ADVERTISEMENTREMOVE AD

संडे व्यू: कई चरणों में ना हों चुनाव, कुनबा जोड़ने में जुटी बीजेपी

संडे व्यू में पढ़ें आज चाणक्य, पी चिदंबरम, रामचंद्र गुहा, प्रभु चावला और तवलीन सिंह के विचारों का सार.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

अधिक चरणों में ना हों चुनाव 

इंडियन एक्सप्रेस में पी चिदंबरम ने लिखा है कि देश में तीन से अधिक चरणों में चुनाव नहीं होना चाहिए. राज्य में एक ही दिन में मतदान होना चाहिए. बड़े राज्यों में दो दिन में हो सकता है. 2019 में 11 अप्रैल से 19 मई तक 39 दिनों में मतदान हुआ था. बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल में सात चरणो में मतदान हुए थे. तमिलनाडु और पुदुचेरी में बिहार और पश्चिम बंगाल के बराबर ही लोकसभा की सीटें हैं. फिर भी वहां मतदान एक ही दिन कराया गया. मध्यप्रदेश में चार चरण में मतदान क्यों होना चाहिए? 

चिदंबरम लिखते हैं कि यह बात गले उतरने वाली नहीं है कि पुलिस बलों को एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने में वक्त लगता है. इसी वजह से ऐसा करना पड़ता है. यह बात उचित नहीं है कि एक ही राज्य में कुछ स्थानों पर चुनाव प्रचार चल रहा हो और कुछ स्थानों पर वोट डाले जा रहे हों.

कई चरण में मतदान कराने के पीछे असल मकसद होता है राजनीतिक नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक आवाजाही को सुविधाजनक बनाना. अलग-अलग तारीखों पर मतदान होने से चुनाव प्रचार का शोर थमने वाला काल भी अलग-अलग होगा. इससे चुनाव नतीजे प्रभावित होते हैं.

पी चिदंबरम ने चुनाव में धन के उपयोग पर चिंता जताई है. कुख्यात चुनावी बांड के कारण चुनाव सबके लिए समतल मैदान नहीं रह गया है. बीजेपी ने विशाल पैमाने पर साजो-सामान इकट्ठा कर लिया है. चुनाव में इसका इस्तेमाल किया जाएगा.

प्रधानमंत्री की रैली पर कथित तौर पर कई करोड़ रुपये खर्च होते हैं. उम्मीदवार मंच पर मौजूद रहेंगे लेकिन उस रैली पर हुए खर्च का हिस्सा उम्मीदवार के खाते में नहीं दिखाया जाएगा. यह बिल्कुल सही नहीं है. वोट के बदले नोट की घिनौनी प्रथा की वजह अंदरखाने चुनाव अभियान का चलना है. नकदी के चलन ने चुनावों को महंगा बना दिया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कुनबा जोड़ने में जुटी बीजेपी 

हिन्दुस्तान टाइम्स में चाणक्य ने लिखा है कि बीजेपी एनडीए में राजनीतिक दलों को जोड़ने में लगी है ताकि अपने लिए 370 और गठबंधन के लिए 400 पार के नारे को वास्तविक बनाया जा सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि आगामी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का लक्ष्य 370 लोकसभा सीटें हासिल करना है. इसका मतलब यह है कि 2019 के मुकाबले पार्टी को 67 सीटें अतिरिक्त हासिल करनी है.

कुल मिलाकर यह मुश्किल चुनौती है. ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी अपने गढ़ हिन्दी हृदय प्रदेश में विपक्ष का सफाया कर चुकी है. पश्चिम में भी पार्टी ने गुजरात में विपक्ष का सफाया कर दिया था. महाराष्ट्र में सहयोगी शिवसेना के साथ पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था.  

चाणक्य लिखते हैं कि पूर्व के राज्यों ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बीजेपी का उभार है. इसके साथ-साथ उत्तर पूर्व में पार्टी के लिए संभावनाएं हैं. दक्षिण भारत ने कर्नाटक को छोडकर कहीं भी मोदी लहर पर सवार होने को प्राथमिकता नहीं दी थी.

क्षेत्रीय दल तेलंगाना राष्ट्र समिति और आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी को जनता ने प्राथमिकता दी थी. डीएमके ने तमिलनाडु में कांग्रेस का साथ लेकर और कांग्रेस के नेतृत्व वाले युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने केरल में अपनी पकड़ बनाए रखी थी. कांग्रेस को उत्तरी राज्य पंजाब पर जीत हासिल की थी.

तीसरी बार सत्ता में आने को विश्वस्त दिख रहे हैं प्रधानमंत्री. वहीं बीजेपी की ओर से तय राह पर और एनडीए के लिए मिशन 400 की राह में रोड़े भी कई हैं.

दक्षिण में जिस तरह का गठबंधन बीजेपी ने तैयार किया है ऐसा लगता है कि बीजेपी इंडिया गठबंधन को 130 सीटों पर भी सहज रहने नहीं देना चाहती.

इंटरनेशनल प्री वेडिंग सेरेमनी 

रामचंद्र गुहा ने टेलीग्राफ में लिखा है कि हिन्दू के ऑनलाइन संस्करण में 1 मार्च 2024 को जागृति चंद्रा की रिपोर्ट छपी थी जिसका शीर्षक था- “अनंत अंबानी की प्री वेडिंग पार्टी के लिए जामनगर हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिला.” इसमें बताया गया था कि किस तरह सशस्त्र बलों द्वारा संचालित जामनगर के छोटे हवाई अड्डे को 25 फरवरी से 5 मार्च तक दस दिन के लिए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किया गया था. ऐसा बिल गेट्स जैसे वैश्विक दिग्गजों का स्वागत करने में सक्षम होने के लिए किया गया था.

नीता और मुकेश अंबानी के सबसे छोटे बच्चे अनंत की तीन दिवसीय प्री वेडिंग पार्टी में मार्क जुकरबर्ग रिहाना, इवांका ट्रंप और कई पूर्व प्रघानमंत्री शामिल हुए. 

रामचंद्र गुहा ने बताया है कि सुश्री चंद्रा की प्रभावशाली रिपोर्ट पर सोशल मीडिया पर टिप्पणियों की भी बाढ़ थी. ज्यादातर ध्रुवों में बंटी थीं. कहा गया कि कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तानी आगंतुकों की सुविधा के लिए 2011 में चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर भी ऐसा ही किया था. (हालांकि तब यह प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन के लिए था. कोई निजी शादी नहीं थी.) यह भी तर्क दिया कि अंबानियों ने हजारों भारतीयों को रोजगार दिया.

दूसरी तरफ से भी प्रतिक्रिया थी कि “अडानी और अंबानी के लिए भारत में जीवन स्वर्ग जैसा है और हममें से बाकी लोगों के लिए यह नरक है.” टिप्पणी यह भी आयी कि “एक अमीर बच्चा दुनिया भर से कुछ प्रसिद्ध प्रजातियों को मंत्रित करके अपने निजी चिड़ियाघर का प्रदर्शन करना चाहता है.” जामनगर में एक सजे हुए हाथों के सामने पोज देती इवांका ट्रंप की तस्वीरों से इस टिप्पणी को बल मिला.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

आर-पार की लड़ाई 

न्यू इंडियन एक्सप्रेस में प्रभु चावला लिखते हैं कि कांग्रेस का मृत्यु लेख लिखना सामान्य शगल है. नरेंद्र मोदी पहले ही जीत की घोषणा कर चुके हैं और बीजेपी को 370 सीटें मिलने की भविष्यवाणी कर चुके हैं. नकली सर्वेक्षण कर्ता और दक्षिणपंथी राय कांग्रेस को 50 से कम सांसद बताते हैं. विपक्ष के क्षेत्रीय राजाओं पर यह छोड़ दिया गया है कि वे मोदी के रथ को अपने जागीर में रोकें या विलुप्त होने का सामना करें.

प्रभु चावला लिखते हैं कि सीधी लड़ाई में कांग्रेस के लिए बीजेपी को नुकसान पहुंचाना मुश्किल दिख रहा है. लोकसभा में बहुमत यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, झारखण्ड, पंजाब और दिल्ली पर निर्भर करेगा. इन राज्यों में 348 लोकसभा सीटे हैं जिनमें बीजेपी के पास 169 और इंडिया व उसके  वैचारिक सहयोगियों के पास 126 सीटें हैं.

2024 का चुनाव मोदी 3.0 से ही संबंधित नहीं है बल्कि यह ममता बनर्जी, शरद पवार, एमके स्टालिन, सिद्धारमैया और रेवंत रेड्डी की क्षेत्रीय विचारधाराओं के राजनीतिक स्थायित्व से भी संबंधित है.

प्रभु चावला लिखते हैं कि सीधी लड़ाई में कांग्रेस के लिए बीजेपी को नुकसान पहुंचाना मुश्किल दिख रहा है. लोकसभा में बहुमत यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, झारखण्ड, पंजाब और दिल्ली पर निर्भर करेगा. इन राज्यों में 348 लोकसभा सीटे हैं जिनमें बीजेपी के पास 169 और इंडिया व उसके  वैचारिक सहयोगियों के पास 126 सीटें हैं.

यह चुनाव अखिलेश यादव का राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा. क्या अखिलेश की लोकप्रियता रोक पेगी राम मंदिर के उत्साह की भगवा लहर? क्या मायावती के अलगाव और संदिग्ध राजनीतिक चरित्र के बीच वे पांच सांसदों से दोहरे अंक में पहुंच जाएंगे? बिहार में तेजस्वी यादव भी या तो सूर्यास्त की ओर बढ़ सकते है या पिता लालू यादव के उपयुक्त उत्तराधिकारी के रूप में सिंहासन पर बैठ सकते हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

गलतियों से कब सीखेगी कांग्रेस? 

तवलीन सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है कि विपक्ष अपनी गलती से सीखने को तैयार नहीं है. पिछले हफ्ते जब लालू यादव ने ताना कसते हुए कहा कि मोदी परिवारवाद का विरोध करते हैं क्योंकि उनका अपना कोई परिवार नहीं है तो प्रधानमंत्री ने फौरन इसका जलवाब दिया कि उनका परिवार पूरा देश है. सोशल मीडिया पर इसके बाद दिखने लगे ऐसे कई हैंडल जो अपने आप को मोदी के परिवार का सदस्य बताने लगे.  

तवलीन सिंह ने याद दिलाया कि 2014 में गांधी परिवार के महान भक्त मणिशंकर अय्यर ने मोदी को ‘चायवाला’ था. इसका मोदी ने बेहिसाब लाभ उठाया. ‘चाय पे चर्चा’ शुरू की और गर्व से अपने आपको चायवाला कहने लगे. 2019 में ‘चौकीदार चोर है’ का नारा राहुल गांधी ने दिया था. जवाब में मोदी के भक्तों ने खुद को ‘मैं भी चौकीदार’ कहना शुरू कर दिया. 2007 वाला गुजरात का विधानसभा चुनाव भी याद है जब सोनिया गांधी ने मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहा था.

इन दिनों राहुल गांधी नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने की बात करते हैं. मगर, उसका जमीन पर असर होता नहीं दिखता. जब वे आर्थिक मुद्दों पर बात करते है तो लगता है मानो देश को पीछे ले जाना चाहते हों. बीते हफ्ते चुनाव आयोग ने भी राहुल गांधी को फटकारा था. उनको सावधान किया गया कि प्रधानमंत्री को जेबकतरा और पनौती कहना गलत है. 

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×