मैं एक तेज मिलेनियल का वॉट्सऐप मैसेज पाकर जरा खुश हुआ जिसके साथ इस साल की शुरुआत में गोवा में समंदर किनारे पर मैंने बीयर का लुत्फ उठाया था.
फॉरवॉर्डेड मैसेज में जो डॉक्यूमेंट शेयर किया गया था वो एक मशहूर वेंचर कैपिटलिस्ट (VC) का ‘रेडलाइट प्रजेंटेशन’ था. इस ‘VC’ को सभी यूनिकॉर्न की ‘जननी’ भी कहते हैं. और यह बहुत सटीक शब्द है, नहीं तो अक्सर ही हमारे अफसर भारत की शानदार इकनॉमिक स्टोरी बताने के लिए बेहद थके और पुराने भावों का ही इस्तेमाल करते हैं.
इस ‘रेडलाइट प्रजेंटेशन’ को पढ़ना किसी शोकगीत को पढ़ने जैसा है, जो कि भारत के विशाल और बिना मुनाफेवाला यूनिकॉर्न खड़ा करने और जिनके लिए पैसा जुटाना बहुत मुश्किल हो गया है और वो अपने अंत के करीब बढ़ रहे हैं. शोकगीत एक सच्ची पश्चाताप से शुरू होती है और साफगोई से बताती है..
सॉरी, महामारी वैश्विक अर्थव्यवस्था का क्या हाल कर सकती है, इसे समझने में हमसे भारी चूक हुई; अफरातफरी में सरकारें कैसे प्राइम एसेट्स में भारी पैसे डालेगी. ये समझ नहीं पाए..
सॉरी, कोविड लॉकडाउन से सप्लाई शॉक आया, कैश बूम ने सिर्फ एसेट्स ही नहीं कमोडिटी की कीमतें भी बेकाबू कर दी.
सॉरी, हम ये नहीं देख पाए कि महंगाई कैसे वैल्यू को खत्म करती है?
सॉरी, हमने कभी सोचा नहीं कि पुतिन यूक्रेन पर हमले करेगा और जो कि पहले से कोविड से जूझ रही दुनिया पर एक और जोर का धक्का होगा.
सॉरी, हमने वैल्यूएशन पर कंट्रोल खो दिया क्योंकि ‘बेलगाम पैसा था ’; हम भूल गए कि किस तरह से ‘बेलगाम पैसा’ वित्तीय अनुशासन खत्म करता है.
सॉरी, हमने आपको ‘यूनिकॉर्न’ बताया, बिलियन डॉलर का अविश्वसीनय वैल्युएशन बनाया जबकि कैश की किल्लत काफी ज्यादा थी!
फिर प्रेजेंटेंशन का टोन बदल जाता है. ये अफसोस/ दुख से हटकर चेतावनी/सलाह पर शिफ्ट हो जाता है. :
क्योंकि अब पैसा बिल्कुल भी फ्री यानि बेलगाम नहीं है; अमरेकी ट्रेजरी जहां दुनिया में ब्याज दरें सबसे कम जोखिमा वाली होती हैं वो कुछ बेसिस प्वाइंट से बढ़ते बढ़ते कुछ हफ्तों में ही 300 प्वाइंट तक चला गया है; घर के लिए जो कर्ज लिए जाते हैं यानि हाउस मॉर्गेज 6 महीने में 70 % तक गिर चुका है. कंस्ट्रक्शन की पूरी तरह से ठप पड़ गई है.
क्योंकि पिछले सात महीने में Nasdaq 28% तक डाउन हो चुका है. बीस साल में तीसरा सबसे बड़ा निचला स्तर.
क्योंकि दस में से छह सॉफ्टवेयर, इंटरनेट, और फिनटेक कंपनियां रेवेन्यू और मुनाफा बढ़ाने के बाद भी प्री कोविड लेवल पर ट्रेड कर रही हैं. इसलिए उनकी असली वैल्यू तो आधे से भी ज्यादा कम हो गई होगी…
क्योंकि इनमें से एक तिहाई ‘हॉट स्टॉक्स’ तो कोविड के दौरान यानि मार्च 2020 में टूटकर जिस निचले स्तर तक पहुंचीं थी उनसे भी नीचे चली गई हैं.
क्योंकि रिकवरी..अगर मुमकिन हुआ भी तो ..इसमें लंबा वक्त ...बहुत लंबा वक्त लगेगा!
आखिर में ये ‘रेडलाइट प्रजेंटेशन’ कुछ उपदेश के साथ खत्म होता है:
सबसे दमदार और फिट का टिकना मुश्किल है.. बदलाव को मानते हुए आगे बढ़ने वाले ही बच पाएंगे.
इसलिए अब जो बहुत फटाफट करेगा वही टिक पाएगा..यानि जो बदलाव को जल्दी से जल्दी स्वीकार करेगा.
अफसोस की चुभन से कम तकलीफ अनुशासन के चुभन में है.
हालांकि प्रेजेंटेंशन में खुले शब्दों में नहीं कहा गया कि लेकिन इस दुख/ अफसोस/ नसीहत का मतलब एक ही है – ये कैश फ्लो का मामला है!
और जैसे ही मैं इस वॉट्सऐप पर भेजे गए डॉक्यूमेंट को बंद करता हूं तो मेरा मन गोवा के उसी समंदर किनारे वाली सुहानी शाम और तब उठे ख्यालों के समंदर में चला जाता है. मैं कुछ मिलेनियल्स से घिरा हुआ था. उनमें से कुछ ने ‘नेटवर्क 18: द अडेशियस स्टोरी ऑफ ए स्टार्ट-अप दैट बीकेम अ मीडिया एंपायर’ (पेंगुई रैंडम हाउस 2016) किताब पढ़ी थी, इसलिए वो मेरी आंत्रप्रेन्योर हिट और चूक, जिसे मैं खुद हिट से ज्यादा चूक मानता हूं, को जानते थे.
खैर..वो काफी उत्सुक और विचारवान मिलेनियल्स इन्वेस्टर्स थे. सो हमारी बातचीत काफी जोरदार बन गई.
मिलेनियल 1: आपने Zomato और PayTM में क्यों निवेश नहीं किया ?
आरबी: क्योंकि वो हद से ज्यादा महंगे थे और पैसा बनाने की स्थिति से बहुत दूर. लेकिन मैं Zomato की तरफ देखूंगा जब ये 50 रुपए तक आएगा और PayTM की तरफ भी अगर ये 500 तक पहुंचेगा.
उनकी जोरदार पर दबी हुई हंसी मेरे कानों तक पहुंचती रही. ‘’ इंतजार में ही बैठे रहो.... Zomato 50 रुपए तक गिरेगा ...हा..हा. और PayTM 500 रुपए तक.. हा..हा. क्या आप बौड़म हैं?
अब बारी मेरी थी..कटाक्ष करने का भाव मन में रखे मैंने अपना फोन उठाया और अपने उस मिलेनियल दोस्त को मैसेज किया, ‘’क्या तुम्हें मालूम है पिछले हफ्ते Zomato ने किस स्तर को छुआ है? करीब 50 रुपए. और PayTM? करीब 500 रुपए, सही है ना? नौजवान अब बताओ कौन बौड़म है?”
कुछ कुछ बदला लेने जैसा सुकून मुझे हुआ.. और फिर मैं अपना फोन बंद कर ..समंदर किनारे की यादों में खो गया..
मिलेनियल 2: लेकिन आपने Nykaa में जरूर पैसे लगाए होंगे? क्योंकि वहां तो असली पैसे बन रहे हैं? ठीक है ना!
आर बी: हां, मैंने लगाया था लेकिन लिस्टिंग के दिन मैंने इसे बेच दिया.
वो स्तब्ध थे. सबके सब हैरान और मेरी तरफ देख रहे थे: आप पहले दिन ही कैसे बेच सकते हो?
आर बी: क्यों नहीं? मैंने हजार रुपए लगाए ..और एक हफ्ते से भी कम वक्त में-इंटरेस्ट/टैक्स रिटर्न काटकर –600 रुपए बनाए. सो ये सालाना 3000-4000% हो जाता है. मैं पागल ही होता अगर इसे बेचता नहीं .
मिलेनियल 3: सर! आप पूरी तरह से ही सच से दूर हैं .. अब आप हमें बताइए कि आपने कभी बिटकॉइन में पैसे नहीं लगाए?
आर बी: हां, झट से. मैंने कभी किसी बिटकॉयन और दूसरे क्रिप्टो या फिर नॉन फंजिंबल टोकेन NFT में निवेश नहीं किया.
सभी मिलेनियल : क्या! बिटकॉइन्स में भी नहीं??
आर बी: नहीं, मैं वैसे किसी भी चीज में कैसे निवेश कर सकता हूं जहां कोई कैश फ्लो ही नहीं है? मैं इस बात को लेकर ही हैरान हूं कि ‘कथित एसेट’ यानि जो बिल्कुल ही नहीं उपलब्ध है उसकी वैल्यू ज्यादा होने और बिना किसी कैश के जुड़े रहने के बाद भी उसमें कोई कैसे निवेश कर सकता है ...इसलिए मैंने कभी टूलिप या पेंटिंग में निवेश नहीं किया..( ये उदाहरण मैंने RBI गवर्नर से लिया है).
लेकिन NFTs के बदले इस रिजॉर्ट की ओनरशिप जैसा कुछ हो जाए तो मैं क्रिप्टो एसेट में निवेश करूंगा.
मिलेनियल 4 (बुरी तरह से उलझन में): NFT – जो इस बीच रिजॉर्ट के मालिकाना जैसा हो?
आर बी: हां, सोचो अगर 1000 कमरे वाले इस रिजॉर्ट और इसके एसेट और रेवेन्यू को NFT यानि नॉन फंजिंबल टोकेन जिसे रियल एस्टेट के ब्लॉकचेन पर खरीदा या बेचा जा सकता है. कल्पना करो कि अगर सभी टाइटिल या ओनरशिप कानूनी तौर पर उस NFT में समाहित हो जाएं. अब सोचें कि मैं 1/1000 NFT को खरीदूं जिसे आसानी से ब्लॉकचेन पर ट्रेड या ट्रांसफर कर पाऊं. तो ये इस रिजॉर्ट के एक रूम को खरीदने के वैल्यू जैसा हो जाएगा, वैसा कुछ जो मैं फिजिकल वर्ल्ड में नहीं कर सकता, क्योंकि स्टांप ड्यूटी, लैंड पार्सल की जटिलताएं और रजिस्ट्रेशन और डीड्स की परेशानियों हैं.
लेकिन अगर डिजिटल वर्ल्ड में ये सब होने लगे तो कितनी आसानी हो जाएगी. अगर एक बार उनकी कानूनी स्थिति साफ हो जाती है और ब्लॉकचेन पर ट्रेड करने लगते हैं तो मैं इस रिजॉर्ट के किसी रूम को एक दिन में चाहे जितनी बार बेचूं या फिर खरीदूं ! इसलिए, NFT इस स्तर तक पहुंच जाए जहां रियल एस्टेट की टाइटिल या ओनरशिप रियल कैश के साथ गुंथ जाए तो फिर उस दिन से NFT की उड़ान शुरू हो जाएगी. वो फिर कभी नहीं रुकने वाला एसेट हो जाएगा. गोवा के उस समंदर किनारे एक स्तब्ध करने वाला सन्नाटा पसर गया. वहां जितने मिलेनियल थे हर कोई अपना सिर खुजा रहा था, ये समझने के लिए कि आखिर मैंने क्या कह दिया .. ये कैश फ्लो का मामला है ! इट्स कैश फ्लो, स्टूपिड !
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