2019 के आम चुनाव से पहले पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों को सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. इनमें से एक राज्य छत्तीसगढ़ में पहले चरण में बम्पर वोटिंग हुई है. माओवादी हिंसा के बावजूद बस्तर और राजनांदगांव की 18 विधानसभा सीटों पर 76.28 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है. यह अच्छी खबर है.
मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में दोनों राष्ट्रीय पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने हैं. सी वोटर के सर्वे को मानें तो इस सेमीफाइनल में कांग्रेस थोड़ा लाभ की स्थिति में है.
राजस्थान में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस फायदे में दिख रही है. सी वोटर के सर्वे के मुताबिक, मुख्यमंत्री के तौर पर सचिन पायलट लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. सचिन को 38.7 फीसदी लोगों ने अपनी पहली पसंद माना है तो वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को 22.7 फीसदी लोगों ने बतौर सीएम अपनी पसंद बताया है. अशोक गहलोत तीसरी पसंद हैं जिन्हें 20.5 फीसदी वोट शेयर मिले हैं.
राजस्थान में होगा किसका राज?
वोट शेयर के मामले में भी कांग्रेस को निर्णायक बढ़त मिलती दिख रही है. राजस्थान के सभी 5 चुनाव क्षेत्रों में कांग्रेस के पक्ष में कम से कम 3 प्रतिशत वोट शेयर का फर्क है. केवल मारवाड़ और मेवाड़ रीजन ही हैं, जहां कांग्रेस 5 प्रतिशत से कम वोट शेयर के साथ आगे है. बाकी रीजन में, खासकर धुंधर और हरौती में कांग्रेस जबरदस्त तरीके से बीजेपी पर लीड बनाती दिख रही है. सर्वे में बीजेपी को 39.7 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है जबकि कांग्रेस को 47.9 फीसदी.
राजस्थान में जो गौर करने वाली बातें हैं उनमें प्रमुख हैं-
- राजस्थान कांग्रेस का चेहरा एकीकृत नजर आ रहा है
- बीजेपी की वर्तमान सीएम और सरकार दोनों अलोकप्रिय हैं
- बीजेपी किसी भी चुनाव क्षेत्र में संघर्ष में नहीं है
- कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोट शेयर का फर्क बहुत पाटना मुश्किल है
- टिकट वितरण और माइक्रो मैनेजमेंट के बावजूद स्थिति में बदलाव नहीं
मध्य प्रदेश में कांग्रेस को लीड, पर मोदी हो सकते हैं गेमचेंजर
मध्य प्रदेश में तीन बार शासन में रहने के बावजूद शिवराज सरकार को निर्णायक रूप से पछाड़ती नहीं दिख रही है कांग्रेस. राज्य में ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री के तौर पर लोगों की सबसे बड़ी पसंद बने हुए हैं. शिवराज सिंह भी उनसे बहुत पीछे नहीं हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया को 41.6 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं तो शिवराज सिंह चौहान को 37.6 फीसदी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और शिवराज चौहान के प्रभाव का मिलाजुला असर ये है कि बीजेपी दौड़ में बनी हुई है. फिर भी, कांग्रेस को मध्य प्रदेश में थोड़ी बढ़त दिख रही है.
मगर, यह बढ़त ऐसी भी नहीं है कि ताल ठोंककर कहा जा सके कि कांग्रेस जीतने जा रही है. सी-वोटर के सर्वे में बीजेपी को 41.5 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है तो कांग्रेस को 42.5 फीसदी.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी को दो-दो क्षेत्रो में निर्णायक बढ़त है जबकि बीजेपी अन्य दो क्षेत्रों में मामूली रूप से आगे है. ये क्षेत्र हैं महाकौशल और निमाड़. अगर आगे चलकर बीजेपी या कांग्रेस किसी ने भी किसी भी क्षेत्र में स्विंग जैसी स्थिति हासिल कर ली, तो वही निर्णायक होगा.
मध्य प्रदेश के चुनावी समर का सार
- नजदीक का मुकाबला है. माइक्रो ट्रेंड्स और क्षेत्रीय समीकरण महत्वपूर्ण साबित होंगे
- प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव प्रचार के बाद परिस्थिति बदलेगी
- कांग्रेस तीन बार के एंटी इनकम्बेन्सी को भुनाने में सक्षम नहीं दिख रही है
- कांग्रेस का जनाधार बढ़ता नहीं दिख रहा है इसलिए कड़े मुकाबले की स्थिति बनी हुई है
छत्तीसगढ़ में जोगी बने कांग्रेस की राह में रोड़ा
अगस्त 2018 और नवम्बर 2018 के सर्वे में फर्क ये आया है कि कांग्रेस के पक्ष में दिख रहा 1.2 फीसदी का वोट शेयर अब घटकर 0.2 हो गया है. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान यह बीजेपी के पक्ष में 0.7 फीसदी था. बीजेपी को 41.6 फीसदी और कांग्रेस को 42.2 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है. छत्तीसगढ़ में इस चुनावी पटकथा का पटाक्षेप अजित जोगी-बीएसपी को मिले वोटों से ही तय होगा.
नजदीकी मुकाबले के लिए मशहूर रहे छत्तीसगढ़ में इस बार फाइट और भी तगड़ी है. अजित जोगी कांग्रेस के भीतर अपने समर्थकों की फौज से जो नुकसान कांग्रेस को पहुंचा रहे हैं, उस वजह से यह स्थिति बनी है. यहां भी कांग्रेस रमन सरकार की लगातार तीन टर्म की एन्टी इनकम्बेन्सी का फायदा उठाने में सफल नहीं हो पा रही है.
संक्षेप में कहा जा सकता है कि मरणासन्न कांग्रेस और अजित जोगी-बीएसपी गठबंधन के बीच से बीजेपी जीत के लिए जरूरी पतला रास्ता निकाल ले सकती है. सबसे अहम मध्यक्षेत्र समेत सभी तीन क्षेत्रों में कांग्रेस और बीजेपी कांटे के मुकाबले में हैं. किसी भी क्षेत्र में हल्का झुकाव भी दोनों में से किसी भी पार्टी को जीत की ओर ले जा सकता है. जमीनी हकीकत बतलाती है कि बीजेपी यह काम कर सकती है.
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बने हुए हैं. उन्हें 36.2 फीसदी लोग इस रूप में पसंद करते हैं. जबकि, अजित जोगी को सीएम के तौर पर पसंद करने वालों की संख्या 20.1 फीसदी है. इस तरह कांटे का संघर्ष देने के बावजूद नेतृत्व का अभाव, सीएम रमन सिंह की लोकप्रियता और मोदी की मौजूदगी के कारण कांग्रेस सत्ता की रेस हार सकती है.
जोगी-मायावती ने बिगाड़ीं कांग्रेस की संभावनाएं
- बीजेपी-कांग्रेस में बहुत ही नजदीकी मुकाबला
- बीजेपी के लिए दौलत साबित हो रहे हैं रमन सिंह
- कांग्रेस राज्य में नेता और चेहराविहीन. एंटीइनकम्बेन्सी भुनाने में नहीं हो रही है सफल
- पीएम मोदी का चुनाव अभियान राज्य में बीजेपी के लिए अहम साबित होंगे
तेलंगाना में जीतती दिख रही है टीडीपी-कांग्रेस
तेलंगाना में कांग्रेस-तेलुगू देशम पार्टी गठबंधन ने चुनावी परिदृश्य बदल दिया है. केसीआर के नेतृत्व वाले टीआरएस को जहां आसानी से जीत मिलती दिख रही थी, अब उसके रास्ते कठिन हो गये लगते हैं. सी वोटर के सर्वे में कांग्रेस-टीडीपी को 4.5 फीसदी वोट शेयर अधिक मिलता दिख रहा है. टीआरएस को 29.4 फीसदी, कांग्रेस-टीडीपी गठबंधन को 33.9 फीसदी और बीजेपी के खाते में 13.5 फीसदी वोट शेयर दिख रहे हैं.
मुख्यमंत्री के तौर पर के चंद्रशेखर राव 42.9 फीसदी लोगो की पसंद बने हुए हैं. दूसरे नम्बर पर कांग्रेस के के जनार्दन रेड्डी हैं जिन्हें 22.6 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं. केसीआर के प्रति आकर्षण के बावजूद टीडीपी-कांग्रेस गठबंधन की जीत के आसार हैं.
तेलंगाना में चुनावी गणित का सार
- केसीआर टीआरएस के लिए दौलत हैं. गठबंधन नहीं करने से नुकसान
- बीजेपी राज्य में प्रासंगिक हुई. टीआरएस के लिए अहम मौके पर हो सकती है उपयोगी
- टीडीपी-कांग्रेस राज्य में जीत की ओर
- बड़े चेहरे के बिना भी टीडीपी-कांग्रेस चुनाव जीतती दिख रही है
मिजोरम में कांग्रेस पराजय की ओर
मिजोरम में कांग्रेस के ललथन हावला सीएम के तौर पर मिजोरम में सबसे लोकप्रिय हैं, जिन्हें सी वोटर के सर्वे में 27.3 फीसदी लोगों ने पसंद किया है. दूसरे नम्बर हैं एमएनएफ के जोरामथांगा जो 25.4 फीसदी लोगों की पसंद हैं. मिजोरम पीपुल्स मूवमेंट के लालदुहोमा भी 24.6 फीसदी समर्थन के साथ लोकप्रियता में तीसरे नम्बर हैं.
मिजोरम में चुनावी परिदृश्य पर एक नजर
- पूर्वोत्तर में कांग्रेस अपनी सरकार खोती दिख रही है
- कांग्रेस, मिजोरम नेशनल फ्रंट और मिजोरम पीपुल्स मूवमेंट में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति
- एमएनएफ 3.5 फीसदी वोट शेयर के अंतर से कांग्रेस पर हावी दिख रही है
(यह लेख द क्विंट में छपे आर्टिकल पर आधारित है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)