ‘वो मेरी जिंदगी की एक रोमानी घटना थी.’

टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान जेरेमी आइरन्स ने इसे दूसरे शब्दों में कहा. ‘यह एक साझा जुनून का रोमांस था.’

यह दोस्ती जरूरी थी!

यह कहना गलत नहीं होगा कि वो राब्ता, वो खिंचाव, वो सबकुछ- महज इंट्यूशन के आधार पर- हार्डी की पहल ने रामानुजन की गणित पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला. इंग्लैंड में हार्डी विशुद्ध गणित के पितामह माने जाते थे और रामानुजन के लिए पिता के समान थे; दूरस्थ और भावनात्मक पिता जो कि आर्दश गुरू थे और जिन्हें रामानुजन से बड़ी उम्मीदें थीं.

क्या मद्रास के एक छोटे शहर से दूसरे देश पहुंचे उस व्यक्ति के लिए हार्डी सबसे अच्छे दोस्त साबित हुए? ‘शायद नहीं’, द हिंदू को दिए इंटरव्यू में कैनिगेल ने कहा. लेकिन क्या यह दोस्ती उस चमकती प्रतिभा की खोज के लिए जरूरी थी जो अनंत को जानता था? हां.

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(यह आर्टिकल पहली बार 26 अप्रैल 2016 को द क्विंट पर छपा था. श्रीनिवास रामानुजन की जन्मदिन के मौके पर इसे दोबारा प्रकाशित किया जा रहा है.)

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