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पूर्वोत्तर फतह से BJP के अरमानों को लगे पंख,कांग्रेस के हाथ मायूसी

पूर्वोत्तर के पहाड़ों पर खिले नए कमल ने BJP की मायूसी खत्‍म की है. देश के नक्‍शे पर भगवा रंग और ज्‍यादा पसर गया है

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पूर्वोत्तर के 3 राज्‍यों में हुए चुनाव के रुझान और परिणाम तेजी से सामने आते जा रहे हैं. इनमें अगर त्रिपुरा की बात करें, तो बीजेपी दो-तिहाई बहुमत से सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है. नगालैंड में बीजेपी, लेफ्ट फ्रंट से आगे चल रही है. मेघालय में कांग्रेस बढ़त पर है, लेकिन तस्‍वीर पूरी तरह साफ नहीं है. इस बात की पूरी संभावना है कि देश की राजनीति पर इन चुनाव परिणामों का असर दूर तक देखा जाएगा.

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सबसे ज्‍यादा फायदे में कौन?

त्रिपुरा में बीजेपी बड़ी आसानी से सरकार बना लेगी, जो पार्टी के लिए बड़ी राहत की बात है. एग्‍ज‍िट पोल में भी इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही थी कि त्रिपुरा में बीजेपी सरकार बना सकती है. अब इस संभावना पर मुहर भी लग चुकी है. त्रिपुरा में 25 साल से सत्ता पर काबिज लेफ्ट के मजबूत किले से जीत निकाल लाना बीजेपी की बड़ी कामयाबी मानी जाएगी. एक तरह से उसने यहां शून्‍य से शिखर का सफर तय किया है.

कांग्रेस पर बीजेपी की मनोवैज्ञानिक बढ़त

हाल के कुछ राज्‍यों में विधानसभा चुनाव या उपचुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी के हौसलों की उड़ान पर लगाम कसती दिख रही थी. इसी के साथ कांग्रेस के अरमानों के नए पंख लगते जा रहे थे. गुजरात विधानसभा चुनाव इसका टर्निंग पॉइंट माना जा रहा था.

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में 182 सीटों में से बीजेपी 99 सीटों पर ही सिमट गई थी. दूसरी ओर 80 सीटें लाकर कांग्रेस ने बीजेपी के सामने अपने मजबूत उभार का अहसास करा दिया था. तभी ये तय हो गया था कि 2019 का चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं होने जा रहा है.

उपचुनावों से भी कांग्रेस को मिलती रही संजीवनी

हाल ही में राजस्थान में लोकसभा की 2 और विधानसभा की 1 सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस तीनों सीटों पर विजयी रही. पार्टी ने राजस्थान की मंडलगढ़ विधानसभा सीट के साथ-साथ अजमेर और अलवर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में बड़े अंतर से जीत हासिल की. बीजेपी के लिए ये नतीजे बेहद निराशाजनक इसलिए थे, क्‍योंकि ये सीटें बीजेपी के पास थीं.

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कांग्रेस की जीत का सिलसिला मध्‍य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में भी कायम रहा. मुंगावली और कोलारस उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद पार्टी अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने इसे बीजेपी के 'घमंड और कुशासन की हार' करार दिया था. साथ ही उन्‍होंने इसे 'निकट भविष्य में बदलाव के संकेत' बताया था. जाहिर है, पार्टी अगले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ लोकसभा चुनाव को लेकर भी काफी उत्‍साहित थी.

लेकिन पूर्वोत्तर के पहाड़ों पर खिले नए कमल ने बीजेपी की मायूसी खत्‍म कर दी है. न केवल नॉर्थ-ईस्‍ट, बल्‍कि देश के नक्‍शे पर भगवा रंग कुछ और ज्‍यादा पसर गया है.

अब पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को अगले चुनावों के लिए प्‍लान तैयार करने की नई ऊर्जा जरूर मिली होगी. साथ ही इसमें कांग्रेस के लिए ये साफ संकेत है कि अगर 2019 में उसे बीजेपी को कड़ी टक्‍कर देनी है, तो कार्यकर्ताओं के बीच हाल में पैदा हुए जोश और उम्‍मीद को बरकरार रखना होगा.

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